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गुल पनाग टर्निंग 30

१५ जनवरी २०११

गुल पनाग की नई फिल्म 'टर्निंग 30' आधुनिक भारतीय महिला की मुश्किलों को दर्शाने की कोशिश तो करती है पर आधुनिक समाज के अन्य विषयों में ही उलझ कर रह जाती है.

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तस्वीर: AP

आधुनिक भारतीय महिला - यह विषय है निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव की नई फिल्म 'टर्निंग 30' का. फिल्म में गुल पनाग नैना सिंह का किरदार निभा रही हैं जो तीस साल की होने वाली हैं और मध्य जीवन संकट से गुज़र रही है. नैना सिंह मुंबई में रहने वाली एक मॉडर्न लड़की है. उसके पास वो सब है जो वो चाहती है - एक अच्छी नौकरी, एक बॉय फ्रैंड. सब कुछ ठीक चल रहा होता है पर अचानक से उसका बॉय फ्रैंड पैसों की खातिर घर वालों की मर्जी से किसी और से शादी कर लेता है. साथ ही नैना को नौकरी से भी निकाल दिया जाता है.

बढती उम्र और अकेलापन

बगैर नौकरी और बगैर साथी के उसे अपनी ज़िन्दगी वैसे भी मुश्किल लगने लगती है. साथ ही लोग उसे उसकी बढती उम्र का भी एहसास करते रहते हैं. यही अलंकृता की कहानी का आधार है और इसे और आधुनिक बनाने के लिए उसने इसमें लिव इन रिलेशनशिप, विवाहेतर संबंध और समलैंगिक जैसे विषय भी डाल दिए हैं.

नैना अपने दोस्तों की मदद से अपने जीवन को फिर से सामान्य बनाने की कोशिश करती है. लेकिन नैना की जिन्दगी की दो सबसे बड़ी जरूरतों में कुछ भी आधुनिक नहीं दिखता- एक 'मॉडल पति' की तलाश और तीस की होने से पहले एक पक्की नौकरी - इन दोनों ही बातों के चलते वह एक आम लडकी जैसी ही प्रतीत होती है.

हॉलीवुड जैसा बनाने की कोशिश

अलंकृता ने हॉलीवुड की बड़ी फिल्मों जैसे 'लीगली ब्लौंड' या फिट 'सेक्स एंड द सिटी' के अंदाज़ में भारतीय आधुनिक महिलाओं पर फिल्म बनाने की कोशिश की है. लेकिन उनका यह प्रयास सफल होता नहीं दिखता. 

Film Sex and the City 2 Flash
हॉलीवुड फिल्म 'सेक्स एंड द सिटी'तस्वीर: picture-alliance/dpa

फिल्म में दृश्यों के लिहाज़ से विविधता का भी अभाव है. फिल्म का हर दूसरा दृश्य या तो नैना के फ्लैट या ऑफिस या किसी रेस्तरां का है. मुंबई भी नाम मात्रा की ही दिखाई पड़ती है. फिल्म के ज़्यादातर संवाद अंग्रेजी में हैं और गुल पनाग फिल्म के अधिकतम भाग में रोती हुई दिखती हैं. अपनी दिक्कतों के साथ साथ वो अपनी दो सहेलियों की दिक्कतें भी दूर करने की कोशिश करती हैं. इनमें से एक की अपने पति से नहीं बनती तो दूसरी समलैंगिक है.

लेकिन अंत तक आते आते सब कुछ ठीक हो जाता है. नैना लेखिका बन जाती है, नौकरी से निकाले जाने पर चल रहा मुकदमा भी वह जीत जाती है. इस के साथ ही उसे अपने पुराने दोस्त में प्यार भी मिल जाता है और उसका बॉय फ्रैंड अपनी शादी को भूल कर दूसरे मौके के लिए तैयार हो जाता है.

और जाहिर तौर पर, इस सब के बाद, नैना को लगता है कि तीस का होना आखिरकार कोई बुरी बात नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: एस गौड़

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