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गोरक्षा या गोमांस विरोध है मकसद?

२१ मार्च २०१५

भारत के बीजेपी शासित राज्य बारी बारी से गौहत्या पर रोक लगा रहे हैं. इसके साथ ही गौमांस की बिक्री और इसे खाने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. धर्मनिरपेक्ष, हिंदू बहुल राष्ट्र भारत में यह धर्म से जुड़ा मुद्दा है.

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तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman

उत्तर भारतीय राज्य हरियाणा ने गौहत्या और गौमांस बेचने से संबंधित कानूनों को और सख्त बना दिया है. अब इस अपराध के लिए जेल की सजा दोगुनी कर 10 साल कर दी गई है. हरियाणा धर्मिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर कार्यवाई करने वाला महाराष्ट्र के बाद दूसरा राज्य बन गया है. हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री ओपी धनकर ने इसके बारे में कहा, "गाय हमारी माता है और हमें किसी भी कीमत पर उसकी रक्षा करने की जरूरत है." हरियाणा में भी केन्द्र की ही तरह बीजेपी की सरकार है.

हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक समर्थन गुट ने दक्षिण भारतीय राज्य केरल में गोरक्षा का अभियान शुरु किया. राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सरकार है. गायों की हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए इस वीएचपी समर्थक संगठन ने गायों को मुक्त करवाने वालों को सम्मानित करने और उन्हें इनाम दिए जाने की भी घोषणा की. केरल हिंदू हेल्पलाइन नामक इस गुट ने पहले भी वीएचपी की विवादित 'घर वापसी' योजना को चलाया था. इसके कुछ ही दिन पहले केरल के मुख्यमंत्री ओम्मन चंडी ने संसद में बयान दिया था कि वे केन्द्र सरकार के गौ हत्या को रोकने की कोशिशों को राज्य में लागू नहीं करेंगे.

इस संगठन का मानना है कि राज्य में चल रहे गैरकानूनी पशुवधगृह और मांस बेचने वाली दुकानें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं, जिनसे आसपास के लोगों को कई तरह के रोग लग जाते हैं. केरल में सत्ताधारी यूडीएफ और विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) दोनों ही गौहत्या और गौमांस पर कोई देशव्यापी प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हैं. वे इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखलअंदाजी बता रहे हैं.

हालांकि देश के 29 राज्यों में से 24 में पहले से ही गोहत्या पर प्रतिबंध है, भारत की गिनती दुनिया के कुछ सबसे बड़े बीफ निर्यातकों में होती है. इस पेशे में ज्यादातर देश की मुसलमान आबादी लगी है. ज्यादातर निर्यात किया जाने वाला मांस नर या दूध ना देने वाली भैंसों का होता है, जिनको गायों जितना धार्मिक महत्व नहीं है. पूरे भारत में केवल कुछ ही राज्यों में भैसों को मारने की अनुमति है. 2012 में भारत में 364 करोड़ मेट्रिक टन बीफ का उत्पादन हुआ जिसमें 196 मेट्रिक टन का खपत घरेलू बाजार में हुआ और 168 मेट्रिक टन का निर्यात किया गया.

आरआर/एमजे (पीटीआई, एएफपी)