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ग्राहक से प्रतियोगी बने चीन से परेशान जर्मनी

१७ जनवरी २०१९

'मेड इन जर्मनी' को 'मेड इन चाइना 2025' से कड़ी चुनौती मिलने लगी है. चीन को होने वाले भारी भरकम जर्मन निर्यात के दिन लदते दिखाई दे रहे हैं. इस चुनौती से बचने के लिए क्या होगी जर्मनी की रणनीति.

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Symbobild Made in China 2025
तस्वीर: Reuters/Stringer

कभी जर्मन निर्यातकों के लिए सुनहरा मौका देने वाले चीन में अब जर्मनी की दिलचस्पी घट रही है. चीन आज केवल एक बड़ा ग्राहक नहीं रहा बल्कि यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था को टक्कर देने वाली ताकत बन चुका है. इन बदले हालातों के मद्देनजर अब जर्मनी खुद अपने खेमे में कुछ बदलाव कर रहा है.

जर्मनी की कारों और फैक्ट्री उत्पादों की खपत चीन में खूब खपत हुई. सालों साल चले ऐसे भारी भरकम जर्मन निर्यात ने चीन को विश्व की दूसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में भी अहम भूमिका निभाई. लेकिन अब ना केवल ऐसे भारी भरकम निर्यात के दिन लद गए हैं बल्कि वैल्यू चेन में तेजी से ऊपर चढ़ते चीन में जर्मन कंपनियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से नई खोजें हो रही हैं. उसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिका को पहले रखने की नीति भी जर्मनी और चीन समेत वैश्विक कारोबार पर असर डाल रही है.

साल 2018 में जर्मनी में पांच सालों की सबसे कमजोर बढ़त दर्ज हुई. इसमें मंद पड़ते विदेश व्यापार का बड़ा हाथ था क्योंकि इस दौरान जर्मनी का आयात उसके निर्यात के मुकाबले तेजी से बढ़ा. हालांकि अब भी चीन को होने वाला जर्मन निर्यात साल दर साल के हिसाब से करीब 10 फीसदी बढ़ा है फिर भी 'मेड इन जर्मनी' उत्पादों के लिए चीनी मांग में आई कमी खूब महसूस हो रही है.

जर्मनी के डीआईएचके चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के फोल्कर ट्रायर बताते हैं, "चीन में जर्मन कंपनियों का कारोबारी भविष्य धुंधलाता जा रहा है." बीते नवंबर में ही चीन को होने वाले जर्मन निर्यात में केवल 1.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई. चीनी अर्थव्यवस्था भी धीरे धीरे ठंडी पड़ती दिख रही है और अमेरिका की ओर से थोपे गए अतिरिक्त शुल्क के अलावा दोनों के व्यापारिक संबंधों को काफी धक्का पहुंचा है.

जर्मन वित्त मंत्री ओलाफ शोल्त्स एक हफ्ते में शुरु हो रहे अपने अगले चीनी दौरे पर जर्मन कंपनियों खासकर बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के रास्ते खोलने की कोशिश करेंगे. जर्मनी को उम्मीद है कि ब्रिटेन के ईयू छोड़ने से उसे फायदा पहुंचेगा और शायद कई बैंक अपने ऑपरेशन लंदन से हटाकर फ्रैंकफर्ट ले आएंगे.

जर्मन नीति बनाने वाले और कारोबारी कहते हैं कि चीन में सरकार से नियंत्रित आर्थिक मॉडल उनके लिए फायदेमंद नहीं है. चीन ने अपनी "मेड इन चाइना 2025" योजना के तहत घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक कारों की तकनीक विकसित करने का लक्ष्य रखा है. इसमें उसे सरकार का पूरा समर्थन और दूसरी ओर विदेशी कंपनियों को देश में प्रवेश ना करने की सुरक्षा मिल रही है. इसके अलावा कूका जैसी जर्मन रोबोटिक्स कंपनी के अधिग्रहण से चीन नई तकनीकों के अधिकार भी खरीद रहा है. 

Symbobild Made in China 2025
'मेड इन चाइना 2025' की दिशा में तेजी से हो रहा है काम.तस्वीर: Reuters/Stringer

जर्मनी के प्रभावशाली इंडस्ट्री संघ बीडीआई ने हाल ही में चीन के लिए यूरोपीय संघ से कड़ी नीतियां बनाने और जर्मन कंपनियों से चीनी बाजार पर निर्भरता घटाने की मांग की है. अब जर्मनी चीन जैसे किसी भी गैर-यूरोपीय देश की कंपनियों के जर्मन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने पर भी सख्ती बरत 'निर्यात के राजा' वाले अपने डोलते सिंहासन को बचाने की कोशिश कर रहा है

आरपी/एनआर (रॉयटर्स)

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