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ग्रीक संसद में बचत कार्यक्रम पर मतदान

७ मई २०१०

ग्रीस के प्रधानमंत्री गियोर्गोस पापांद्रेउ ने कहा है कि ग्रीस का भविष्य दाव पर लगा है. संसद में बचत कार्यक्रम पर बहस में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र और सामाजिक समरसता की परीक्षा है.

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ग्रीक प्रधानमंत्री पापांद्रेउतस्वीर: picture-alliance/dpa

ग्रीस की संसद में आज एक विधेयक पेश हुआ है जिसमें सरकार ने 30 अरब यूरो बचाने के क़दम तय किए हैं. बचत कार्यक्रम के प्रस्ताव में सरकारी नौकरियों पर रोक, वेतन और पेंशन में कटौती भी शामिल है. सरकारी कर्मचारियों के बोनस में कमी के प्रस्ताव से आम जनता के बीच काफी नाराज़गी पैदा हुई है. ग्रीस के विपक्षी रूढ़िवादी और वामपंथी दलों ने विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है. आज शाम संसद के सामने ग्रीस के प्रमुख सार्वजनिक और निजी कंपनियों के कर्मचारी यूनियनों ने फिर प्रदर्शन करने की घोषणा की है.

Gewaltsame Ausschreitungen in Athen Griechenland Flash-Galerie
हिंसक बचत विरोधी प्रदर्शनतस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र वित्त और व्यापार संगठन के प्रमुख अर्थशास्त्री हाइनर फ्लासबेक ने कहा है कि ग्रीस की समस्या को ख़त्म करने के लिए अकेले ग्रीस पर दबाव डालना ठीक नहीं है. "इस तरह की प्रक्रियाओं में वक़्त तो लगता है. हमें यूरोप में विकास चाहिए और यूरोप में प्रतिस्पर्धा के नक्शे में भी बदलाव लाने की ज़रूरत है. जर्मनी को कुछ त्यागना होगा, बाकी देशों को कुछ फायदा पाना होगा. यह परेशानियां समय के साथ ठीक होंगी लेकिन एक देश पर अलग से इस सिलसिले में दबाव डालने से कुछ नहीं होगा."

इस बीच यूरोपीय केंद्रीय बैंक ईसीबी के प्रमुख ज़ां क्लोद त्रिशे ने बैंक के ब्याज़ दरों को एक प्रतिशत रखने का फैसला किया है. साथ ही ईसीबी ने कहा है कि वह ग्रीस के सरकारी बॉन्ड के बदले यूरो क्षेत्र के बैंकों को कर्ज़ दे सकती है. कई निजी बैंकों को डर है कि ग्रीस अपने कर्ज़ समय से चुका नहीं पाएगा. इस वजह से बैंक अपने ब्याज़ दर और बढ़ा रहे हैं. ग्रीस को अपने बांड पर 10 प्रतिशत तक ब्याज देना पड़ रहा है जब कि पुर्तगाल की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. उधार के लिए वह 6 प्रतिशत ब्याज अदा कर रहा है.

Griechenland Ausschreitungen in Athen Mittwoch 5.5.2010
आगजनी से बचाए जाने के बाद एक बैंककर्मीतस्वीर: AP

यूरोपीय आयोग के प्रमुख ज़ोसे मानुएल बारोसो ने बैंकों के ब्याज दरों को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि बैंकों को अपने सामाजिक दायित्व के बारे में सोचना चाहिए. "खुले बाज़ारों में कानूनों की ज़रूरत होती है. इन कानूनों को और कड़ा करना होगा खासकर जब ग़ैर ज़िम्मेदाराना हरकतों से खतरा पैदा होता है. बाज़ार का विश्लेषण निष्प्क्ष तरीके से होना चाहिए. वित्त संस्थानों को समझना चाहिए कि वे अपनी सेवाओं के लिए यहां है, केवल अपने निजी फ़ायदे के लिए नहीं. उनको अपनी सामाजिक और वित्तीय ज़िम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए."

ग्रीस की बिगड़ती आर्थिक हालत का असर विश्व बाज़ारों पर भी हुआ है. भारत के सेंसेक्स में गिरावट तब आई जब ग्रीस की स्थिति से चिंतित निवेषकों ने अपने स्टॉक बेचने शुरू किए. बुधवार को ही ग्रीस की राजधानी एथेंस में लगभग 50,000 लोग सरकार के बचत कार्यक्रम का विरोध करने सड़कों पर उतरे थे. एक पेट्रोल बम हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन इतनी हिंसा के बाद भी ग्रीस के वित्त मंत्री जॉर्द पापाकोंस्तांतीनू ने कहा है कि सरकार के बचत कार्यक्रम कोई विकल्प नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादन: महेश झा