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ग्रीस संकट पर पर्दे के पीछे कोशिश

१ जुलाई २०१५

ग्रीस ने कर्जदाताओं की ज्यादातर मौजूदा मांगों को मानने की तैयारी जताई है, लेकिन जर्मन वित्तमंत्री वोल्फगांग शॉएब्ले ने ग्रीक प्रधानमंत्री अलेक्सिस सिप्रास की पेशकश ठुकरा दी है और कहा कि हल के लिए न्यूनतम भरोसा जरूरी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Pantzartzi

मंगलवार रात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को कर्ज की किस्त चुकाने की समय सीमा बीत जाने के बाद एक ओर रविवार को होने वाले जनमत संग्रह का इंतजार है तो दूसरी ओर उससे पहले पर्दे के पीछे समझौते की गहन कोशिश चल रही है. इस बात की आशंका है कि अगर मतदाता जनमत संग्रह में कर्जदाताओं की मांग ठुकराते हैं तो ग्रीस यूरोपीय संघ से बाहर जा सकता है. ग्रीस ने इस हफ्ते से पूंजी के प्रवाह पर नियंत्रण लगा दिया है और बैंक से धन निकालने पर सीमा तय कर दी है.

यूरोजोन के वित्त मंत्री टेलीफोन कॉन्फ्रेंस में ग्रीस की वर्तमान पेशकश पर विचार करेंगे जिसे प्रधानमंत्री सिप्रास ने यूरोपीय आयोग, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुखों को भेजा है. इसमें कर्जदाताओं के प्रस्ताव में सुधारों, संशोधनों और स्पष्टीकरणों के अलावा तीसरे बेलआउट प्रोग्राम का आग्रह किया गया है.

सिप्रास की पेशकश में ग्रीस के द्वीपों के लिए टैक्स में छूट, कुछ पेंशन सुधारों को अक्टूबर तक टालने और गरीब पेंशनधारियों के लिए एकजुटता सबसिडी जारी रखने की मांग की गई है. यूरोपीय आयोग इन प्रस्तावों पर विचार कर रहा है. यूरोजोन के सदस्य आगे का कदम तय करेंगे. लेकिन जर्मन वित्त मंत्री शॉएब्ले ने कहा है कि बेलआउट की अवधि बीतने के साथ ही कर्जदाताओं की पुरानी पेशकश भी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि कोई भी नया बेलआउट पैकेज नई शर्तों के साथ जुड़ा होगा. "हम अब एकदम अलग स्थिति में हैं." शॉएब्ले ने कहा कि वे इस बात पर चकित हैं कि ग्रीक सरकार ने किस तरह से अपने देश और जनता को इस स्थिति में पहुंचाया है.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बर्लिन में संसद को संबोधित करते हुए कहा कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन साथ ही कहा कि रविवार से पहले नए बेलआउट प्रोग्राम पर बातचीत नहीं होगी. उन्होंने कहा, "हर कीमत पर समझौता नहीं हो सकता है." उधर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने ग्रीस कर्ज विवाद में धीमी प्रगति पर निराशा जताते हुए फौरन समझौते की मांग की और कहा कि ग्रीस और यूरोजोन के दूसरे देशों का कर्तव्य है कि उसे यूरोजोन में रखा जाए. उन्होंने कहा कि यह वीटो और दुराग्रही बयानों का नहीं बल्कि संवाद का समय है.

इस बीच ग्रीस में एक सर्वे में 46 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वे रविवार को 'नहीं' वोट करेंगे. प्रोराटा द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 37 प्रतिशत ने कहा है कि वे 'हां' वोट करेंगे. पचास फीसदी लोगों ने कहा है कि वे सिप्रास द्वारा जनमत संग्रह कराए जाने के फैसले का स्वागत करते हैं. शुक्रवार को इस घोषणा के बाद ग्रीस और कर्जदाताओं के बीच कई महीनों से चली आ रही बातचीत अचानक टूट गई. इस बीच यूरोप परिषद ने कहा है कि ग्रीक जनमत संग्रह जल्दबादी में आयोजित किया जा रहा है और यूरोपीय स्तर के अनुरूप नहीं है. परिषद के महासचिव के प्रवक्ता डैनियल होल्टगन ने कहा, "साफ है कि हमारे मानकों के अनुसार टाइमलाइन बहुत छोटा है."

एमजे/एसएफ (डीपीए, रॉयटर्स)