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चांद पर कदम रखने वाले आर्मस्ट्रांग 80 के हुए

६ अगस्त २०१०

भविष्य का दरवाज़ा खोलते हुए चार दशक पहले चांद पर पहली बार क़दम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग अस्सी साल के हो गए. मीडिया की चकाचौंध से दूर रहने वाले नील आर्मस्ट्रांग के जन्म दिन पर कोई बडीं पार्टी नहीं हो रही है.

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आर्मस्ट्रांग 1999 में बर्लिन मेंतस्वीर: dpa

अमेरिका के प्रदेश ओहायो के वापाकोनेटा में 5 अगस्त 1930 को नील आर्मस्ट्रांग का जन्म हुआ. बचपन से ही उन्हें हवाई उड़ान से लगाव था और एक किशोर के रूप में वे पास के एक हवाई अड्डे में काम करते रहे.

15 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने पायलट की ट्रेनिंग शुरू की और अपने 16वें जन्मदिन को ही उन्हें पायलट का लाइसेंस मिल चुका था. फिर वे नौसेना में शामिल हुए और कोरियाई युद्ध के दौरान उन्होंने 78 उड़ानें भरी. युद्ध के बाद उन्होंने परडु युनिवर्सिटी में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और उसके बाद दक्षिण कैलिफ़ोर्निया युनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमएससी की पढ़ाई की. सन 1955 में वे कैलिफ़ोर्निया के एडवर्डस् एयरफोर्स बेस में टेस्ट पायलट बने, जहां उन्हें 50 अलग-अलग प्रकार के हवाई जहाज़ों में उड़ान भरने का मौका मिला.

Neil Armstrong mit USA Flagge auf dem Mond
चांद पर पहला कदमतस्वीर: AP

सात साल बाद 1962 में वो टेक्सास के युस्टन में नासा के प्रशिक्षण केंद्र में अंतरिक्ष यात्री के रूप में ट्रेनिंग के लिए चुने गए. 1966 में उन्हें पहली अंतरिक्ष उड़ान का मौका मिला जब वे डेविड स्कॉट के साथ जेमिनी 8 मिशन में शामिल हुए. फिर आया 20 जुलाई 1969 का वह दिन, जब चांद की धरती से उनकी आवाज़ सुनने को मिली.

"यह एक इंसान का एक क़दम है, मानवजाति के लिए एक लंबी छलांग." नील आर्मस्ट्रांग उस समय 39 साल के भी नहीं हुए थे. दो साल बाद नासा से रिटायर करने के बाद वे सिनसिनाटी युनिवर्सिटी में लगभग दस साल तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाते रहे. साथ ही वे लीअर जेट, युनाइटेड एअरलाइंस या मैराथन ऑयल जैसी कई कंपनियों के निर्देशक मंडल के सदस्य थे.

नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र हैं. वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते हैं. सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चांद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए. दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था. परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भट्टाचार्य

संपादन: महेश झा