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आप्रवासन कानून की समीक्षा

६ मार्च २०१५

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि वह अाप्रवासन कानून में सुधारों की खुद समीक्षा करेंगी. उन्होंने इस मुद्दे पर गठबंधन में मतभेद की खबरों से इनकार किया है.

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तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

जर्मन सरकार में शामिल सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) ने मांग की है कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अाप्रवासन कानून को लेकर एक अंक सिस्टम बनाए. एसपीडी की इस मांग का जवाब देते हुए क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू) की नेता और चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा, "पहले मैं अपनी राय बनाऊंगी. चलिए देखते हैं कि अाप्रवासन के मामले में हम क्या कर सकते हैं."

एसपीडी के दबाव को कम करते हुए जर्मन चांसलर ने कहा, अाप्रवासन कानून में सुधार "हमारे गठबंधन समझौते का हिस्सा नहीं है, इसका मतलब है कि इस मामले में कोई विवाद नहीं है."

मैर्केल ने माना कि विस्थापन की वजह से जर्मनी में अाप्रवासियों की संख्या काफी बढ़ी है. प्रांतीय सरकारें इससे होने वाली परेशानी का सामना कर रही है. चांसलर ने भरोसा दिलाया की बर्लिन इस मुद्दे को हल करने की कोशिश करेगा.

नया कानून या सुधार

जर्मन संसद बुंडेसटाग के निचले सदन में एसपीडी के नेता थोमास ओपरमन ने आप्रवासन कानून को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया है. यह कनाडा के कानून की तरह है. इसमें कुशल कामगारों को आकर्षित करने के लिए प्वाइंट सिस्टम है. ओपरमन के मुताबिक जर्मनी को हर साल तीन से चार लाख कुशल कामगारों की जरूरत है.

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हिंसाग्रस्त इलाकों से यूरोप आतेतस्वीर: Reuters/Massimo Sestini/World Press Photo

सीडीयू के मिषाएल ग्रोसे-ब्रोएमर पर गठबंधन की पार्टियों के अच्छे आपसी संबंधों की जिम्मेदारी है. लेकिन वह आप्रवासन कानून में बदलाव के एसपीडी के फॉर्मूले से सहमत नहीं है. ग्रोसे-ब्रोएमर ने साफ शब्दों में एसपीडी के फॉर्मूले को दरकिनार करते हुए कहा, "कामगारों को रिझाने के लिए इस अंक सिस्टम की जरूरत नहीं है. हमें नए कानून की जरूरत नहीं है."

उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा का सिस्टम कोई बहुत बढ़िया तरीका नहीं हैं. जर्मन रेजीडेंसी लॉ की वकालत करते हुए ग्रोसे-ब्रोएमर ने कहा कि हमारा कानून अन्य सुविधाओं के साथ रोजगार का भी सबूत देता है.

सीडीयू के नेता और देश के गृह मंत्री थोमास दे मेजियर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही, "हमारे पास एक अच्छा आप्रवासन कानून है. हम उसी में कुछ सुधार कर सकते हैं." नए कानून की मांग को उन्होंने भी अस्वीकार किया.

क्यों शुरू हुई बहस

जर्मनी में हाल के समय में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या ने आप्रवासन की बहस फिर से छेड़ दिया है. दो दक्षिणपंथी गुटों, अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) और इस्लाम विरोधी आंदोलन पेगीडा के चलते यह मुद्दा केंद्र में आ रहा है.

Jesiden in Syrien Afrin
तस्वीर: DW/K. Sheikho

एएफडी बड़ी पार्टियों के वोटरों को अपनी तरफ खिसका रही है. ओपिनियन पोलों के मुताबिक 2017 के आम चुनावों में एएफडी संसद में दाखिल हो सकती है. जर्मनी में किसी पार्टी को संसद में दाखिल होने के लिए कम से कम पांच फीसदी वोट जुटाने होते हैं.

सीडीयू के नेताओं ने यह स्वीकार किया कि जर्मनी को कुशल कामगारों की सख्त जरूरत है. लेकिन यह भी कहा कि उद्योग मौजूदा कानून से खुश हैं. सीडीयू की सिस्टर पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) भी मौजूदा कानून में ही सुधार करने को बेहतर विकल्प मानती है. सीएसयू ने नए कानून के बजाए जर्मन समाज में विदेशियों के घुलने मिलने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर जोर दिया है.

जर्मन पुलिस के मुताबिक 2014 में गैरकानूनी आप्रवासन के 57,000 मामले सामने आए. 2013 के मुकाबले यह संख्या 75 फीसदी ज्यादा है. इनके अलावा 30 हजार लोगों को गैरकानूनी तरीके से जर्मनी में घुसने से रोका गया. गैरकानूनी आप्रवासियों में से ज्यादातर लोग हिंसा प्रभावित देशों सीरिया (14,029), इरीट्रिया (7,945) और अफगानिस्तान (3,756) से आए.

ओएसजे/आरआर (डीपीए)