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चिड़ियों का आकार छोटा क्यों हो रहा है?

५ दिसम्बर २०१९

करीब चार दशकों तक हजारों परिंदों पर रिसर्च करने के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे है कि चिड़ियों का आकार छोटा हो रहा है. वो सिकुड़ रही हैं.

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Wasservogel Alpenstrandläufer
तस्वीर: Schutzstation-Wattenmeer.de

उत्तरी अमेरिका के शिकागो में इमारतों में घुस कर या फिर उनसे टकरा कर मर जाने वाली  चिड़ियों का ब्यौरा वैज्ञानिक 1978 से ही रख रहे थे. खासतौर से वसंत और पतझड़ के मौसम में प्रवासी पक्षी एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं और इस दौरान इस तरह की घटनाएं बहुत होती हैं. रिसर्चरों ने इतने सालों के विस्तृत ब्यौरे का अध्ययन करने पर देखा है कि चिड़ियों का आकार छोटा हो रहा है.

4 दिसंबर 2019 को इस बारे में एक रिसर्च रिपोर्ट इकोलॉजी लेटर्स जर्नल में छपी है. यह रिपोर्ट 1978 से 2016 के बीच मारी गई 70,716 चिड़ियों का अध्ययन करने के बाद तैयार की गई है. दिलचस्प यह है कि एक तरफ जहां परिंदों का आकार छोटा हो रहा है वहीं उनके पंखों का विस्तार बढ़ गया है.

इन नतीजों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि मुमकिन है कि गर्म होते वातावरण ने उत्तरी अमेरिका और शायद पूरी दुनिया की चिड़ियों के आकार पर असर डाला है. उन्होंने बैर्गमैन के सिद्धांत का हवाला दिया है. इस सिद्धांत के मुताबिक एक ही प्रजाति के जीव गर्म वातावरण में थोड़े छोटे और ठंडे वातावरण में थोड़े बड़े होते हैं. माना जा रहा है कि समय के साथ तापमान बढ़ने के कारण कुछ प्रजातियों के जीव आकार में छोटे हो रहे हैं.

USA Chicago | 70,716 Zugvögel Starben bei Aufprall mit Gebäuden in Chicago über einen Zeitraum von vier Jahrzehnten
तस्वीर: Reuters/K. Golembiewski

रिसर्च में 52 प्रजातियों के जीवों पर ध्यान दिया गया है. इनमें ज्यादातर चहकने वाली चिड़ियां हैं जिसमें गौरैया, वार्बलर और दूसरे पक्षी शामिल हैं. रिसर्चरों ने खिड़की से टकरा कर जमीन पर गिरने और फिर मर जाने वाली चिड़ियों को मापा और उनके वजन का रिकॉर्ड रखा. 

बीते चार दशकों में सभी 52 प्रजातियों की चिड़ियों के शरीर का आकार छोटा हो गया है. शरीर का औसतन वजन भी 2.6 फीसदी कम हुआ है जबकि पैर की हड्डी की लंबाई करीब 2.4 फीसदी घट गई है. इसकी तुलना में चिड़ियों के डैनों का विस्तार 1.3 फीसदी बढ़ गया है. रिसर्चरों के मुताबिक मुमकिन है कि इस वजह से छोटे होते ये पक्षी बड़े डैनों की मदद से दूर दूर तक प्रवास करने में सफल हो रहे हैं.

रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक ब्रायन वीक्स मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एंवायरनमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी के जीवविज्ञानी हैं. उन्होंने कहा, "दूसरे शब्दों में जलवायु परिवर्तन ऐसा लगता है कि इन प्रजातियों के आकार और सूरत दोनों में बदलाव ला रहा है." इसी कड़ी में शिकागो के फील्ड म्यूजियम के कलेक्शंस मैनेजर एमेरिटस डेव विलार्ड का कहना है,"हर कोई मानता है कि वातावरण गर्म हो रहा है लेकिन इसका असर जीवों पर कैसे हो रहा है इसके उदाहरण अब सामने आ रहे हैं."

यह रिसर्च उत्तरी अमेरिका की चिड़ियों की चिंताजनक स्थिति के सबूत लाई है. सितंबर में छपी रिसर्चर रिपोर्ट से पता चला था कि अमेरिका और कनाडा में चिड़ियों की तादाद 29 प्रतिशत कम हो गई है. रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 1970 के बाद से करीब 2.9 अरब परिंदे अमेरिका और कनाडा के आकाश से गायब हो गए हैं. वीक्स का कहना है, "मेरे ख्याल से इसका संदेश यह है कि जिस तरह से इंसान दुनिया को अभूतपूर्व दर से और बड़े पैमाने पर बदल रहा है उससे पर्यावरण में परिवर्तन के व्यापक और जैविक नतीजे होंगे."

एनआर/ओएसजे(रॉयटर्स)

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