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चिली के सभी खनिक आए बाहर

१४ अक्टूबर २०१०

चिली की खदान से मजदूरों का निकालने का काम पूरा हो गया है. इस काम में 22 घंटे 36 मिनट 24 सेकंड्स का वक्त लगा. और जैसे ही आखिरी खनिक बाहर आया पूरा चिली जश्न में डूब गया.

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तस्वीर: AP

सबसे आखिर में लुई उरुजुआ बाहर आए. वह खदान में एक शिफ्ट फोरमैन के रूप में काम कर रहे थे. 54 साल के उरुजुआ फंसे हुए ग्रुप के लीडर की भूमिका में थे.

32वं नंबर पर बाहर आए 29 साल के एरियल तिकोना. एरियल के लिए इस खदान से बाहर आना एक रूप से दूसरे रूप में आने जैसा था क्योंकि खदान में फंसे होने के दौरान ही वह पिता बने. उनकी पत्नी ने खदान हादसे के 40 दिन बाद एक बेटी को जन्म दिया. इस तरह उन्होंने बाहर आने के बाद न सिर्फ बच जाने की बधाई स्वीकारी बल्कि पिता बनने के लिए भी लोगों ने उन्हें बधा दी.

पेड्रो कोर्तेस का कैप्सूल जब बाहर आ रहा था तब उनकी बेटी भरी आंखों से उनका इंतजार कर रही थी. और जैसे उनका कैप्सूल नजर आया वह फफक पड़ी. 31 साल के पेड्रो के कैप्सूल के बार आने तक वह अपनी जगह से हिली भी नहीं और लगातार उन्हें देखती रही. जब पेड्रो बाहर आए तो हाथ में गुब्बार थामे उनकी बेटी धीरे से उनके पास गई और उनसे लिपट गई. 31वें नंबर पर बाहर आए पेड्रो ने उसे भींच लिया. कुछ देर तक चले इस भावुक मिलन के बाद दोनों अलग हुए और फिर पेड्रो राष्ट्रपति व अन्य लोगों से मिले.

30वें नंबर पर बाहर आए राउल ई बुस्तोस. उनके कैप्सुल के नजर आते ही उनका परिवार खुशी से झूमने और तालियां बजाने लगा. 40 साल के बुस्तोस एक फोरमैन और हाइड्रॉलिक इंजीनियर हैं. बाहर आते ही उन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी को चूमा और फिर सभी राहतकर्मियों से हाथ मिलाया.

खुआन कार्लोस ऑगुलियर खनिकों के बाहर आना शुरू होने के 20 घंटे 55 मिनट बाद बाहर आए. 29वें नंबर पर आए खुआन 49 साल के हैं. वह एक मेकेनिक हैं. लॉस लागोस शहर के रहने वाले खुआन खदान में सुपरवाइजर थे.

27 साल के रिचार्ड आर विलियारोएल ऊपर आने के बाद कैप्सलू से बाहर निकले तो उन्होंने अपने हाथ में चिली का झंडा पकड़ा हुआ था. उन्होंने यह झंडा जब लहराया तो दिखाई दिया कि उस पर सभी खनिकों ने दस्तखत किए हुए थे. जब राहतकर्मी उनकी सुरक्षा पेटियां खोल रहे थे तो उनके परिवारजन बेसब्र हुए जा रहे थे. एक महिला तो पेटियों के खुलने का इंतजार ही नहीं कर सकीं और उनसे लिपट गईं.

जब फ्रैंकलिन लोबोस बाहर आए तो एक फुटबॉल उनका इंतजार कर रही थी. कैप्सूल से बाहर कदम रखते ही एक फुटबॉल उनकी ओर उछाली गई. उन्होंने अपने पांव से इसे हल्के से उछाल दिया. यह संकेत था कि वह ठीकठाक हैं और खुश हैं. दरअसल 27वें नंबर पर बाहर आने वाले लोबोस एक प्रोफेशनल फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं. हालांकि खदान में उन्होंने एक इलेक्ट्रिशन की भूमिका निभाई.

54 साल के खोजे हेनरीकेस बाहर आ गए हैं. 24वें नंबर पर बाहर आए हेनरीकेस ने फंसे हुए खनिकों के लिए अध्यात्मिक नेता की भूमिका निभाई और उन्हें शांति पहुंचाने के लिए संदेश दिए.

इससे पहले 27 साल के कार्लोस बुगेनो बाहर आने वाले 23वें खनिक बने. जब उन्हें कैप्सूल से बाहर निकाला गया तो राष्ट्रपति सेबास्टियन पिनेरा और बाकी अधिकारियों ने उन्हें गले लगाकर बधाई दी. इसके बाद उन्हें अस्पताल भेज दिया गया.

बाहर आने वाले 22 खनिक सैम्युअल एवालॉस हैं. 43 साल के एवालॉस के बाहर आते ही लोगों ने तालियां बजाईं और सबने हाथ उठाकर उनका स्वागत किया. उसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.

इससे पहले भारी भरकम ड्रिल और क्रेनों के शोर के बीच धरती के गर्भ से जीवन और उसकी उमंग निकली. जमीन में 624 मीटर नीचे, 69 दिनों से फंसे खनिक बुधवार होते होते चमत्कार का उदाहरण बनने लगे. अत्याधुनिक तकनीक की मदद से पहले चार खनिकों को सफलता पूर्वक खदान से बाहर निकाला गया. उनके बाहर आते ही नजारा एक भावुक महोत्सव जैसा हो गया.

एक खनिक कार्लोस ममानी रोते हुए अपनी पत्नी से लिपट गया. दोनों काफी देर तक एक दूसरे को बार बार देखते रहे. ममानी ने कहा, ''मैं बेहद खुश हूं और अब भी मेरा दिल तेजी से धड़क रहा है. इतने दिनों से हम इस घड़ी का सपना देख रहे थे. मेरी उम्र अब चालीस है और मैं कह सकता हूं कि अब एक नई जिंदगी शुरू हो रही है, मेरी प्यारी पत्नी और प्यारे बच्चों के साथ.''

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भावुक हुआ माहौलतस्वीर: AP

मौत को मात देकर आए कुछ खनिकों को मौके पर मौजूद चिली के राष्ट्रपति सेबास्टियन पिनेरा ने सीने से लगा लिया. सोने और तांबे की खदान से निकले खनिकों को बेशकीमती रत्न की तरह प्यार दिया गया.

राष्ट्रपति पिनेरा ने कहा, '' फ्लोरेंसियो ने मुझसे आभार व्यक्त किया. सिर्फ वही नहीं, बल्कि 69 दिनों से खान के नीचे इंतजार करने वाले सभी लोगों को ढाढ़स बंधा है. समूचे चिली और उसके लोगों को धन्यवाद कि इन 33 लोगों को कभी यह नहीं महसूस हुआ कि वे अकेले हैं.''

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खनिकों को गले लगाते राष्ट्रपतितस्वीर: AP

ये खनिक पांच अगस्त को एक दुर्घटना के बाद खदान में फंस गए. शुरुआती दस दिनों तक इनका कोई सुराग नहीं मिला और ये माना जाने लगा कि सभी की मौत हो गई है. लेकिन फिर एक दिन खदान की गहराई तक पहंचने वाले ड्रिल के छोर पर खटखट की आवाज सुनाई दी. जब बचाव दल ने इस ड्रिल को बाहर निकाला, तो उस पर लिखा था, "हम 33 लोग यहां ठीक हैं."

खनिकों के फंसने के 17 दिन बाद एक सुराख करके वीडियो कैमरा खदान में डाला गया तो पता चला कि सभी खनिक सकुशल हैं और स्वस्थ्य हैं. इसके बाद करीब दो महीने तक राहत और बचाव का काम चला. दुनिया के कई देशों के विशेष किस्म की मशीनें मंगाई गईं, आखिरकार बुधवार को खनिकों की हौंसले और उनकी जिंदगी को अहमियत देने की कोशिशें रंग ले ही आईं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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