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चीनी आक्रामकता के साए में आसियान के साथ संबंधों के तीस साल

राहुल मिश्र
९ जून २०२१

चीन और दक्षिण एशियाई देशों के संगठन आसियान के दस देश अपने संबंधों की तीसवीं सालगिरह मनाने के लिए चीन के चोंगचिंग शहर में इकट्ठा हुए थे. लेकिन माहौल दोस्ती और उमंग से कहीं ज्यादा संदेह और छल के अहसास का था.

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China Chongqing,  ASEAN Treffen DOC
तस्वीर: Wang Quanchao/Xinhu/picture alliance

चीन और आसियान देशों के बीच संबंधों की स्थापना को तीस साल हो चुके हैं लेकिन मलेशिया समेत दक्षिणपूर्व एशिया के तमाम आसियान देशों के लिए यह उतना खुशनुमा मौका नहीं था. हाल ही में सदस्य देशों मलेशिया और फिलीपींस के साथ जो घटनाएं हुई हैं, उनका साया इस सम्मेलन पर भी था. मलेशिया और फिलीपींस ने हाल ही में चीनी सेना और मछुआरे नौकाओं के व्यवहार पर विरोध जताया था. आसियान देशों और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण चीन सागर में संयम बरतने की बात तय हुई. आसियान ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्रियों ने इलाके में तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाईयों से बचने की भी बात कही. पिछले दिनों मलेशिया से चीन का विवाद दिलचस्प है क्योंकि वह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में आर्थिक, सैन्य, और कूटनीतिक मानदंडों पर चीन के सबसे करीबी देशों में एक है.

मलेशिया के साथ चीन के संबंध काफी अच्छे रहे हैं. बरसों की तल्खी के बाद 1974 में जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना हुई, तब से इनमें व्यापक बदलाव आया है. खास तौर पर पिछले दो दशकों में इन रिश्तों में ज्यादा नजदीकियां आयी हैं. लेकिन जिस चीन के लिए मलेशिया पालक पांवड़े बिछा कर बैठा रहता है जब उसी चीन ने मलेशिया की सीमा में एक के बाद एक अतिक्रमण करना शुरू किया तो मलेशिया की हैरानी और परेशानी का ठिकाना नहीं रहा. 31 मई को जब चीन के लड़ाकू विमान मलेशिया की हवाई सीमा में बिना इजाजत उड़ते पाए गए तो इससे मलेशिया की वायु सेना में काफी रोष दिखा.

Taiwan Chinesisches Militär zeigt Präsenz
चीन के जहाज इलाके में अतिक्रमण करते रहते हैंतस्वीर: Ministry of National Defense, Taiwan (R.O.C.)

मलेशिया का खुला विरोध

जिस इलाके में चीनी लड़ाकू विमान उड़ते पाये गए वह मलेशिया के विशेष आर्थिक क्षेत्र में आता है लेकिन चीन उस पर अपना अधिकार जमाने की चेष्टा करता रहा है. दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीनी सेना और मिलीशिया का अतिक्रमण आम हो चुका है. मलेशिया अतिक्रमण की इन घटनाओं पर ज्यादा शोर शराबा करने के बजाय सार्वजनिक तौर पर दबी जबान विरोध करता रहा है. चीन को इस बात का अच्छी तरह अंदाजा है कि कोविड-19 महामारी के बीच वैक्सीन की कमी से जूझ रहे मलेशिया के लिए चीन के इस आक्रामक कदम का तुरंत जवाब देना संभव नहीं होगा. लेकिन ऐसी उम्मीदों के उलट मलेशिया ने चीन की हवाई अतिक्रमण की हरकत पर जमकर विरोध जताया.

विदेश मंत्री हिशमुद्दीन हुसैन ने आधिकारिक  वक्तव्य जारी करने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी चीनी सेना की हरकत की आलोचना की. उसी दिन मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने चीनी राजदूत ओयांग यूजिंग को तलब किया और अपनी सरकार का विरोध जताया. हालंकि चीनी लड़ाकू विमान मलेशिया की सीमा में सरावाक प्रांत के हवाई जोन के अंदर 110 किलोमीटर तक आ गए थे, लेकिन चीन इस बात से ही साफ मुकर गया कि उसके जहाज मलेशिया की सीमा में गलती से भी घुसे थे. वहीं चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि हवाई उड़ान तो हुई थी लेकिन वह एक रेस्क्यू आपरेशन प्रक्रिया का हिस्सा थी. चीनी मीडिया के कुछ हलकों में यह भी कहा गया कि मलेशिया इस बात को जरूरत से ज्यादा तूल दे रहा है. वह देश जिनके साथ चीन के संबंध आम तौर पर खटास भरे रहते हैं उनकी बातों को तो दरकिनार कर भी दिया जाय लेकिन उस देश का क्या जिसने चीन के साथ संबंधों में कभी कोई खरोंच न आने देने की हर कोशिश की है?

गौर से देखा जाय तो मलेशिया की सिर्फ यही गलती है कि दक्षिण चीन सागर के कुछ विवादित क्षेत्रों में उसकी भी दावेदारी है और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य दावेदारों, ब्रूनेई, फिलीपींस और वियतनाम की तरह वह भी इस क्षेत्र को विवादित मानता है. स्प्रैटली द्वीपसमूहों के अलावा सरावाक प्रांत के नजदीक लूकोनिया शोएल पर मलेशिया की दावेदारी है. यह इलाका मलेशिया के लिए खासी अहमियत रखता है क्योंकि हाइड्रोकार्बन संसाधनों के अलावा जैविक समुद्री संसाधन और मछलियां भी यहां प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं. लेकिन दक्षिण चीन सागर के मामले में भी वियतनाम जैसे देशों के उलट मलेशिया चीन या किसी और देश के साथ विवाद को कम से कम हवा देने में यकीन रखता है.

Infografik Karte Gebietsansprüche im Südchinesischen Meer EN
दक्षिण चीन सागर में इलाके के देशों के दावे

चीन के लिए भी अहम हैं मलेशिया से रिश्ते

मलेशिया के पांव में बेड़ियां कई हैं जिनकी वजह से वह चीन को लेकर सजग लेकिन शांत रहता है. आर्थिक मामलों में चीन मलेशिया का सबसे बड़ा सहयोगी है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत होने के अलावा चीन मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर भी है. कोविड की मार झेल रही मलेशियाई अर्थव्यवस्था के लिए चीन उम्मीद की एक बड़ी किरण है. चीन के कुछ अहम औद्योगिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश मलेशिया को चीनी कंपनियों पर बहुत निर्भर बनाते हैं. वैक्सीन का ही उदाहरण ले लीजिए. वैसे तो मलेशिया ने बड़े पैमाने पर फाइजर वैक्सीन मंगाने का करार अमेरिकन कंपनी से कर रखा है लेकिन फाइजर ने मलेशिया को एक तो जरूरत से कम टीके दिए हैं और आपूर्ति में भी देरी की है. ऐसे में चीन की वैक्सीन पर निर्भर रहने के अलावा मलेशिया सरकार के पास कोई और चारा नहीं है.

दक्षिण चीन सागर में विवादों के बीच, चीन ने नाइन-डैश लाइन के जरिये अपने रवैए को और आक्रामक बनाया है. इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, जापान, और ताइवान जैसे देशों की सीमाओं में लगातार अतिक्रमण किया है जिससे इन देशों ने भी अपने तेवर तीखे करने शुरू कर दिए हैं. मलेशिया सैन्य तौर पर तो चीन को नुकसान नहीं पहुंचा सकता लेकिन कूटनीतिक तौर पर मलेशिया की नाराजगी लंबे दौर में चीन को महंगी पड़ सकती है. मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में उसके गिने चुने दोस्तों की फेरहिस्त में है. मलेशिया ने दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की कूटनीतिक पकड़ और सॉफ्ट पावर बढ़ाने में योगदान दिया है. चीनी हवाई अतिक्रमण की यह घटना अपने आप में एक अपवाद बनी रहे यही चीन और मलेशिया संबंधों के लिए बेहतर होगा.

राहुल मिश्र मलाया विश्वविद्यालय के एशिया-यूरोप संस्थान में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं.