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चीन की मजबूती और भारत का महत्व

महेश झा२७ जनवरी २०१५

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तीन दिन के भारत दौरे पर भारतीयों का दिल जीतने और भारत को अमेरिका के और करीब लाने की कोशिश की है. दौरे की भारत के पड़ोसी देशों के अलावा पश्चिम में भी प्रतिक्रिया हुई है.

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Indien Barack Obama in Neu Delhi 25.01.2015
तस्वीर: Reuters/J. Bourg

ओबामा ने भारत को अमेरिका का असली ग्लोबल पार्टनर बताया लेकिन उसकी भारत को करीब लाने की कोशिश चीन पर भी लक्षित है. जर्मन साप्ताहिक डी साइट के ऑनलाइन एडीशन ने लिखा है कि हिंदू राष्ट्रवादी नरेंद्र मोदी उदारवादी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को कुछ भी नहीं जोड़ता, "दोनों सरकार प्रमुखों को उनके विरोधी जोड़ते हैं." और ये विरोधी हैं इस्लामी कट्टरपंथी जो दोनों ही देशों को लंबे समय से निशाने पर लिए हैं. लेकिन दोनों को चीन से भी खतरा है. जर्मनी के ज्यूड डॉयचे साइटुंग का कहना है कि चीन जितना मजबूत होगा दक्षिण एशिया में भारत का महत्व उतना ही बढ़ेगा.

एक ओर चीन ने भारत और अमेरिका के प्रशांत सागर में भावी इरादों पर चेतावनी दी है और कहा है कि दोनों देशों को दक्षिणी चीन सागर के विवादों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. लेकिन दूसरी ओर भारत और अमेरिका की निकटता को देखते हुए चीन ने दोस्ती का हाथ भी बढ़ाया है.

ओबामा के भारत आने के बाद से ही नरेंद्र मोदी मीडिया और ओबामा पर छाए हुए थे. जाने से पहले दो टूक बात कर और भारत को आइना दिखाकर ओबामा छा गए.

ओबामा ने अपने अंतिम भाषण में कहा कि देश तभी तक प्रगति कर सकता है जब तक धार्मिक एकता बनी रहे.

मोदी और राजनीतिक वर्ग पर चोट करने के लिए ओबामा के भाषण का सहारा लिया जा रहा है.

तो दूसरी ओर ओबामा के सफल दौरे के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराने वाले लोग भी हैं.