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चीन में स्मॉग से लंग कैंसर के मामले बढ़े

१० नवम्बर २०१७

चीन में पिछले 10 से 15 सालों में लंग कैसर के मामलों में खासी तेजी आयी है. इसकी वजह स्मॉग और वायु प्रदूषण को माना जा रहा है.

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Krebs Krebszelle Illustration Lungenkrebs
तस्वीर: Imago/Science Photo Library

चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली की रिपोर्ट में चाइना एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि ऐसे लोगों में भी लंग कैंसर पाया गया है, जिनमें इसकी उम्मीद नहीं की जाती. इनमें खास तौर से महिलाएं और धूम्रपान न करने वाले लोग शामिल हैं. चाइना डेली के मुताबिक इससे पता चलता है कि लंग कैंसर की इकलौती वजह सिर्फ धूम्रपान नहीं है. 

अनुमान है कि चीन में 30 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं, लेकिन अखबार का कहना है कि ऐसे कैंसर के मामलों में बहुत बढोत्तरी देखने को मिली जो फेंफड़ों में बहुत गहराई में जाकर हो रहा और उसकी वजह तंबाकू नहीं है.

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स्मॉग से निपटने के लिए अब होगा पानी का छिड़काव

चीन गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से निपट रहा है और वहां उत्तरी औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण के महीन कणों पीएम2.5 का स्तर अकसर प्रति घनमीटर 300 माइक्रोग्राम से पार चला जाता है.

पिछले साल चीन में राष्ट्रीय औसत 47 माइक्रोग्राम था. चीन में एक चौथाई शहर ही 35 माइक्रोग्राम के आधिकारिक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को मान रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह स्तर 10 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

इसी साल एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट कहती है कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों को पूरा करते हुए अपनी हवा की गुणवत्ता को सुधार सके तो वह अपने यहां समय से पहले मरने वाले 30 लाख लोगों को बचा सकता है.

कसरत करेगी कैंसर से उबरने में मदद

ताजा आंकड़ों के अनुसार चीन में 2015 में 43 लाख कैंसर के नये रोगी सामने आये. इनमें से 7.3 लाख मरीज लंग कैंसर के हैं. चीन में होने वाली एक चौथाई मौतें कैंसर की वजह से ही होती है. इससे देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत दबाव पड़ा है.

चीन में होने वाले कई अध्ययनों में भी कैंसर के बढ़ते रोगियों और वायु प्रदूषण के बीच संबंध का पता चलता है. हेबेई मेडिकल यूनिवर्सिटी की पिछली प्रकाशित रिपोर्ट कहती है कि हेबेई प्रांत में कैसर से मरने वाले लोगों की संख्या 1973-75 के मुकाबले 2010-2011 में तीन गुना हो गयी है. हेबेई को चीन में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाला प्रांत माना जाता है.

इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए जल प्रदूषण और अत्यधिक रासायनिक खादों और पेस्टीसाइड के इस्तेमाल को भी जिम्मेदार माना जा रहा है.

एके/आईबी (रॉयटर्स)