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चुस्त चुनाव प्रचार के बीच जर्मन अर्थव्यवस्था सुस्त

९ अगस्त २०१७

इस हफ्ते जारी आंकड़ों ने ये चिंता पैदा कर दी है कि रफ्तार में चल रही जर्मन अर्थव्यवस्था पर कहीं चुनाव की तैयारियों का असर ना पड़ जाये. क्या अनिश्चित आर्थिक वातावरण का असर चांसलर मैर्केल के चुनावी अभियान पर भी होगा?

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SALZBURGER FESTSPIELE 2017 Bundeskanzlerin Angela Merkel
तस्वीर: picture-alliance/APA/F. Neumayr

चांसलर अंगेला मैर्केल सितंबर में होने जा रहे राष्ट्रीय चुनाव से पहले अपने राजनीतिक विरोधियों का बड़ी मुस्तैदी से खिंचाई कर रही हैं. आर्थिक मोर्चे पर मिली कामयाबियों ने उनके हमले की धार और तेज कर दी थी हालांकि अचानक से इस हफ्ते जारी हुए आंकड़ों से पता चला है कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में चुनाव प्रचार तेज होने के साथ देश की आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ी है. 

इस हफ्ते के आंकड़े बता रहे है जर्मनी का कारोबार और औद्योगिक उत्पादन दिसंबर के बाद पहली बार बड़ी तेजी से नीचे गया है. इस साल की शुरुआत से ही जो विकास की तेजी दिख रही थी उसमें इसका नीचे जाना मौजूदा सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता.

Wahlplakate in Berlin CDU Angela Merkel
तस्वीर: picture alliance/dpa/B.Pedersen

उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्री के प्रमुख योआखिम लांग कहते हैं, "जर्मन निर्यातक अस्थिर हो गये हैं." हालांकि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय वजहें हैं. खासतौर से रूस और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर जर्मन अर्थव्यवस्था पर पड़ा है संरक्षणवाद के लिए दबाव बढ़ रहा है. अर्थशास्त्रियों को भरोसा है कि जर्मन अर्थव्यवस्था 2017 में तेज विकास के रास्ते पर बनी रहेगी और 12 साल के मैर्केल के शासन में यह विकास का आठवां साल होगा. बावजूद इसके जर्मन औद्योगिक उत्पादन ने हैरान करते हुए जून में 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की. संघीय सांख्यिकी विभाग डेस्टाटिस के मुताबिक जर्मन निर्यात 2.8 फीसदी नीचे गया जबकि आयात 4.5 फीसदी घटा. 

इस तस्वीर को थोड़ा और स्याह कर दिया जर्मन कार उद्योग को घेरे में लेने वाले कई घोटालों की खबर ने जिसमें कार कंपनियों और देश के राजनेताओं के बीच करीबी रिश्तों की बात सामने आई है. कभी देश के लिए सम्मान का प्रतीक रहा कार उद्योग डीजल उत्सर्जन विवाद में घिरा है. कार उद्योग पर 1990 के दशक से ही एक गुप्त कार्टेल में शामिल होने के आरोप लगे हैं. इस विवाद ने देश के निर्यात के एक प्रमुख स्तंभ के साथ ही मेड इन जर्मनी के सम्मान को भी धक्का पहुंचाया है.

जर्मन कार उद्योग के साथ ही जिन बाजारों के लिए जर्मनी निर्यात करता है वहां संरक्षणवाद के जो आरोप लगे हैं वह भी एक चिंता का विषय है. जर्मन चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के सर्वे में पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार में जुटी लगभग हर चौथी कंपनी अलग थलग पड़ने और स्थानीय कंपनियों की पसंदगी को लेकर चिंता में घिरी है. सर्वे के नतीजों में कहा गया है, "कारोबार में बाधाओं के बढ़ने और अमेरिका फर्स्ट जैसी नीतियों के तहत अपनाई जा रही संरक्षणवादी प्रवृत्तियां ज्यादा अनिश्चितता पैदा कर रही हैं."

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के की आर्थिक और कारोबारी नीतियों में अनिश्चितता के खतरों के बीच ही जर्मन और यूरोपिय कंपनियां यूरोपीय संघ से ब्रिटेन की विदाई को लेकर भी समझौता कर रही हैं. सितंबर के चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही है और मैर्केल की रुढ़िवादी क्रिश्चियान डेमोक्रैट्स और उनके बावेरियाई सहयोगी क्रिश्चियान सोशल यूनियन ने अपने प्रतिद्वंद्वी मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैट पर ओपिनियन पोल में अच्छी बढ़त बना ली है. सीडीयू-सीएसयू के साथ ही एसपीडी भी लोगों से चुनाव के बाद टैक्स में कटौती और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने का वादा कर रही है.

इस बीच आईएनजी बैंक के प्रमुख जर्मन अर्थशास्त्री कार्सटन ब्रज्स्की कहते हैं, "भले ही कारोबारी आंकड़े ने जर्मन उद्योग में एक और निराश करने वाला महीना जोड़ दिया है लेकिन हमें नहीं लगता कि जर्मन अर्थव्यवस्था ने तुरंत अपनी ऊंचाई खो दी है. बल्कि मजबूत भरोसे के संकेत बता रहे हैं कि जल्दी ही इसकी क्षतिपूर्ति होगी." कई और अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं कि आंकड़ों में दिखी कमी तात्कालिक है और जर्मन अर्थव्यवस्था की मजबूत सेहत पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा. 

एनआर/ओएसजे