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चेचक के टीकों से छुटकारा

१९ मई २०१४

किसी वायरस से मानव सभ्यता के अस्तित्व पर खतरे के विचार पर कई हॉलीवुड फिल्में बनी हैं. फिल्मी कहानी कहीं हकीकत ना बन जाए, इसलिए डब्ल्यूएचओ को एक मुश्किल फैसला लेना होगा.

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Smallpox vaccine
तस्वीर: Getty Images

चेचक के वायरस को मानव इतिहास का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है. पिछली सदी में इसने 30 करोड़ लोगों की जान ली. दुनिया को चेचक से मुक्त करने के लिए इसके टीके तैयार किए गए और अच्छे नतीजे भी मिले. तीन दशक पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्यलूएचओ ने घोषणा की कि चेचक यानि स्मॉल पॉक्स को जड़ से खत्म कर दिया गया है. लेकिन तीस साल बाद भी टीके के वायरस को संभाल कर रखा गया है. अब चर्चा इस बात पर चल रही है कि क्या इसे हमेशा के लिए नष्ट कर दिया जाए.

कुछ वैज्ञानिक इसके पक्ष में हैं क्योंकि उनका मानना है कि सैम्पल को संभाल कर रखना खतरनाक साबित हो सकता है और क्या पता भविष्य में कभी इसी से एक बार फिर चेचक फैल जाए. वहीं दूसरी ओर कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शोध के लिए वायरस को संभाल कर रखना जरूरी है. उन्हें उम्मीद है कि इसके जरिए अन्य बीमारियों के बारे में भी मदद मिल सकती है.

वायरस से आतंकवाद

चेचक के वारिओला वायरस के कुछ ही नमूने बचे हैं, जिन्हें रूस और अमेरिका की प्रयोगशालाओं में हिफाजत से रखा गया है. ये नमूने लिक्विड नाइट्रोजन में बंद हैं ताकि वायरस सक्रिय ना हो सकें. एक बड़ा खतरा बायो टेररिज्म का है. जानकारों को इस बात का डर है कि अगर वायरस गलत हाथों में पड़ जाता है, तो उसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ये देश भी एक दूसरे के खिलाफ इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. 70 के दशक में सोवियत संघ ऐसा कर चुका है. हालांकि ऐसा माना जाता है कि 90 की शुरुआत में जब सोवियत संघ टूटा, तब इस हथियारनुमा वायरस को भी खत्म कर दिया गया. पर कुछ जानकारों को शक है कि रूस के पास आज भी कुछ नमूने मौजूद हैं.

अगर भविष्य में कभी ऐसा होता है, तो लोगों को बचाना नामुमकिन हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सालों पहले ही चेचक का टीका लगना बंद हो गया था. इन दिनों खसरा यानि मीजल्स का ही टीका लगता है. ऐसे में मानव शरीर में चेचक से लड़ने की क्षमता ही नहीं है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इस वायरस ने 10,000 ईसा पूर्व से ही इंसानों पर वार करना शुरू कर दिया था. हालांकि इसे जड़ से मिटा दिया गया है लेकिन तकनीकी रूप से वायरस को दोबारा जगाना संभव है. डब्यलूएचओ के मानदंडों के अनुसार ऐसा करना अपराध है.

अब सोमवार से एक हफ्ते तक जेनेवा में इस बात पर बहस चलेगी कि क्या चेचक के वायरस के इन नमूनों को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया जाए. डब्ल्यूएचओ के लिए यह फैसला काफी मुश्किल होगा.

रिपोर्ट: नताली मुलर/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा