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छुट्टियों में क्रैश कोर्स

१२ अप्रैल २०१०

सभी स्कूलों में नया साल शुरू हो गया है. जल्द ही गर्मियों की छुट्टियां भी आ जाएंगी. बच्चों ने अभी से प्लैन करना शुरू कर दिया है कि वे उस खाली समय को मजेदार कैसे बनाएंगे.

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छुट्टियों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं पढ़ाई से परेशान बच्चे.तस्वीर: Petr Stojanovski

गर्मियों की छुट्टियां आते ही सभी बच्चों का मस्ती का समय शुरू हो जाता है. पढ़ाई की चिंता कम और किस दोस्त से मिलना है, क्या खेलना है या फिर खाली समय में क्या करना है इसकी चिंता ज़्यादा होती है. स्कूल में रहकर बच्चे बेसब्री से छुट्टियों का इंतज़ार तो करते हैं लेकिन फिर छुट्टियां आते ही यही सोचते रह जाते हैं कि इतने सारे समय का वो क्या करेंगे. पढ़ाई के बोझ से दो महीने के लिए आज़ाद हुए बच्चों के पास अचानक इतना वक्त आ जाता है कि उनके लिए टाइम पास करने के तरीके ढूंढना मुश्किल हो जाता है.

कोर्सेज़ रख़ते हैं बिज़ी

छुट्टियों में कई बच्चे सुबह देर से उठना पसन्द करते हैं. फिर पूरा दिन घर पर बोर होते हैं. मोहित कहते हैं कि, " मैं पहले छुट्टियों का इंतज़ार करता हूं और फिर छुट्टियों में घर में रह कर बोर होता हूं. "

Mazedonien Land und Leute Schüler in einer Grundschule
कंप्यूटर कोर्सेज़ में बच्चों की ख़ास दिलचस्पी होती हैं.तस्वीर: Petr Stojanovski

वहीं नौवी कक्षा में पढ़ रहे संचित कहते हैं कि उन्होने इस बोरियत का हल पिछले साल ही निकाल लिया था. पिछली छुट्टियों में उन्होने काफी सारे कोर्सेस जॉइन किए थे. दिन में वो स्कूल में चल रही कम्प्यूटर क्लास के लिए जाते थे. दोपहर में पेंटिंग की क्लास, शाम को स्विमिंग और फिर देर रात गिटार सीख़ते थे. वह कहते हैं कि, " दो महीने काफी लम्बा समय होता है. पिछले साल की तरह इस बार भी मैं ज़्यादा से ज़्यादा कोर्सेस जॉइन करने की सोच रहा हूं. क्योंकि छुट्टियों का मतलब होता है थोड़ी सी पढ़ाई करना और ज़्यादा ख़ेलना कूदना. छुट्टियों में वही करना चाहिए जो आपको पसन्द हो. इससे हम भी खुश और घरवाले भी खुश. "

तो इन छुट्टियों में बच्चे कुछ अतिरिक्त सीखने, अपने आप को बिज़ी रखने, मन को लुभाने के लिए या फिर अपनी पर्सनैलिटी को उभारने के लिए पेंटिंग, डांस, म्यूज़िक या फिर पर्सनैलिटी डेवेलपमेन्ट जैसी क्लासेस जॉइन कर लेते हैं. इस तरह वे अपना शौक पूरा होने के साथ-साथ नए-नए दोस्त बनाते हैं और साथ मिलकर मज़ा करते हैं.

छुट्टियों का बेहतर इस्तेमाल

सुनीता जी का एक ही बेटा है. उनका मानना है की गर्मी की छुट्टियों को यूं ही बर्बाद नहीं होने देना चाहिए बल्कि इन छुट्टियों का उपयोग बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारने के लिए किया जाना चाहिए. छुट्टियां होते ही उनका ध्यान दक्षिणी दिल्ली के सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र माने जाने वाले 'इंडिया हैबिटेट सेंटर' पर टिक जाती है. वहां हर साल बच्चों के लिए काफी इंटरेस्टिंग और एज्युकेटिव क्लासेस चलाई जाती हैं.

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पेंटिंग भी सीखने का एक ज़रियातस्वीर: DW / Christina Bergmann

वह कहती हैं कि, " इन छुट्टियों में बच्चों के पास काफ़ी ख़ाली समय होता है. घर पर रहकर टीवी देखने से अच्छा है कि बाहर निकल कर कुछ सीख़ा जाए और नए दोस्त बनाए जाएं. फ्यूचर में भी यह बहुत काम आते हैं. "

इन क्लासों से बच्चों को पढ़ाई से दूर एक बदलाव तो मिल ही जाता है, इनके दम पर सभी बच्चे भविष्य के लिए भी बहुत कुछ सीख जाते हैं.

मोना बंसल पिछले कई सालों से छुट्टियों में बच्चों के लिए हॉबी क्लासेस चला रही हैं. उनके पास हर साल सभी उम्र के बच्चे पेंटिंग, कूकिंग, पॉटरी, फ्लावर मेकिंग जैसी एक्टीविटीज़ सीख़ने आते हैं. वह कहती हैं कि, " बच्चे छुट्टियों में काफी रिलैक्स्ड होते हैं. मेरे पास आकर बच्चे कुछ नया सीख़ते हैं, अपनी याग्यताओं को ढूंढते हैं तो मुझे काफी अच्छा महसूस होता है. "

तो अब बच्चों को इंतज़ार है तो बस गर्मियों की छुट्टियों का. अगर आप उन बच्चों में से हैं जिन्होंने अभी तक छुट्टियों में कुछ करने का सोचा ही नहीं हैं तो देर मत कीजिए. अपना सारा समय इधर-उधर गुज़ारने से अच्छा है कि आप कुछ सीख़ लें. लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जान लेना ज़रूरी होगा कि आपको क्या चीज़ें करने में ज़्यादा मज़ा आता है-- पेंटिंग, क्रिएटिव राइटिंग, फोटोग्रफी, लैंग्वेज कोर्सेस आदि. आप बस नाम लीजिए और आपको अपने घर के आस-पास ही कई ट्रेनिंग स्कूल मिल जाएंगे. तो आप इन छुट्टियों में क्या सीख़ रहे हैं?

रिपोर्ट: श्रेया कथूरिया

संपादन: राम यादव