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छूट गए बागराम के खूंखार

१५ फ़रवरी २०१४

बागराम जेल में बंद अफगानिस्तान के 65 खतरनाक कैदियों को छोड़ दिया गया. इनमें कुछ तालिबान सदस्य भी हैं. अमेरिका ने इस फैसले पर अफसोस जताया है, जबकि अफगान सरकार इसे सही ठहरा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

ओबामा प्रशासन ने गुपचुप अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई से सुरक्षा समझौते पर दस्तखत करने को कहना रोक दिया है. हालांकि अमेरिकी अधिकारी कह रहे हैं कि वे इस समझौते पर फौरन दस्तखत के पक्ष में हैं, लेकिन वे इस संभावना से इनकार नहीं करते कि चुनाव के बाद चुने जाने वाले नए राष्ट्रपति के साथ काम करना ज्यादा आसान हो सकता है.

अफगानिस्तान में अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय सेना को बनाए रखने पर फैसले को टालना अमेरिकी सेना के लिए जोखिम और जटिलताओं के साथ जुड़ा है, लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन राष्ट्रपति बराक ओबामा को विकल्प देने के लिए रियायतें दे रहा है. समझौते पर दस्तखत करने से करजई की मनाही ने वाशिंगटन के साथ रिश्तों में खटास ला दी है. बागराम की जेल से 65 उग्रपंथियों को रिहा करने के उनके फैसले ने तनावों को और बढ़ा दिया है.

Gefängnis in Bagram Afghanistan ARCHIV März 2012
बागराम जेल के पास खेलते बच्चेतस्वीर: Massoud Hossaini/AFP/Getty Images

मुहम्मद सादिक को तालिबान का सदस्य बताया जाता है, जिसने अफगान और अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के खिलाफ काबुल के आस पास सड़क किनारे बम फिट किए. सैनिकों के साथ मुठभेड़ के बाद उसे पकड़ा गया और बागराम जेल लाया गया. काबुल से करीब 60 किलोमीटर दूर इस जेल की सुरक्षा का जिम्मा पिछले मार्च में अफगान अधिकारियों को दे दिया गया है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि सादिक के खिलाफ काफी सबूत हैं लेकिन अफगान रिव्यू बोर्ड ने उसे दोषी नहीं माना. सादिक को उसके 64 साथियों के साथ रिहा कर दिया गया है.

अफगानिस्तान सरकार ने 88 ऐसे कैदियों को रिहा करने का फैसला किया था, जिन्हें अमेरिका "बेहद खतरनाक" मानता है. अमेरिका के विरोध के बाद इस मामले को निपटाने के लिए पिछले साल रिव्यू कमेटी बनी थी. अमेरिकी आपत्तियों के बावजूद इसने 88 में से 65 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया.

सरकारी पैनल के मुखिया अब्दुल शकूर दादरास कहते हैं, "अमेरिकी आपत्तियों के बाद, हमने इन लोगों के मामलों की जांच की और 65 लोगों को छोड़ने का निर्णय हुआ." अमेरिका का कहना है कि ऐसे फैसले से अमेरिका के साथ हुआ उसका समझौता प्रभावित होता है. अमेरिकी सेना का कहना है, "वक्त वक्त पर अमेरिकी सेना ने इन 88 कैदियों के बारे में अफगान बोर्ड, अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक और अफगान अटॉर्नी जनरल को विस्तार से जानकारी दी है."

बागराम एक चर्चित जेल है, जिसमें कैदियों के साथ बेरहमी और जुल्म का आरोप भी लग चुका है. 2005 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 2000 पन्नों की जानकारी हासिल की, जिसमें कहा गया कि अमेरिकी सैनिकों ने अफगान कैदियों पर ज्यादती की और इस वजह से दो कैदियों की जान भी चली गई.

अमेरिका का कहना है कि कैदियों की रिहाई पीछे की तरफ उठाया गया भयंकर कदम है. अमेरिका का दावा है कि जिन लोगों को पहले छोड़ा गया है "उनमें से कुछ दोबारा लड़ाई में शामिल" हो गए हैं. अमेरिका के एक सैन्य अधिकारी का कहना है कि बोर्ड ने सही ढंग से मामलों को नहीं देखा है, "उनके खिलाफ आरोपों को कभी भी संजीदगी से नहीं देखा गया. अटॉर्नी जनरल के दफ्तर ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया." समाचार एजेंसी डीपीए ने 37 कैदियों की सूची हासिल की है, जिन्हें छोड़ा जाना है. इसमें कहा गया है कि 17 लोगों को सड़क किनारे बम फिट करने का और 23 को विस्फोटक रखने के आरोप में पकड़ा गया है.

हालांकि अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिकी आपत्ति पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है, "अगर अफगान अधिकारियों ने इन्हें छोड़ने का फैसला किया है, तो यह ठीक है. हमें हर चीज में अमेरिका से पूछने की जरूरत नहीं है."

जिन लोगों को छोड़ा गया, उनमें से दो पर अफगान सैनिकों की जान लेने या उन्हें घायल करने के सीधे आरोप हैं. कहा जा रहा है कि इस सूची में शामिल लोग तालिबान में निचले स्तर के अधिकारी और बम बनाने वाले लोग हैं. इसी सूची में हबुबुल्लाह अब्दुल हादी का नाम भी शामिल है. अमेरिकी अधिकारी ने बताया, "वह तालिबान का सदस्य है, जो कंधार में सड़क किनारे बम लगाता था." अधिकारी का कहना है कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि हादी इस अपराध में शामिल था.

बागराम जेल में करीब 3000 कैदी हैं, जिनमें से ज्यादातर पर घुसपैठ के आरोप हैं.

एजेए/एमजे (डीपीए)

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