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समाज

यौन उत्पीड़न के बावजूद बस में सफर करने को मजबूर महिलाएं

१६ सितम्बर २०१९

जिम्बाब्वे की सरकार ने इस साल की शुरूआत में यातायात को सुगम और सस्ता बनाने के लिए सरकारी बसें शुरू कीं. इसका किराया तो निजी बसों से कम है लेकिन महिलाओं को चुकानी पड़ रही है एक अलग तरह की कीमत भी.

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Zimbabwe Bus
तस्वीर: Imago Images/Westend61

सरकारी बसों का किराया निजी बस कंपनियों की तुलना में औसतन एक-तिहाई कम है. सरकार द्वारा बस चलाने के फैसले को सुन 33 वर्षीय थांडेकिले गामा काफी उत्साहित थीं. वजह ये थी कि देश के दूसरे सबसे बड़े शहर बुलावायो में रहने वाली गामा को हर एक तरफ की यात्रा के लिए जहां 3 जिम्बाब्वे डॉलर देने पड़ते थे. ऐसे में नए बस सिस्टम के आने से उनका आधा पैसा बचने लगा. यह उन्हें एक उपहार की तरह लगता था लेकिन इस उपहार के बदले उन्हें एक कीमत चुकानी पड़ती है.

गामा कहती हैं कि सस्ता किराया होने की वजह से सरकारी बसों में काफी ज्यादा भीड़ बढ़ गई है. यात्रा के दौरान महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न तथा छेड़खानी के खतरे बढ़ गए हैं. वे कहती हैं, "जैसा कि अनुमान था बसों में काफी ज्यादा भीड़ होगी लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो महिलाओं के साथ गलत हरकत करने के लिए ही सवार होते हैं. आपको लगता है कि कोई व्यक्ति गलत तरीके से आपके शरीर को छू रहा है और वह फिर गायब हो जाता है."

जिम्बाब्वे रिपब्लिक पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर काम कर रही ऑक्सिलिया सिबांदा ने जुलाई महीने में एक बैठक के दौरान कहा कि सार्वजनिक परिवहन में बलात्कार और उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि इससे जुड़े आंकड़े अभी भी इकट्ठा किए जा रहे हैं इसलिए ठीक संख्या नहीं बताई जा सकती. विश्व बैंक के आंकड़े यह दिखाते हैं कि जिम्बाब्वे की कुल जनसंख्या एक करोड़ 60 लाख है और इसके एक तिहाई लोग शहरों में रहते हैं. शहरों की जनसंख्या 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है. विधायक और महिला अधिकारों की बात करने वाली तबीथा खुमालो के अनुसार तेजी से जनसंख्या वृद्धि के कारण परिवहन सहित तमाम सार्वजनिक सुविधाओं की मांग बढ़ी है. लेकिन अधिकारियों ने निजी और सरकारी बसों के साथ-साथ बिना लाइसेंस वाली टैक्सियों में चलने वाली महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया है.

कैसे होगी सुरक्षा की व्यवस्था

लाखों डॉलर का कर्ज और भ्रष्टाचार के आरोप लगने सहित कई समस्याओं की वजह से कई वर्ष पहले सरकारी बसों का परिचालन रोक दिया गया था. इस साल जनवरी महीने में सरकार ने फिर से जिम्बाब्वे यूनाइटेड पैसेंजर कंपनी (जुप्को) बसों को फिर से शुरू किया. इस मौके पर सूचना मंत्री मोनिका मुत्सवांग्वा ने कहा था कि जुप्को राष्ट्रीय परिवहन प्रणाली के आधुनिकीकरण का हिस्सा है. साथ ही उन्होंने देश के लोगों को आश्वासत किया था कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए "पर्याप्त व्यवस्था" होगी.

जुप्को के कार्यकारी सीईओ एवरिस्टो मडांग्वा ने एक फोन इंटरव्यू मे कहा कि उन सुरक्षा उपायों में प्रत्येक बस में कम से कम एक पुलिस अधिकारी को तैनात करना है. हालांकि मडांग्वा ने बसों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप पर सीधे जवाब देने से मना कर दिया लेकिन कहा कि सरकार भीड़ को देखते हुए बसों की संख्या में निरंतर वृद्धि करती है. कंपनी की योजना पूरे देश में 3,000 बसें चलाने की हैं, जो अभी मात्र 500 हैं. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ऐसा कब तक किया जाएगा.

मडांग्वा यह नहीं बता सके कि जुप्को द्वारा चलाई जा रही बसों में प्रतिदिन कितने यात्री यात्रा करते हैं लेकिन कहा कि बस की शुरूआत के पहले दिन से ही यह लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. गामा और उनके जैसे कई अन्य यात्री कम किराया होने की वजह से बस सेवा को पसंद कर रहे हैं क्योंकि देश की बड़ी आबादी महंगाई से जूझ रही है. गामा कहती हैं, "महिला यात्री बसों में  लंबे समय से भद्दे कमेंट और छेड़छाड़ का सामना कर रही हैं लेकिन जुप्को की बसों में भीड़ बढ़ने की वजह से अब यह समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. हालांकि, बस किराया सस्ता होने की वजह से महिलाएं यात्रा करती ही हैं."

Bangladesch Dhaka - Frauen nutzen Bus
तस्वीर: DW/M. Mostafigur Rahman

बाकी देशों में कैसा है बस से यात्रा करने वाली महिलाओं का हाल

वर्ष 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने दुनिया के पांच ऐसे बड़े शहरों में 1,000 महिलाओं के बीच सर्वे करवाया था जहां लोग ऑफिस जाने के लिए कुछ दूरी की यात्रा करते हैं. इनमें लंदन, न्यूयॉर्क, मेक्सिको सिटी, टोक्यो और काहिरा शामिल है. इसमें पाया गया कि इसमें 52 प्रतिशत महिलाओं ने सुरक्षा को चिंता का मुख्य विषय बताया था. खुमलो के अनुसार जिम्बाब्वे के शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महिलाओं की सुरक्षा की समस्या हाल के दिनों में उतपन्न हुई है. ये हालात सरकारी बसों की शुरूआत और बिना लाइसेंस वाले टैक्सियों के प्रसार के बाद आया है.

खुमलों और अन्य महिला विधायकों के एक समूह ने सरकार से यौन अपराधियों का एक डेटाबेस तैयार करने की पैरवी की है "क्योंकि इनमें से कई बार-बार इन अपराधों को अंजाम देते हैं." महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह मुसासा प्रोजेक्ट द्वारा 2018 में जारी किए गए आंकड़े के अनुसार जिम्बाब्वे में सामने आने वाले आधे से अधिक बलात्कार के मामलों में लोगों को सजा नहीं होती.

बुलावायो के पुलिस प्रवक्ता आबेदनिको नकूबे ने बताया, "सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस हर संभव कदम उठा रही है. लेकिन अधिकारी हर एक व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकते हैं. जिन्हें भी महसूस होता है कि किसी ने उनके साथ गलत बर्ताव किया, उन्हें तुरंत इसके बारे में रिपोर्ट करनी चाहिए ताकि पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सके."

युवा महिला विकास संस्थान में परियोजना निदेशक जिलियन चिंसेटे कहती हैं, "इस सलाह के साथ एक समस्या भी है. जिम्बाब्वे में महिलाओं की शिकायत को अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता है. इस डर से वे उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से कतराती हैं. पुलिस को इस बात की ट्रेनिंग होनी चाहिए कि महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा के मामले पर किस तरह से कार्रवाई करनी चाहिए. इससे पीड़िताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा."

गामा भी इस बात से सहमत हैं. वे कहती हैं कि वह और उनके जैसी अन्य महिलाएं बस में जो रहा है, उसी के साथ जीना सीख गईं हैं. वे कहती हैं, "ऐसे छोटे अपराध जिसमें वह यह नहीं जानती कि अपराधी कौन है, उसकी रिपोर्ट लिखवाने पुलिस के पास नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि उनका उपहास उड़ाया जाएगा. यह बलात्कार के रिपोर्ट लिखवाने जितना ही मुश्किल है. कल्पना कीजिए कि आप उन हाथों के बारे में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश कर रही हैं, जिसे आपने देखा ही नहीं है."

आरआर/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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