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जब धधक उठे ऑयल रिफाइनरी

११ नवम्बर २०१६

तेल बहुत जल्दी आग पकड़ता है. लेकिन अगर किसी ऑयल रिफाइनरी में ही आग लग जाए तो सोचिए वो कितनी खतरनाक होगी और उसे बुझाना कितना मुश्किल. जर्मनी में ऐसी भीषण आग पर काबू पाने के लिए फायरफाइटर्स की गहन ट्रेनिंग होती है.

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Russland Brand auf einem Lager in Moskau
तस्वीर: Imago/ITAR-TASS

तेल रिफायनरी जल रही है. आग खतरनाक है, हजारों डिग्री की गर्मी और आंखों को चुभता धुआं. हर कहीं लपटें ही लपटें. दमकलकर्मी आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक नाकाम हैं. आग की लपटें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. आग खतरनाक है, उसे बुझाने वाली टीम असली है. लेकिन कारखाने को जानबूझकर जलाया गया है. ये फायर ब्रिगेड का ट्रेनिंग कैंप है. यहां वे ट्रेनिंग लेते हैं ताकि असली मौके पर अपना कौशल दिखा सकें.

तेल कंपनी शेल की जर्मन रिफायनरी में ट्रेनिंग अलार्म. फायर ब्रिगेड का दस्ता अपनी गाड़ियों के साथ फौरन वहां पहुंचता है. खनिज तेल की सफाई के दौरान रिफायनरी में कभी भी आग लग सकती है. उस आग पर फौरन काबू पा लिया जाएगा या वह कहर ढाएगा इसका फैसला अगले कुछ मिनटों में ही हो जाता है. 

लाखों यूरो का खर्चा

हर कदम सही जगह पर पड़ना चाहिए. खासकर तब जब सचमुच की आग लगी हो. अभ्यास यहां सिर्फ पानी से किया जा सकता है. आग के साथ ट्रेनिंग अत्यंत खतरनाक साबित हो सकती है. आग लगने की स्थिति में सबसे अच्छी सुरक्षा है सुरक्षा का उच्चस्तरीय पैमाना. यहां दमकलकर्मी 24 घंटे पूरी तरह तैयार रहते हैं. रिफायनरी में हर कहीं आग बुझाने के उपकरण हैं. इस पर हर साल लाखों यूरो खर्च किए जाते हैं.

शेल कंपनी के प्रवक्ता क्रिस्टियान फॉन होएंसब्रॉएष इसकी अहमियत समझाते हैं, "शेल में  और कारखानों में सुरक्षा पहले नंबर पर है और खासकर यहां रिफायनरी के ऐसे संयंत्र में तो सबसे ऊपर. इसका मतलब है कि स्वाभाविक रूप से हमें प्लांट के अपने फायर ब्रिगेड की जरूरत है."

वापस ट्रेनिंग कैंप में. जर्मनी से आए फायर ब्रिगेड के कर्मी यहां रॉटरडम में तीन दिनों से असली आग का मुकाबला कर रहे हैं. स्थिति है कि एक बड़ी आग काबू से बाहर हो गई है, लोगों की जिंदगी खतरे में है. दमकल कर्मियों के लिए इम्तहान का पहला कदम है, पूरी तरह शांत रहना.

Raffinerie in Irak
बहुत खतरनाक होती है रिफाइनरी की आगतस्वीर: Getty Images/M. Fala'ah

ट्रेनिंग की अहमियत

अब स्थिति गंभीर होती जा रही है. आग की लपटें करीब आ रही हैं, उसका गर्मी को महसूस किया जा सकता है. ट्रेनिंग अब हकीकत में बदल गई है. हर कदम जानलेवा हो सकता है. अगर दमकलकर्मी कोई गलती करते हैं तो उनके साथी आग की चपेट में होंगे. पल में ट्रेनिंग दुःस्वप्न में बदल सकती है. गहरे धुएं की वजह से कुछ दिख नहीं रहा, काम में बाधा आ रही है. आग बुझाने वाले तनाव में हैं. काम जिम्मेदारी का है और उन्हें सीखना है कि कठिन परिस्थितियों में डर पर काबू कैसे पाया जाता है.

जब रसायन में आग लगी होती है तो उसे बुझाने के लिए सही पदार्थ की जरूरत होती है. पानी और झाग आग की लपटों को दबाता है. आग को फैलने से रोकना जरूरी होती है. लेकिन बार बार आग भड़क उठाती है और फायर ब्रिगेड के जवानों को परेशान कर देती है. पेट्रोल की छुपी हुई पाइपों के कारण आग पर लक्षित रूप से काबू पाना संभव होता है. लेकिन ये एक ऐसी प्रतिस्पर्धा है जिसे जीतना आसान नहीं. दमकल कर्मी क्रिस्टियान बाउख कहते हैं, "यहां एकदम असली जैसी परिस्थितियां पैदा की जा सकती हैं और उसकी ट्रेनिंग की जा सकती है. हम ये अभ्यास दो तीन बार करते हैं. ये देखने के लिए रणनीति बदलने का क्या असर होता है. और ये सचमुच बहुत ही अच्छा है."

(देखिये भयानक हादसे)

धमाके का डर

टैंकर के नीचे एक जलती हुई गाड़ी, ये दमकलकर्मियों  के लिए अगली परीक्षा है. कठिन परीक्षा क्योंकि आग की गर्मी से टैंकर में कभी भी धमाका हो सकता है. और ये टैंकर से हजार मीटर की दूरी तक मौत का तांडव मचा सकता है. अब दमकलकर्मियों को अपनी सारी ताकत टैंकर को ठंडा रखने में लगा देनी है. यह काम आग बुझाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है. अब पानी और झाग की सही मात्रा तय करना निर्णायक है.

फायर ब्रिगेड के जवानों ने एक गंभीर गलती की है. किनारे की एक जगह पर झाग नहीं है. दरअसल इसकी वजग से गंभीर धमाका हो सकता है. दमकलकर्मियों को हर छोटी चीज पर ध्यान देना सीखना होगा.

ट्रेनर फ्रेड फोएर्ष समझाते हुए कहते हैं, "देख रहे हैं, यहां कोई झाग नहीं है. इस तरह से झाग से ढकने के कोई मायने नहीं है, देखिए ये कितना गरम है. जब आप घटनास्थल पर पहुंचते हैं तो लपटों के रंग को देखना चाहिए, वह बहुत कुछ बताता है. धुआं, धुआं बनने की प्रक्रिया, रंग, रफ्तार, दबाव, ये सब फायर ब्रिगेड टीम के मुखिया को  घटनास्थल की पहली तस्वीर देता है ताकि वह तय कर सके कि उसे क्या करना है."

टीम में काम का बंटवारा भी बहुत अहम है ताकि ताकत का सही इस्तेमाल किया जा सके. खासकर दमकलकर्मियों को इस बात का ध्यान रखना होता है कि वह खुद को और अपने साथियों को खतरे में न डाले. इन पाइपों में 10 बार का दबाव है. ये जवान मिलजुलकर ही आग पर काबू पा सकते हैं.

भड़की हुई आग की ओर जाना अनुभवी दमकलकर्मियों के लिए भी आसान नहीं होता. क्योंकि उन्हें पता है कि लपटें सनकी होती हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता. और अंत में आग पर विजय पाना यहां ट्रेनिंग करने वाली सभी टीमों के लिए यादगार घटना होती है. अक्सर आखिरी लपटों को सामान्य से फायर एक्सटुइंगुइशर से बुझाया जाता है.

दमकलकर्मी यहां इस ट्रेनिंग कैंप में जो सीखते हैं वह सिर्फ आग बुझाने का हुनर नहीं है. वे यहां से यह भरोसा साथ ले जाते हैं कि वे मुश्किल से मुश्किल आग बुझा सकते हैं. वे गंभीर परिस्थितियों के लिए लैस महसूस करते हैं और नए उत्साह के साथ अपने काम की जगह वापस लौटते हैं. रिफायनरी में.

(जानिये जान बचाने वाली अहम टिप्स)

एमजे/वीके