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समाज

जर्मनी में बुढ़ापे में गरीबी झेलने का खतरा बढ़ा

१२ सितम्बर २०१९

यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक अमीर एवं विकसित देश जर्मनी में रहने वाले लोगों पर बुढ़ापे में गरीबी झेलने का खतरा बढ़ता जा रहा है. आर्थिक मुद्दों पर शोध करने वाले एक जर्मन संस्थान ने अपनी स्टडी में ऐसा पाया है.

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Deutschland Rentenerhöhung Symbolbild
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Büttner

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक रिसर्च (डीआईडब्लू) ने लोगों की भविष्य में होने वाली आय का अनुमान लगाने के लिए अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में अधिक से अधिक जर्मन लोगों के गरीबी में जीने का खतरा है. जर्मनी का हर पांच में से एक पेंशनभोगी अगले दो दशकों में ही खुद को गरीबी की जद में पाएगा.

स्टडी के लेखकों ने बताया कि अगर समाज के सबसे जरूरतमंद लोगों को एक आधारभूत राशि पेंशन के रूप में मिल भी रही होगी तब भी वह उनके लिए नाकाफी होगी. आज के 48 फीसदी के स्तर से घटकर पेंशन राशि 2045 की औसत आय का केवल 43 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है. जर्मनी की लेफ्ट पार्टी पेंशन को बढ़ाकर औसत आय का 53 फीसदी करने की मांग कर रही है. 

डीआईडब्लू की स्टडी में यह भी बताया गया कि 2045 तक गरीबी का खतरा आज के 17 प्रतिशत से बढ़कर करीब 21 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. जर्मनी के बेर्टेल्समन फाउंडेशन ने इस स्टडी के बारे में कहा कि वे अगले 20 सालों में बाजार में रोजगार की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि उसने भी माना कि लंबे समय से बेरोजगारी झेलने वाले, सिंगल लोग और कम शैक्षणिक योग्यता वाले कुछ समूहों को उस सुधार से भी बहुत कम ही फायदा होगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Scheuer

स्टडी के मुख्य लेखक क्रिस्टोफ शिलर ने बताया, "श्रम बाजार में तमाम सुधार लाने के बावजूद, हमें इस सूरत के लिए तैयार रहना होगा कि अगले 20 सालों में बुजुर्गों में गरीबी में बड़ी बढ़ोत्तरी आ सकती है." ऐसे लोग जिनकी कमाई औसत आय के 60 फीसदी यानी 905 यूरो प्रतिमाह से कम हो, उन पर गरीबी का जोखिम झेलने का खतरा है. स्टडी के लेखकों का अनुमान है कि ऐसे लोगों की तादाद भी 9 फीसदी से बढ़ कर लगभग 12 फीसदी हो जाएगी, जो सरकारी सहायता राशि पर निर्भर करेंगे. उनकी मासिक आय 777 यूरो प्रति माह से भी कम होगी.

फिलहाल जर्मनी की गठबंधन सरकार बेसिक पेंशन योजना पर विचार कर रही है जिसका लक्ष्य पूरे जीवन कम आय पर काम करने वाले कामगारों को पेंशन पर जीने के समय गरीबी से बाहर रखना है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि बहुत कम लोग ही उस नई योजना के दायरे में आ पाएंगे. उसका लाभ उठाने की शर्तें हैं कि व्यक्ति ने कम से कम 35 साल तक काम किया हो और बच्चों या रिश्तेदारों की देखभाल का जिम्मा उस पर हो. इसके बजाए, स्टडी के लेखकों का प्रस्ताव है कि लोगों का एक सरल सा इनकम टेस्ट कराया जाए और उस आधार पर योजना बनाई जाए. अपनी स्टडी में संस्थान ने करीब 30,000 लोगों की आय को मॉडल बना कर अगले 20 सालों में उनकी आय के स्तर का अनुमान लगाया था.

आरपी/आईबी (ईपीडी, डीपीए, एएफपी)   

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