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जर्मनी में यहूदी कितने सुरक्षित हैं?

२२ जनवरी २०१९

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक यहूदी कांग्रेस में जब अंद्रास कैन ने सवाल किया, "क्या हम सुरक्षित हैं?", तो मौजूद लोगों ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.

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Jüdisches Leben - Synagoge
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Altwein

यहूदियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन बिनाई बिरीथ ने 18 साल में पहली बार अपनी यूरोपीय कांग्रेस बर्लिन में आयोजित की. विषय था: जर्मनी में यहूदियों के लिए बढ़ते नए खतरे.

बिनाई बिरीथ से जुड़े संगठन राउल वालेनबेर्ग लॉज के प्रमुख कैन कहते हैं कि जर्मनी में सबसे बड़ा यहूदी समुदाय बर्लिन में रहता है. वह चेतावनी देते हुए कहते हैं कि "यहूदी विरोध को समाज में स्वीकार कर लिया गया है." बर्लिन में यह कांग्रेस बिनाई बिथाई के पूर्व जर्मन मुख्यालय के करीब ही हुई जो बाद में नाजी जर्मनी की खुफिया पुलिस गेस्टापो का मुख्यालय बना.

बर्लिन में जब 2001 में बिनाई बिथाई ने अपनी पिछली यूरोपीय कांग्रेस आयोजित की थी तो उसे गुमनाम यहूदी विरोधी पत्र मिले. कैन बताते हैं कि ऐसे धमकी भरे पत्रों का सिलसिला अब भी जारी है, लेकिन अब ऐसे पत्र गुमनाम नहीं है. उन पर हस्ताक्षर होते हैं. कैन के मुताबिक इस बदलाव की वजह सोशल मीडिया है.

क्या यहूदियों के लिए इस्राएल ही सबसे सुरक्षित?

जर्मनी में यहूदी विरोध से निपटने के लिए बने आयोग के प्रमुख फेलिक्स क्लाइन इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक बार फिर यहूदियों और उनकी संपत्तियों पर हमले बढ़ रहे हैं. वह कहते हैं कि 2017 में हर दिन यहूदियों के खिलाफ हिंसा के औसतन तीन मामले दर्ज किए गए.

कैन बताते हैं कि जर्मन सरकार एक 'रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम' बनाना चाहती है ताकि यहूदियों के साथ बलसलूकी के  मामलों को ज्यादा से ज्यादा प्रकाश में लाया जा सके. जर्मन की संघीय और राज्यों सरकारों के सहयोग से बनने वाले इस आयोग की साल में दो बार बैठक हुआ करेगी. क्लाइन कहते हैं कि मकसद स्कूलों में शिक्षा को सुधारना है और पुलिस ट्रेनिंग में भी इस मुद्दे को मजबूती से पेश करना है. वह कहते हैं, "यहूदी विरोध सिर्फ यहूदियों की समस्या नहीं है, बल्कि ये पूरी समाज की समस्या है."

यातना की यादें

एक दिन की इस कांग्रेस में इस बात पर भी चर्चा की गई कि किस तरह का यहूदी विरोध सबसे खतरनाक है, दक्षिणपंथों का विरोध, वामपंथियों का विरोध या फिर मुसलमानों की तरफ से होने वाला विरोध. हालांकि क्लाइन इस बहस को 'मददगार नहीं' मानते हैं. लेकिन जर्मन इतिहासकार मिषाएल वॉल्फजोन कहते हैं कि सभी तरह का यहूदी विरोध बढ़ रहा है. उनके मुताबिक, इस समस्या का वास्तविक विश्लेषण करके ही इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका खोज जा सकता है.

जर्मनी में इस्राएल के राजदूत जेरेमी इस्साशारोफ कहते हैं कि अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी खास तौर से एक नया खतरा है, क्योंकि इसके कुछ सदस्य राष्ट्रीय समाजवाद के दौर को वापस लाने का ख्वाब देखते हैं. लेकिन वॉल्फजोन कहते हैं कि यहूदियों को खुल कर दुनिया को अपने बारे में बताना चाहिए और जहां तक बात सुरक्षा की है तो उसे सुनिश्चित करना जर्मन सरकार की जिम्मेदारी है.

के एलेक्जांडर शॉल्स/एके

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