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जर्मन चुनाव में भी फेक न्यूज का खतरा

२६ जुलाई २०१७

जर्मनी में चांसलर मैर्केल की सिस्टर कंजर्वेटिव पार्टी सीएसयू को कोर्ट ने दिया विपक्षी उम्मीदवार शुल्त्स के नाम पर किये फर्जी ट्वीट को हटाने का आदेश. देखिए बुंडेसटाग चुनाव अभियान में कैसे बढ़ रहा है फेक न्यूज का खतरा.

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Deutschland SPD-Kanzlerkandidat Schulz im Schanzenviertel, Hamburg
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Charisius

एक जर्मन कोर्ट ने जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू की सिस्टर पार्टी सीएसयू को आदेश दिया है कि वह उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी एसपीडी नेता मार्टिन शुल्त्स के बारे में गलत खबर फैलाने वाली फर्जी ट्वीट को तुरंत हटायें. ऐसा ना करने पर कोर्ट की ओर से उन पर 250,000 यूरो का जुर्माना लगेगा.

कंजर्वेटिव सीएसयू और शुल्त्स की सेंटर-लेफ्ट पार्टी एसपीडी के बीच तनाव लगातार बढ़ता दिख रहा है. जर्मनी में आम चुनाव 24 सितंबर को होने हैं, जिसमें चौथी बार चांसलर बनने की उम्मीदवारी पेश कर रही मैर्केल के सामने यूरोपीय संसद के पूर्व अध्यक्ष शुल्त्स खड़े हैं.

केंद्र में मैर्केल और शुल्त्स की पार्टियां महागठबंधन सरकार में एक साथ हैं लेकिन अगले चुनाव में दोनों ही पर्याप्त समर्थन हासिल कर दूसरे छोटे दलों के साथ सरकार बनाना चाहते हैं. कोर्ट के प्रवक्ता ने बताया कि शुल्त्स ने 10 जुलाई की एक ट्वीट को लेकर कोर्ट से आदेश देने की मांग की थी, जिसे सीएसयू की यूथ विंग ने एक फेक अकाउंट से पोस्ट किया था. इस अकाउंट का पता था "@therealMartinSchulfter", जिसे देख कर मार्टिन शुल्त्स के नाम से ट्वीट किये जाने का धोखा हो सकता था. इस अकाउंट से हैम्बर्ग में हुए जी20 सम्मेलन में उग्रवादी वामपंथियों और पुलिस के बीच झड़पों की तस्वीरें डाली गयी थीं. शुल्त्स इस ट्विटर हैंडिल को इस्तेमाल नहीं करते.

जर्मन अधिकारियों ने चुनाव से पहले इस तरह के "फेक न्यूज" के सामने आने और गलत जानकारी फैलाये जाने के खतरे के बारे में बताया. अब तक ऐसी ज्यादातर हरकतों में शक की सूई रूस की तरफ घूमायी जाती रही है. लेकिन घरेलू ट्विटर यूजर्स और फर्जी पहचान के साथ ट्वीट करने वालों पर ध्यान नहीं था. जर्मन फेडरल साइबर सुरक्षा एजेंसी के अध्यक्ष आर्ने श्योनबोम ने बताया कि कई सरकारी अधिकारी चुनाव अभियान के आखिरी हफ्तों में गलत जानकारियों और प्रोपेगैंडा का तूफान आने की आशंका जता चुके हैं और इससे सुरक्षा के लिए उपायों की तलाश में हैं.

आरपी/एनआर (रॉयटर्स)