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जर्मन राष्ट्रपति का क्रिसमस पर सद्भावना संदेश

२४ दिसम्बर २०१५

जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर देश के नाम दिए अपने वार्षिक संदेश में जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों को प्रभावित कर रहे आप्रवासी संकट को हल करने के तरीके पर कठोर बहस किये जाने का आह्वान किया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Schwarz

राष्ट्रपति गाउक ने रिफ्यूजी संकट पर जोरदार बहस किए जाने की जरूरत पर बल देने के साथ साथ इसे सुलझाने में बल आजमाने और घृणा भड़काने की किसी भी कोशिश से सावधान रहने की अपील की. जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, "मतभेदों से सामुदायिक जीवन में व्यवधान नहीं आता बल्कि यह तो लोकतंत्र का एक हिस्सा हैं."

पूर्वी जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन के युग में पादरी रह चुके गाउक ने कहा कि केवल खुली बातचीत और बहस से ही एक ऐसा स्थायी उपाय निकल सकेगा जो ज्यादातर लोगों को स्वीकार्य हो. इसके अलावा कैथोलिक धर्म के सबसे बड़े नेता पोप फ्रांसिस ने भी कैथोलिक समुदाय से इस पावन साल में अपने घरों के दरवाजे शरणार्थियों के लिए खोल देने का आह्वान किया है. कई जनपद और ईसाई मठ इसका पालन कर रहे हैं लेकिन सभी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.

The Pope's advice

इस साल रिकार्ड संख्या में जर्मनी और दूसरे यूरोपीय देशों में शरण की तलाश में पहुंचे सीरिया और अन्य संकटग्रस्ट देशों के लोगों के हॉस्टलों पर हमलों के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हिंसा और घृणा अपनी असहमति दिखाने के जायज रास्ते नहीं माने जा सकते. उन्होंने कहा कि "आगजनी और निराश्रित लोगों पर हमले हमारी निंदा के लायक और दोषी सजा के हकदार हैं."

बर्लिन में अपने आधिकारिक आवास श्लॉस बेलेव्यू में रिकॉर्ड किए अपने संदेश में जर्मन राष्ट्रपति ने उन सबके प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने शरणार्थी संकट से निपटने में जर्मनी की मदद की. गाउक ने कहा, "हमने दिखा दिया है कि हम क्या कर सकते हैं, सदभावना और पेशेवर रवैया ही नहीं तात्कालिक उपायों के मामले में भी." शरणार्थियों की मदद के लिए तुरंत मदद को सामने आए लोगों ने दुनिया को "एक दयालु और कोमल हृदय वाले देश का चेहरा दिखाया है."

आरआर/एमजे (डीपीए)