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चीन को लगता है जर्मनी कर रहा है उसका अपमान

१० सितम्बर २०१९

लोकतंत्र को लेकर हांगकांग में आंदोलन करने वाले युवा एक्टिविस्ट जोशुआ वॉन्ग से जर्मनी के विदेश मंत्री का मिलना चीन को नागवार गुजरा है. चीन इसे अपने अपमान के तौर पर देख रहा है.

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Joshua Wong und Heiko Maas
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Kappeler

जोशुआ वॉन्ग दुनिया के तमाम देशों से हांगकांग में विरोध प्रदर्शनकारियों का साथ देने की अपील करते आए हैं. इन आंदोलनकारियों का मुकाबला केवल हांगकांग प्रशासन से ही नहीं बल्कि बड़ी शक्ति चीन से है. तमाम मुश्किलों के बाद हांगकांग से आने वाले वॉन्ग ने जर्मनी पहुंच कर विदेश मंत्री हाइको मास से मुलाकात की और उन्हें हांगकांग के हालात से अवगत कराया.

चीनी विदेश मंत्रालय ने इसकी आलोचना की. जर्मन संसद द्वारा मानव अधिकारों पर आयोजित एक कार्यक्रम में वॉन्ग हिस्सा लेने पहुंचे थे. इसी के दौरान जर्मन विदेश मंत्री मास ने उनसे मुलाकात की.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "चीन के विरूद्ध चलाई जा रही अलगाववादी लहर में बह कर जर्मन मीडिया और राजनेता बहुत गलत कर रहे हैं." उन्होंने इसे "चीन की संप्रभुता के लिए अपमानजनक और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप" बताया.

इधर बर्लिन पहुंचे वॉन्ग ने सबसे "चीन के निरंकुश शासन" के खिलाफ आंदोलन कर रहे हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े होने की अपील की. जोशुआ वॉन्ग खुद इस आंदोलन के सबसे जाना माना चेहरा हैं. उन्होंने आज के हांगकांग की तुलना शीतकाल के दौरान बर्लिन के हाल से की. वॉन्ग ने कहा, "अगर हम एक नए शीत काल में हैं तो हांगकांग नया बर्लिन है."

केवल 22 साल के वॉन्ग को हांगकांग से विमान लेने से पहले भी हवाई अड्डे पर 24 घंटे तक रोक कर रखा गया. इसके बाद विमान से जर्मनी में पहुंचे वॉन्ग ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. जर्मनी के बाद उनका अमेरिका जाने का कार्यक्रम है.

Hongkong Freilassung der Aktivisten Joshua Wong und Agnes Chow
हांगकांग आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे बने जोशुआ वॉन्ग और एग्नेस चाओ 30 अगस्त को प्रेस से बातचीत करते हुए. तस्वीर: picture-alliance/dpa/MAXPPP/Kyodo

हांगकांग में 9 जून 2019 से ही विशेष तौर पर युवा छात्र लोकतंत्र के समर्थन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध एक नए प्रत्यर्पण कानून को लेकर शुरू हुआ था जिसमें व्यवस्था थी कि आपराधिक मामलों के आरोपियों को चीन की भुख्यभूमि में प्रत्यर्पित किया जा सकेगा. अब तो हांगकांग की प्रमुख ने उसे स्थायी तौर पर रद्द करने की घोषणा भी कर दी है लेकिन आंदोलन खत्म नहीं हुआ है.

धीरे धीरे विरोध प्रदर्शन ऐसे आंदोलन में तब्दील हो गए जिसमें प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध पुलिस की कथित क्रूरता की स्वतंत्र जांच कराने और गिरफ्तार हुए लोगों को क्षमादान देने की मांगें जुड़ गईं. बताया जा रहा है कि एक हजार से भी अधिक प्रदर्शनकारी हिरासत में हैं. इसके अलावा आंदोलनकारी हांगकांग में अपना नेता सीधे तौर पर चुने जाने की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर चीन परेशान है. चीन ने "एक देश, दो सिस्टम" मॉडल के तहत हांगकांग को केवल कुछ हद तक स्वायत्तता दी हुई है.

आरपी/ओएसजे (एपी, डीपीए)

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