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जर्मन से बिछड़े जोड़े

१२ अगस्त २०१३

जर्मन नागरिक से शादी करने वाले विदेशियों को अपने पार्टनर के साथ जर्मनी में रहने की अनुमति तभी मिलती है, जब उसे जर्मन बोलनी आती हो. यूरोपीय आयोग इसमें यूरोपीय कानून का उल्लंघन देखता है.

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तस्वीर: Gina Smith - Fotolia.com

आसेफे वाइंडलमायर के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी जल्द से जल्द म्यूनिख जाना ताकि वह अपने पति के साथ रह सके. वे शादीशुदा थे लेकिन फिर भी दोनों का साथ साथ रहना इतना आसान नहीं था. वाइंडलमायर को जर्मनी में रहने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि वह जर्मन नहीं बोल सकती थी. अगस्त 2007 से लागू नए जर्मन रिहायशी कानून के अनुसार जर्मनी में अपने पार्टनर के साथ रहने के इच्छुक पुरुष या महिला को साबित करना होगा कि उन्हें जर्मन भाषा का बुनियादी ज्ञान है.

वाइंडलमायर को सिर्फ कुछ शब्द ही पता थे. जब वह अपने भावी पति से मिली तो तेहरान में एक जर्मन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम करतीं थीं. अपनी मातृभाषा फारसी के अलावा वह अरबी और अंग्रेजी भी बोलती हैं. 26 वर्षीया वाइंडेलमायर पढ़ी लिखी है और उसे विदेशी भाषाएं सीखने का अनुभव भी है, जिसकी वजह से म्यूनिख आने से पहले नई भाषा सीखना उनके लिए मुश्किल नहीं होता लेकिन दिक्कत थी. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "मैं फुलटाइम काम करती थी, मेरे काम की वजह से मुझे नियमित रूप से यात्रा करनी पड़ती थी. यही कारण है कि मैं नियमित रूप से जर्मन क्लास में नहीं जा पाती थी."

ऑनलाइन लर्निंग

वाइंडलमायर ने काम के बाद काम के बाद खुद जर्मन सीखने की कोशिश की. वे घर पर जर्मन टेलिविजन देखतीं, डॉयचे वेले के ऑनलाइन जर्मन क्लास करतीं. तीन महीने की गहन तैयारी के बाद उन्होंने जर्मन टेस्ट देने का फैसला किया. उन्होंने बताया, "मैं बहुत तनाव में थी, मुझ पर बहुत दबाव था, क्योंकि मुझे पता था कि यह एकमात्र मौका था कि मैं आखिरकार अपने पति के साथ रह सकती थी." टेस्ट अच्छा रहा और तीन महीने बाद सारे पेपरवर्क हो गए, उन्हें वीजा मिल गया और वे अपने पति के पास जर्मनी जा सकीं.

यूरोपीय संघ का कहना है कि इस तरह की परीक्षाएं यूरोपीय कानून के खिलाफ हैं. मई में यूरोपीय संघ ने इसकी जांच शुरू की है. शुरुआती दौर में जर्मनी को इस मामले पर अपना जवाब देना है, क्योंकि यूरोपीय आयोग का कहना है कि विवाहित जोड़ों में से एक के आप्रवासन का जर्मन कानून यूरोपीय नियमों का हनन करता है. यह व्याख्या का मामला है. यूरोपीय नियमों के अनुसार परिवार के पुनर्मिलन के मामले में सदस्य देशों को विदेशी पार्टनर से समाज में घुलने मिलने के कुछ कदमों की मांग करने का हक है. जर्मन सरकार का कहना है कि भाषा जानने की शर्त रखकर वह यही कर रही है.

Asefe Weindlmayr
आसेफे वाइंडलमायर जर्मन भाषा टेस्ट पास करने में सफल रहींतस्वीर: Asefe Weindlmayr

हर जगह नहीं हैं जर्मन कोर्स

द्वि-राष्ट्रीय परिवारों की मदद के लिए काम करने वाली संस्था आईएएफ की वकील स्वेन्या गैरहार्ड का कहना है कि जर्मन रिहायशी कानून बहुत से विवाहित जोड़ों के लिए मुश्किलें पैदा करता है. गैरहार्ड का कहना है कि जर्मनी आने से पहले ही जर्मन भाषा जानने का अनिवार्य टेस्ट लेना गलत है. "बहुत से देशों में भाषा कोर्स करने की संभावना ही नहीं है." वह ये भी कहती हैं कि बहुत से लोगों के पास बिजली या इंटरनेट की सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से वे अकेले भाषा नहीं सीख सकते. बहुत से लोग खुद भाषा सीखने में सक्षम नहीं होते.

स्वेन्या गैरहार्ड जर्मनी में अनिवार्य जर्मन कोर्स लेने की वकालत करती हैं, जो उनके विचार में ज्यादा प्रभावी है और लागू करना भी आसान है. जर्मनी में इस तरह के कोर्स हैं, लेकिन उसकी सुविधा बेसिक ज्ञान साबित करने के बाद ही मिलती है. 2007 में नया रिहायशी कानून लागू होने के बाद से विदेशों में जर्मन भाषा कोर्स कराने वाली जर्मन संस्था गोएथे इंस्टीट्यूट की मांग बढ़ी है. गोएथे इंस्टीट्यूट के क्लाउस थॉमस फ्रिक कहते हैं, "अचानक हमारे सामने एक नई, अनजान चुनौती आ गई थी."

सफलता की दर

जर्मन कोर्सों में भाग लेने वाले लोगों की सफलता का दर अलग अलग देशों में अलग है. 2012 में बांग्लादेश, कोसोवो, पाकिस्तान और इथियोपिया में आधे से ज्यादा भागीदार फेल हो गए. दक्षिण अफ्रीका, क्रोएशिया, यूक्रेन और रूस में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग सफल रहे. क्लाउस थॉमस फ्रिक का कहना है कि विश्व के कुछ हिस्सों में जर्मन भाषा सीखना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन उनका मानना है कि जर्मनी रहने आने से पहले भाषा सीखना फायदेमंद है.

पार्टनर के वीजा पाने के लिए जर्मन भाषा के टेस्ट की कानूनी वैधता का अंतिम फैसला यूरोपीय अदालत लेगी ऐसी संभावना है. वाइंडलमायर अब मुकदमे पर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगी. उन्हें वीजा मिल चुका है और वे जर्मनी आ चुकी हैं. इस बीच उन्हें अपने नए देश में नौकरी भी मिल चुकी है.

रिपोर्ट: मार्कुस लुटिके/एमजे

संपादन: निखिल रंजन

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