जलवायु परिवर्तन का चाय के बागानों पर असर
ताइवान में चाय के बागानों पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर असर होने का संदेह है. इस साल मौसम के असर से चाय की लगभग आधी फसल बर्बाद हो गई. क्या उपाय कर सकते हैं चाय उगाने वाले?
जलवायु के आगे बेबस
ताइवान में चाय के बागान के मालिक चिएन शुन-यीह इस साल की फसल से संतुष्ट नहीं हैं. अतिविषम मौसमी हालात ने उनकी आधी फसल बर्बाद कर दी है. वो कहते हैं, "आप मौसम को नियंत्रित कर ही नहीं सकते, भले ही आप चाय ही क्यों ना उगाते हों." लेकिन वो उम्मीद कर रहे हैं कि खुद बनाई हुई पानी टंकी जैसे उपायों की मदद से वो सूखे से निपटने के विकल्प निकाल पाएंगे.
ताइवान की चाय
मेशान के आस पास के पहाड़ों में 19वीं शताब्दी से चाय उगाई जा रही है. शुन-यीह ने तीन साल पहले अपने पिता के देहांत के बाद बागान का कार्यभार संभाला था. तब से काफी कुछ बदल गया है. अस्थिर मौसमी हालात के बावजूद अच्छी फसल सुनिश्चित करने के लिए अलग अलग तरीके ढूंढना और जरूरी होता जा रहा है.
श्रमिकों की घटती आय
बागानों में चाय की पत्तियां चुनने वाले भी जलवायु परिवर्तन से सीधा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि उनकी कमाई एक किलो चाय के दाम के आधार पर निर्धारित होती है. वो कहते हैं, "कम फसल, कम कमाई." आजकल चाय की पत्तियों को उगने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए श्रमिकों को हर मौसम में कई बार बागानों में जाना पड़ता है.
पानी के पंप से मिल सकती है मदद
शुन-यीह बिना थके हमेशा स्थिति में सुधार लाने के तरीके खोजते रहते हैं. पानी की टंकी में लगे हुए एक पाइप की मदद से वो पंप का इस्तेमाल कर दूर से भी टंकी में पानी भर सकते हैं. इससे उन्हें सूखे के बावजूद बागानों की सिंचाई करने की सुविधा मिलती है.
नई चुनौतियां
जलवायु से जुड़ी चुनौतियां दूसरी नई चुनौतियां लाती हैं. कीड़े एक बड़ी समस्या हैं क्योंकि सूखे की वजह से वो आसानी से पौधों पर हमला कर सकते हैं. सरकारी शोधकर्ता लिन शियो-रुई कहती हैं, "कीड़ों को सूखा और गर्मी बहुत पसंद है." वो बताती हैं कि कीड़े पहले से कमजोर पौधों पर हमला करते हैं, जिसकी वजह से "चाय के संवेदनशील पौधे भी मर सकते हैं."
जलवायु से संबंध है भी या नहीं?
शुन-यीह गर्व से पर्यटकों को अपने बागान दिखाते हैं और बार बार कहते हैं कि फसल बदलते मौसमी हालात पर बहुत निर्भर है. लेकिन ताइवान के चाय के बागानों में जो हो रहा है उसके लिए जलवायु परिवर्तन सीधे तौर पर जिम्मेदार है या नहीं इसे अभी तक निसंदेह रूप से साबित नहीं किया गया है.
चाय की फसल
ताजा चुनी हुई चाय की पत्तियों को शुन-यीह और उनकी टीम ताइवान की कड़ी धुप में सुखाते हैं. जहां संभव हो वो खुद भी मदद करते हैं. पत्तियों के सूखने के बाद अगला कदम होता है किण्वन (फर्मेंटेशन).
रंग सही होना चाहिए
किण्वन कब तक करना है उसकी अवधि बेहद जरूरी है. चाय की पत्तियों का रंग इस बात का संकेत देता है कि स्वाद सही है या नहीं. इसके बाद चाय को तैयार करने के और भी कदम हैं.
खुशबू से पहचान
एक तजुर्बेकार चाय उगाने वाला सूंघ कर बता सकता है कि उसकी चाय तैयार है या नहीं. हालांकि इसके पीछे एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, शुन-यीह और उनकी टीम को उम्मीद है कि यह परंपरा बदलते मौसम के बावजूद चलती रहेगी. (जूली एच.)