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समाज

यूपी और उत्तराखंड में जहरीली शराब से दर्जनों मौतें

समीरात्मज मिश्र
१० फ़रवरी २०१९

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या सत्तर के करीब पहुंच चुकी है. कई लोग अभी भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. बताया जा रहा है कि ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है.

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Symbolbild |  Selbstgebrannter Schnaps verursacht mind. 70 Tote in Indien
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/P. Adhikary

सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुई हैं जहां अब तक 46 लोगों की जान जा चुकी है जबकि सहारनपुर से लगे उत्तराखंड के रुड़की शहर में भी एक दर्जन लोग जहरीली शराब से अपनी जान गंवा चुके हैं. सौ से ज्यादा लोगों का सहारनपुर और मेरठ के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.

सहारनपुर जिले के नागल, गागलहेड़ी और देवबंद थाना क्षेत्र के कई गांवों में दर्जनों लोगों की मौत हो गई है और पचास से ज्यादा लोग शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि सहारनपुर में जहरीली शराब पड़ोस के उत्तराखंड राज्य से लाई गई थी.

एक दिन पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भी जहरीली शराब ने दस से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. दोनों घटनाओं से हैरत में आई सरकार ने कार्रवाई करते हुए पहले कुछ कर्मचारियों का निलंबन किया और अधिकारियों को राज्य भर में अवैध शराब के खिलाफ सघन अभियान छेड़ने का निर्देश दिया. सरकार के निर्देश के बाद बड़ी मात्रा में अवैध शराब पकड़ी गई है और नष्ट की गई है.

बताया जा रहा है कि सहारनपुर में जहरीली शराब पीने के बाद मौत का सिलसिला शुक्रवार सुबह से शुरू हुआ. सहारनपुर के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने बताया, "ये सभी लोग उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में एक तेरहवीं में गए थे और वहां से आने के बाद इनकी तबीयत खराब हुई. समय से इलाज न मिल पाने के कारण कुछ लोगों की मौत हुई. जिन्हें समय से अस्पताल पहुंचाया गया, उनमें से कई लोग बच गए हैं.”

सहारनपुर के देवबंद क्षेत्र में 2009 में भी ठीक ऐसी ही एक घटना हुई थी जब जहरीली शराब ने करीब पचास लोगों की जान ले ली थी. उत्तर प्रदेश में पिछले दो साल में शराब से होने वाली मौत की ये पांचवीं बड़ी घटना है.

पिछले साल मई में कानपुर के सचेंडी और कानपुर देहात में जहरीली शराब पीने से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जबकि जनवरी में बाराबंकी में करीब एक दर्जन लोग जहरीली शराब पीने से मर गए थे. वहीं जुलाई 2017 में आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी.

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बड़ी घटना होने के बाद सरकार कार्रवाई जरूर करती है लेकिन दोषी लोग अकसर या तो हल्की-फुल्की सजा पाकर बच जाते हैं या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है. जानकारों के मुताबिक, अब तक ऐसे मामले में किसी भी दोषी को कोई बड़ी सजा नहीं दी गई है और यही वजह है कि ऐसी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं. खुले में शीरे और पुराने गुड़ आदि में केमिकल मिलाकर बनाई जाने वाली शराब में कई बार जहरीले तत्व पैदा हो जाते हैं जिसे पीने से इस तरह के हादसे होते हैं.

दरअसल, उत्तराखंड और यूपी के जिन गांवों में शराब पीने से लोगों की मौत हुई है, वे सीमा से सटे हैं और एक-दूसरे के करीब हैं. इन गांवों में सामान लाने और ले जाने के लिए खेतों के रास्ते का सहारा लिया जाता है. आमतौर पर सर्दी के वक्त अवैध शराब की खपत बढ़ जाती है और सस्‍ती शराब को गरीब और मजदूर लोग पीते हैं. इसका व्यापार करने वालों के निशाने पर गांव के साथ शहरी क्षेत्र के गरीब लोग भी रहते हैं.

जहरीली शराब का पूरे उत्तर प्रदेश में एक बड़ा नेटवर्क काम करता है जो पुलिस और प्रशासन की मदद से अपना कारोबार संचालित करता है. सहारनपुर के स्थानीय पत्रकार महेश कुमार बताते हैं, "जहरीली शराब का कारोबार काफी लंबा है और इसके तार हर एक राज्य के साथ जुड़े हैं. निश्चित तौर पर इसमें आबकारी विभाग और पुलिस की मिली भगत होती है और यही वजह है कि जब इस तरह के हादसे होते हैं तो अकसर इन दोनों विभागों के लोग दोषी पाए जाते हैं.”

फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देश के बाद शराब माफिया के खिलाफ राज्य सरकार सघन अभियान छेड़े हुए है लेकिन सहारनपुर में जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है.

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