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पर्याय हैं यहां क्रिसमस और मोमबत्ती के धनुषाकार होल्डर्स

१७ दिसम्बर २०२१

जर्मनी का एर्त्सगेबिर्गे क्षेत्र अपनी सजावटी कला परंपरा के लिए जाना जाता है. बेहतरीन उत्पादों की श्रृंखला बहुत बड़ी है, लेकिन हार्डी ग्राउपनर बताते हैं कि इनमें भी धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स अपने आप में विशेष हैं.

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Schwibbögen aus dem Erzgebirge
तस्वीर: Hardy Graupner/DW

जर्मनी में सैक्सनी के योहानगियॉर्गेनस्टाट आए पर्यटकों का एक समूह, शहर के बीचोंबीच एक विशाल सजावटी संरचना की तस्वीरें ले रहा है. पास से देखने पर धातु के बने एक बड़े मेहराब के नीचे कई चित्रित आकृतियां दिखती हैं. दोपहर का समय है, लेकिन आसानी से कल्पना की जा सकती है कि जब रात उतरती है और इस मेहराब पर लगी इलेक्ट्रिक मोमबत्तियां जलती हैं तो यह इलाका गर्म और सुकून देती रोशनी के आगोश में खो जाता है. 

यह शहर और किसी खास चीज के लिए नहीं जाना जाता. चेक गणराज्य से लगा हुआ यह एक छोटा शीतकालीन खेल रिसॉर्ट है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह शहर उस जगह होने पर गर्व करता है जहां एर्त्सगेबिर्गे के धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स की उत्पत्ति हुई. इन होल्डर्स को जर्मन भाषा में श्विबबोगेन कहा जाता है. और सभी को यह याद दिलाने के लिए कि योहानगियॉर्गेनस्टाट में ही दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा मोमबत्ती होल्डर है.

दिसंबर के ठंडे दिनों में इसके आसपास इकट्ठा होने वाले पर्यटक वास्तव में इससे प्रभावित होते हैं. यह संरचना 25 मीटर चौड़ी और 14.5 मीटर ऊंची है. इस विशाल मेहराब में बिजली की बड़ी मोमबत्तियों का एक सेट होता है जो मेहराब के भीतर रखे खनन से संबंधित विभिन्न आकृतियों को रोशन करता है.

एक पर्यटक बताता है, "मैं यहां पहले भी आया हूं. लेकिन हर बार जब मैं आता हूं तो मुझे लगता है कि मोमबत्ती होल्डर और भी लंबा हो गया है." उनकी मित्र भी उससे सहमत है. वह कहती है, "यदि आप इसके ठीक बगल में खड़े हैं तो यह आपको बहुत छोटा महसूस कराता है."

Schwibbögen aus dem Erzgebirge
ये मोमबत्ती होल्डर कई साइज में मिलते हैं तस्वीर: Hardy Graupner/DW

गहरी जड़ें जमा चुकी परंपरा

हालांकि, यहां पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है क्योंकि कोरोनो वायरस महामारी की चौथी लहर ने पर्यटन क्षेत्र को प्रभावित किया है. लेकिन धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स को देखने के लिए जर्मनों का जुनून जरा भी कम नहीं हुआ है. एर्त्सगेबिर्गे क्षेत्र में लगभग सभी लोग और इसके बाहर रहने वाले बहुत से लोग मानते हैं कि उनके पास क्रिसमस की सजावट होनी चाहिए जो आम तौर पर घर पर एक खिड़की पर रखी जाती है, वहां से गुजरने वालों की खुशी के लिए.

रीजनल एसोसिएशन ऑफ आर्टिसंस एंड टॉयमेकर्स के प्रमुख फ्रेडरिक गुंटर डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "धनुषाकार कैंडल होल्डर हमारे अन्य उत्पादों की तरह एर्त्सगेबिर्गे क्षेत्र की विशेषता को दर्शाते हैं. हर कोई उन्हें खिड़कियों में देख सकता है और यह कहना उचित होगा कि वे हमारे क्षेत्र और हमारे उत्पादों के राजदूत हैं."

उत्पत्ति पर बहस जारी है

लेकिन ये वास्तव में कहां से आया और इस इलाके में कब से हैं? अपने शहर के इतिहास में गहरी दिलचस्पी लेने वाले योहानगियॉर्गेनस्टाट के एक लकड़ी तराशने वाले टॉम पोटे इस बारे में कुछ बताना चाहते हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "पहला धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर साल 1740 में योहानगियॉर्गेनस्टाट में योहान टेलर नाम के एक लोहार ने बनाया था. वह जिन खनिकों के लिए काम करता था, उन्हें 'धन्यवाद' कहने का ये उसका तरीका था. तब से लेकर अब तक इस कस्बे में ऐसे कैंडल होल्डर बनते आ रहे हैं."

Schwibbögen aus dem Erzgebirge
मोमबत्ती वाले मेहराबों के बिना एर्त्सगेबिर्गे के घर कैसेतस्वीर: Hardy Graupner/DW

लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स के आकार किससे प्रेरित हैं. पोटे कहते हैं, "यदि आप आस-पास पूछें कि मूल धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स का प्रतीक क्या था, तो करीब 80 फीसद लोग कहेंगे कि मेहराब एक खान में जाने वाली सुरंग के प्रवेश द्वार पर बनाया गया था." फिर भी उनका मानना ​​​​है कि आकार वास्तव में योहानगियॉर्गेनस्टाट के पुराने चर्च में चित्रित मेहराब पर आधारित था जो बाद में एक भीषण आग में जल गया था. पोटे जोर देकर कहते हैं कि साल 1740 में मेहराब के निर्माता निस्संदेह उस चर्च में गए और वहां के मेहराबों से प्रेरित महसूस किया होगा.

अलग अलग कहानियां

ड्रेसडेन में सैक्सन लोक कला संग्रहालय में काम करने वाले इगोर येनसेन के पास धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर के बारे में एक अन्य कहानी है. वो साल 1719 की ओर इशारा करते हैं जब ऑगस्टस द स्ट्रॉन्ग के बेटे फ्रेडरिक ऑगस्टस ने ऑस्ट्रियाई सम्राट की बेटी से शादी की थी.

कई हफ्तों तक चलने वाले इस उत्सव में, एर्त्सगेबिर्गे क्षेत्र के खनिकों सहित कई लोगों को ऑपेरा, मुखौटों और त्योहार के कई अन्य सामानों के साथ देखा जा सकता है. वहां, लोगों ने मेहराबों वाली एक बड़ी परेड के लिए रखी गई इमारतें भी देखीं, जो मोमबत्ती होल्डर्स के लिए एक ढांचे के रूप में काम कर सकती थीं.

धातु बनाम लकड़ी

सदियों तक क्रिसमस की प्रसिद्ध सजावट की चीजें धातु से बनती थीं. पोटे बताते हैं, "केवल 1940 के दशक में उन्होंने लकड़ी से धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर बनाना शुरू किया और इसके साथ विभिन्न रूपांकनों और दृश्यों की भरमार हो गई. इनकी बिक्री ज्यादा होती है क्योंकि वे आमतौर पर कम खर्चीले होते हैं, लेकिन ये वस्तुएं लकड़ी और प्रीमियम स्टील दोनों ही रूप में साथ-साथ मौजूद होती हैं. नक्काशीदार लकड़ी के होल्डर्स खिड़की पर बेहतर दिखते हैं, जबकि स्टील मोमबत्ती होल्डर्स ज्यादा टिकाऊ होते हैं क्योंकि उनमें जंग नहीं लगती है."

Schwibbögen aus dem Erzgebirge
गेलेनाउ शहर में इमारत से लगा दुनिया का सबसे बड़ा मोमबत्तियों वाला मेहराब हैतस्वीर: Hardy Graupner/DW

एर्त्सगेबिर्गे क्षेत्र से कई अन्य लकड़ी के सजावटी सामान हैं जो विदेशों में हाथोंहाथ बिकते हैं, जैसे लकड़ी के बने हुए सरौते. हालांकि धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर्स का मामला थोड़ा अलग है. रीजनल एसोसिएशन ऑफ आर्टिसंस एंड टॉयमेकर्स के प्रमुख फ्रेडरिक गुंटर बताते हैं, "धनुषाकार मोमबत्ती होल्डर मुख्य रूप से जर्मन बाजार के लिए उत्पादित होते हैं. जहां तक ​​विदेशी बाजार का संबंध है, उदाहरण के लिए जर्मनी और अमेरिका में विभिन्न वोल्टेज के कुछ तकनीकी मुद्दे हैं, इसलिए हर मॉडल दोनों बाजारों के लिए उपलब्ध नहीं है."

गुंटर कहते हैं कि अमेरिका के संभावित खरीदारों को, जो इस क्षेत्र का दौरा करते हैं, उन्हें सतर्क रहना होगा कि मोमबत्ती होल्डर्स के लिए अलग-अलग बल्बों की भी जरूरत होती है.

महामारी की वजह से नुकसान

कोरोना महामारी के दौरान, निर्माता और खुदरा विक्रेता दोनों घरेलू मांग पर कड़ी नजर रख रहे हैं. गुंटर कहते हैं, "ऐसे निर्माता जो मजबूती से चीजों को संग्रह करने की क्षमता रखते हैं, वो ऑनलाइन तरीके से अच्छा कारोबार कर रहे हैं और कोविड प्रतिबंधों से शायद ही प्रभावित हों. लेकिन छोटे-मोटे स्टोर वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए, पर्यटकों के दूर रहने के कारण कोविड महामारी की वजह से बड़ी समस्या है.”

वे कहते हैं, "और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जर्मनी में अधिकांश क्रिसमस बाजार इस वर्ष बहुत कम सूचना पर रद्द कर दिए गए थे. कई व्यापारियों ने पहले से ही अपना स्टैंड यह जानने के बावजूद किराये पर लिया था कि बाजारों को बंद किया जा सकता है और कोई भी उनके नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं करेगा."