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जहां चाह वहां राह: जूही चावला

१ जून २०१४

वर्ष 1984 में मिस इंडिया का खिताब जीतने के दो साल बाद सल्तनत के जरिए अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाले अभिनेत्री जूही चावला ने अपने 28 साल लंबे करियर में टीवी शो से लेकर फिल्मों के निर्माण तक में हाथ आजमाया है.

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तस्वीर: Valery Hache/AFP/Getty Images

इंडिया प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम की सह-मालकिन होने के अलावा जूही चावला विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय हैं. फिलहाल वह हॉलीवुड की फिल्म द हंड्रेड फूट जर्नी में काम कर रही हैं. जूही कहती हैं कि मन में चाह हो तो राह निकल ही आती है. इस सप्ताह कोलकाता आईं जूही ने डॉयचे वेले के साथ बातचीत में अपने अनुभव को साझा किया. पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश:

अपने अब तक के फिल्मी सफर के बारे में क्या सोचती हैं?

मैंने अपने लंबे सफर के दौरान विभिन्न फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाए हैं. हालांकि किसी भी कलाकार को आजीवन बेहतरी की उम्मीद और तलाश रहती है लेकिन मैं अपने अब तक के करियर से संतुष्ट हूं. इस लंबे सफर में कई किस्म के लोगों से पाला पड़ा. कुल मिला कर मेरा अनुभव बेहद खुशगवार रहा है.

फिल्मों में कैसे आईं? क्या पहले से अभिनय के बारे में सोचा था?

सच कहूं तो ऐसी कोई योजना ही नहीं थी. मेरे माता-पिता दोनों नौकरी करते थे. पहले अंबाला और दिल्ली के बाद हम लोग मुंबई आ गए. वहीं मैंने स्कूल और कालेज की पढ़ाई की और फिर संयोग से फिल्मों में आ गई. दरअसल, मेरे कालेज में मिस फेमिना इंडिया प्रतियोगिता के फार्म बंट रहे थे. मैंने भी दूसरों की देखादेखी फार्म भर दिया. उसके बाद इंटरव्यू में फाइनल के लिए मेरा चयन हो गया. उस प्रतियोगिता में मुझसे सुंदर लड़कियां भी शामिल थीं. लेकिन एक सवाल के स्मार्ट जवाब की वजह से मैं चुन ली गई. मिस इंडिया बनने के बाद पहली फिल्म का आफर खुद चल कर मुझ तक आया और इस तरह मेरा फिल्मी सफर शुरू हो गया.

आपके पसंदीदा निर्देशक कौन रहे हैं?

मेरे पसंदीदा निर्देशकों में यश चोपड़ा जी का नाम सबसे ऊपर है. वह कभी किसी कलाकार पर चिल्लाते नहीं थे. लेकिन बखूबी जानते थे कि किससे कैसे काम लेना है. उनके साथ काम करना मेरे जीवन का सबसे अहम अनुभव है. उनके अलावा अजीज मिर्जा और महेश भट्ट जैसे निर्देशकों के साथ काम करने के दौरान भी बहुत कुछ सीखने को मिला. महेश जी तो सेट पर काफी हंसाते थे. उनकी कोशिश कलाकार को फिल्म के सीन के अनुरूप ढाल कर उससे सटीक अभिनय कराने की रहती थी और इसमें उनको काफी कामयाबी भी मिलती थी.

Indien - Juhi Chawla
तस्वीर: DW/Tewari

और पसंदीदा अभिनेता?

वैसे तो हर अभिनेता के साथ काम करने का अनुभव अलग और खास होता है. लेकिन इस मामले में मैं शाहरुख खान और आमिर खान का नाम लेना चाहूंगी. कयामत से कयामत तक के स्क्रीन टेस्ट के दौरान आमिर ने मुझे संवाद अदायगी और अभिनय के गुर सिखाए थे. जबकि उस फिल्म में हम दोनों नए कलाकार थे. लेकिन नासिर हुसैन का सहायक होने की वजह से आमिर को तकनीकी पक्ष की जानकारी थी. शाहरुख खान भी काफी सीधे-सादे थे. वह यूनिट के दूसरे लोगों के साथ ही उसी गिलास में चाय पीते थे और साथ ही दाल-चावल खाते थे. वह सेट पर सबका मनोरंजन करते रहते थे. इससे तनाव कम हो जाता था और लोग अपना प्राकृतिक अभिनय कर पाते थे. अब चीजें कुछ बदली हैं. लेकिन मुझे लगता है कि उनका दिल अब भी पहले जैसा ही है.

अपने पति से आपकी मुलाकात कैसे हुई?

मैं उनको कालेज के दिनों से ही सामान्य तरीके से जानती थी. लेकिन अभिनय शुरू करने के बाद हमारा संपर्क टूट गया था. बाद में एक रात दोस्तों के साथ एक रेस्तरां में खाने के लिए जाने पर दोबारा उनसे मुलाकात हुई और उसके बाद रिश्ता धीरे-धीरे मजबूत होने लगा. साल भर बाद यह रिश्ता शादी में बदल गया.

गुलाब गैंग में विलेन का किरदार अदा करते समय कैसा लगा था?

पहले तो यह थोड़ा अटपटा लगा था. मैंने अपने करियर में हमेशा सीधी-सादी हीरोइन का किरदार निभाया था. लेकिन फिर मैंने सोचा कि मुझे प्रेम चोपड़ा या गुलशन ग्रोवर जैसी भूमिका नहीं निभानी है. बस पहले की भूमिका में जरा हेर-फेर करना है. उसके बाद मैं तैयार हो गई.

फिल्मों के अलावा, क्रिकेट, टीवी शोज और सामाजिक गतिविधियों के लिए समय कैसे निकालती हैं?

मन में चाह हो तो राह निकल ही आती है. मैं कई सामाजिक संगठनों से जुड़ी हूं. मुझे समाज से जितना मिला है उसका कुछ हिस्सा भी लौटा सकूं तो खुद को कामयाब समझूंगी.

इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा