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जानबूझ कर छिपाया गया यौन शोषण

४ दिसम्बर २०१०

जर्मनी के कैथोलिक चर्च ने यौन शोषण के मामलों को ढकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया. इस वजह से दशकों तक ऐसे मामले सामने नहीं आ पाए. म्यूनिख और फ्राइजिंग के आर्कडियोसीस के अध्ययन में काफी बातें सामने आई हैं.

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तस्वीर: AP

आर्कडियोसीस ने इस अध्ययन के लिए वकील मारियोन वेस्टफाल को नियुक्त किया था. वेस्टफाल ने बताया कि 1945 और 2009 के बीच रिकॉर्डों में काफी हेरफेर हुआ है. उन्होंने कहा कि मामलों को ढकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया. इसलिए कुछ मामलों में आपराधिक मुकदमे भी चलाए गए. वेस्टफाल ने कहा, "सिर्फ 26 पादरियों को यौन अपराधों के लिए सजा हुई. हमें मानना होगा कि यौन शोषण के मामलों की एक बड़ी तादाद छिपी रही. बड़ी संख्या में फाइलें नष्ट की गईं."

Großbritannien Vatikan Papst Benedikt XVI in Edinburgh
पोप बेनेडिक्ट 16वेंतस्वीर: AP

वेस्टफाल ने बताया कि 1977 से 1982 के बीच के काफी रिकॉर्ड गायब हैं. तब आर्कडियोसीस के आर्कबिशप जोसेफ रात्सिंगर थे. यही अब पोप बेनेडिक्ट 16वें हैं.

इस दौरान का वेस्टफाल को सिर्फ एक दस्तावेज मिला है. वेस्टफाल बताती हैं कि यह भी एक यौन शोषण का मामला था जिससे रात्सिंगर खुद निबटे थे. इस फाइल में उनका लिखा एक पत्र है जिसमें आरोपी पादरी को पद से हटाने की बात कही गई है.

वेस्टफाल ने बताया कि चर्च के कर्मचारियों ने जानबूझकर रिकॉर्ड नष्ट कर दिए क्योंकि उनकी प्राथमिकता किसी कांड को खड़ा होने से बचाना थी न कि पीड़ितों की रक्षा करना. इस अध्ययन में 13,200 फाइलों को पढ़ा गया. इनमें से 365 फाइलों में सबूत मिले कि यौन शोषण के मामले बहुत ही आम बातों की तरह हुए. इन मामलों में 159 पादरी, 15 उपपादरी, 96 धार्मिक अध्यापक और छह कर्मचारी शामिल हैं. सबसे ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में हुआ.

वेस्टफाल बताती हैं कि कुछ फाइलों को निजी अपार्टमेंट में छिपाकर रखा गया. काफी फाइलों को ऐसी जगह तालाबंद रखा गया जहां बहुत कम लोगों की पहुंच है. नियम बनाकर इन फाइलों में अपराधिक सजाओं का जिक्र नहीं किया गया है. कुछ मामलों में तो पीड़ित का भी जिक्र नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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