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जान बचाते कुत्ते

२५ अगस्त २०१०

कभी हेलिकॉप्टर से सीधे समुद्र में छलांग लगाते हैं तो कभी जहाज़ से. इन कुत्तों को डूबते लोगों की जान बचाने की खास ट्रेनिंग दी गई है. इटली में एक स्कूल इन्हें प्रशिक्षण देता है और यह तट पर घूमने आए लोगों पर निगरानी रखते है

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

कुत्तों को ट्रेनिंग दे रहे रोबेर्तो गासबारी का कहना है कि वे काफी समझदार हैं क्योंकि यह अपने आप डूबते लोगों के पास जाते हैं और उन्हें बचाकर वापस तट तक लाते हैं. तैरते हुए यह 'लाइफडॉग्स' जानते हैं कि समुद्र में कौन सी जगह सबसे सुरक्षित और खतरनाक धाराओं से मुक्त है. इनसानों के मुकाबले इनकी सहनशक्ति भी ज्यादा है. इससे डूबने वाले आदमी के बचने की उम्मीद बढ़ जाते हैं.

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तस्वीर: AP

प्रशिक्षण के लिए कुत्ते का वजन कम से कम 30 किलो का होना चाहिए. कुत्ते की नस्ल को लेकर कोई प्राथमिकता नहीं दी जाती लेकिन लैब्राडोर, न्यूफाउंडलैंडर और गोल्डन रिट्रीवर जैसे नस्ल इस काम को बेहतर ढंग से करते हैं. बचाव तैराक (लाइफगार्ड) मोनिया लूचियानी का कहना है कि गोल्डन रिट्रीवर कुत्ते कुछ भी ढूंढ कर लाने में सक्षम होते हैं. इनके लिए खोई चीज ढूंढकर लाना खेल जैसा है. वे इसे काम नहीं समझते. इन्हें तैरने से भी डर नहीं लगता. तीन साल की ट्रेनिंग के बाद कुत्ता बचाव के लिए तैयार हो जाता है. उसके गले में एक लाइफबॉय या रस्सी बांध दी जाती है जिससे डूबता व्यक्ति इसे पकड़ सके.

इटली के बेरगामो में इस स्कूल की शुरुआत 20 साल पहले फेरूचियो पिलेंगा ने की थी. सबसे पहले पिलेंगा ने अपने कुत्ते को ट्रेन किया. इस बीच इटली में पिलेंगा और कई स्कूल चलाते हैं जहां कुत्तों को जान बचाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इस वक्त तटीय चिवितावेचिया इलाके में 300 से ज्यादा प्रशिक्षित कुत्ते हैं जिन्हें तट पर तैनात किया गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए जमाल

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