1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जान बचाने के लिये मेरठ में बसेंगे गैंडे

फैसल फरीद
१९ मई २०१७

असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में रहने वाले दुर्लभ गैंडों के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर सैंक्चुअरी में जगह तलाश ली गयी हैं. उन्हें असम से हजारो किलोमीटर दूर मेरठ में भी रखा जायेगा.

https://p.dw.com/p/2dGSz
Nashorn
तस्वीर: picture alliance/dpa/Blickwinkel

एक सींग वाला गैंडे को राइनो के नाम से भी जाना जाता है. लगभग 12 फीट लम्बे और 6 फीट ऊँचे जानवर का वजन लगभग तीन टन होता है. ये इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की खतरे वाली सूची में है. इस वजह से इनको दुर्लभ कहा जाता है. इसके अलावा उनके रहने का स्थान लगातार घटता जा रहा है और सींग री मांग के कारण होने वाले शिकार की वजह से उनकी संख्या भी घटती जा रही है.

कभी पूरे इंडो-गैंजेटिक मैदान में पाए जाने वाले एक सींग वाले राइनो अब केवल 3500-4000 बचे हैं जो ज्यादातर असम में हैं. भारत में इनका शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं. फिर भी इनकी सींग के लिए इनका शिकार चोरी छुपे होता है. इनके सींग और शरीर के अन्य हिस्सों से यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवाएं बनाने की बात कही जाती हैं. काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडे शिकार के अलावा बाढ़ और यहां तक बाघों के हमले में भी मारे जा चुके हैं. ऐसे में इनके पुनर्वासन की कवायद जोरों से चल रही है.

Indien Shuklaphanta Nationalpark Rhinozeross Umssiedlung Freilassung
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Mathema

असम में काजीरंगा नेशनल पार्क में रहने वाले गैंडों के लिए नया घर तलाश लिया गया है. मेरठ में स्थित हस्तिनापुर सैंक्चुअरी में बिजनौर बैराज के पास हैदरपुर झील में करीब 60 वर्ग किलोमीटर में इनका आशियाना बनाया जायेगा. विशेषज्ञों ने इस जगह का निरीक्षण कर लिया है और इस जगह को उनके पुनर्वास के लिए सही पाया है. यहां गैंडो का खाना यानी घास के मैदान आराम से उपलब्ध हैं. यहां लगभग नौ प्रकार की घास मिलती है जिसे गैंडे चाव से खायेंगे. मेरठ के मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार के अनुसार ये प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है. कब और कितने राइनो लाये जायेंगे ये बाद में तय होगा.

ये एक सींग वाले गैंडे आईयूसीएन की 'खतरे' वाली लिस्ट में हैं इसीलिए इनकी सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार की ओर से व्यापक इंतजाम किये जा रहे हैं. पशु तस्करों और शिकारियों से बचाव के लिए शासन ने भी कार्य योजना बनानी शुरू कर दी है. पूरी हैदरपुर झील को अभेद सुरक्षा घेरे मे ले लिया जायेगा. दर्जनों जगह पर सी सी टी वी कैमरे लगाये जायेंगे. पहली बार गैंडो की सुरक्षा के लिए वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन फोर्स का भी गठन किया जायेगा. जिसमें सेना के सेवानिवृत जवान होंगे. ये हथियार और नाईट विजन कैमरों से लैस होंगे. ये पूरी तरह से सरकारी दस्ता होगा. मेरठ के मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार ने ऐसा दस्ता बनाने की पुष्टि की है.

कुल मिला कर हस्तिनापुर सैंक्चुअरी को गैंडो का सबसे सुरक्षित घर बना दिया जायेगा. इससे पहले उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में लगभग तीन दर्जन गैंडो का पुनर्वास किया गया था. लेकिन हस्तिनापुर सैंक्चुअरी की भौगोलिक और इकोलॉजी स्थिति की वजह से ये जगह सबसे बेहतर पायी गयी है. हस्तिनापुर सैंक्चुअरी चूँकि भारत की राजधानी दिल्ली से मात्र 130 किलोमीटर की दूरी पर है ऐसे में पर्यटन की दृष्टि से भी गैंडों को यहां लाने के फैसले को सही माना जा रहा है.