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जान लेने वाले ड्रोन, जान बचा भी सकते हैं

१८ जनवरी २०१८

बम फेंकने वाले ड्रोन इंसान की जान भी बचा सकते हैं. वो भी ऐसे हालात में जब मौत बहुत ही करीब हो. ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ऐसा किया गया है.

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Afghanistan US-Drone MQ-9 Reaper
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/US Air Force/Lt. Col. Leslie Pratt

न्यू साउथ वेल्स प्रांत के लेनॉक्स हेड तट पर दो युवक समुद्र में तैर रहे थे. तभी 10 फुट ऊंची लहर आई. दोनों लहर में फंस गए. दोनों के नाक और मुंह में पानी भर गया. लहर ने उनके शरीर को इधर उधर पटक दिया. तैराक जान बचाने के लिए छटपटाने लगे. तभी तट पर मौजूद बाकी लोगों की नजर डूबते युवकों पर पड़ी, उन्होंने इमरजेंसी अलार्म बजा दिया. और फिर आकाश में उड़ता एक ड्रोन डूबते युवकों के पास पहुंचा. सही जगह पहुंचते ही ड्रोन ने लाइफ जैकेट फेंकी और जान बच गई.

तट पर मौजूद लाइफगार्ड सुपरवाइजर जय शेरीडैन के पास ड्रोन का रिमोट था. शैरीडैन के मुताबिक, "मैं ड्रोन को उड़ाकर लोकेशन तक पहुंचाने में कामयाब रहा. एक या दो मिनट के भीतर ही मैंने पॉड गिरा दिया. आम तौर पर ऐसी परिस्थितियों में चार लाइफगार्ड तैरते हुए वहां तक जाते और सही जगह तक पहुंचने में उन्हें कुछ मिनट ज्यादा लगते."

Indonesien Pottwale gestrandet an Ujong Krueng beach in Aceh-Provinz
ड्रोन से समुद्री तट का नजारातस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin

ऑस्ट्रेलिया में जान बचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का यह पहला मामला है. चारों तरफ से महासागर से घिरे देश में ड्रोन तटों पर राहत और बचाव का काम बखूबी कर सकते हैं. ड्रोन के जरिए डूबते लोगों तक तेजी से पहुंचा जा सकता है. उन तक लाइफ जैकेट, रबर का छल्ला या सर्फ बोर्ड पहुंचाया जा सकता है. पानी में शार्क जैसी जानलेवा मछलियों का पता भी ड्रोन काफी बेहतर तरीके से लगा सकते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में ड्रोन के कैमरों के लिए खास प्रोग्रामिंग की गई है. प्रोग्रामिंग की मदद से ड्रोन 90 फीसदी सटीकता के साथ शार्क जैसे जीवों को पहचान लेता है. पानी में शार्क का पता लगाने के मामले में इंसानी आंख की सफलता 16 फीसदी है.

ओएसजे/एमजे (एएफपी)