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जेएनयू के बचाव में आए शॉटगन और चॉम्स्की

ईशा भाटिया१७ फ़रवरी २०१६

अदालत में पेश छात्र नेता कन्हैया कुमार पर बरसे वकील, पटियाला हाउस में पेशी से पहले की पिटाई. वहीं कन्हैया कुमार के बचाव में उतरे बीजेपी के सांसद शत्रुघ्न सिंहा और जानेमाने लेखक नोआम चॉम्स्की.

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Indien Proteste in Neu-Delhi
तस्वीर: Reuters/A. Mukherjee

ऐसा पहली बार नहीं है कि शत्रुघ्न सिंहा पार्टी की लाइन से हट कर बयान दे रहे हों. जहां जेएनयू का मामला बीजेपी सरकार बनाम वामपंथी दलों के रूप में उभर रहा है, वहीं शत्रुघ्न सिंहा ने ट्विटर के माध्यम से जेएनयू छात्र संघ नेता कन्हैया कुमार के लिए समर्थन दिखाया है. सिंहा ने लिखा, "मैंने अपने बिहार के लड़के, जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया की पूरी स्पीच सुनी. उसने देश के या फिर संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है."

इसके बाद भी सिंहा ने कई ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, "मैं उम्मीद करता हूं, दुआ करता हूं और चाहता हूं कि वह जल्द ही रिहा हो, जितनी जल्दी होगा, उतना ही अच्छा". सिंहा यह कहने से भी नहीं चूके कि जेएनयू जिस संकट से गुजर रहा है, उसकी वजह राजनीतिक है. उन्होंने लिखा कि जेएनयू एक ऐसी संस्था है जिसकी अंतरराष्ट्रीय ख्याति है, इतिहास है. वहां भारत के बेहतरीन छात्र और कई जाने माने टीचर हैं, इसलिए जेएनयू को "और शर्मिंदगी से बचाने की जरूरत है".

वहीं मशहूर लेखक, दार्शनिक और भाषाविद अमेरिका के प्रोफेसर नोआम चॉम्स्की ने भी जेएनयू को समर्थन दिया है. दुनिया भर से 86 वैज्ञानिकों, लेखकों और समाजशास्त्रियों ने एक साझा बयान दिया है जिसमें लिखा है, "हमें भारत सरकार द्वारा किए गए शर्मनाक हादसे के बारे में पता चला, जिसमें भारत के उपनिवेशकों द्वारा बनाए गए राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में भेजा गया और गैरकानूनी रूप से छात्र नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया. बिना किसी प्रमाण के उन पर हिंसा फैलाने के आरोप लगाए गए." बयान में आगे गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए लिखा गया है कि पुलिस की कार्रवाई ने सरकार को शर्मसार किया है और इससे पूरी दुनिया की नजरों में देश की इस सबसे सम्मानित यूनिवर्सिटी का रुतबा खराब हो सकता है.

इस बीच पटियाला हाउस अदालत में कन्हैया कुमार की पेशी से पहले एक बार फिर वकीलों ने पत्रकारों पर हमला किया. उन्होंने अदालत में तिरंगा फहराया और वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे भी लगाए. कन्हैया कुमार के अदालत पहुंचने पर उनके साथ भी हाथापाई की गयी. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पटियाला हाउस परिसर में भारी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया था. इसके बावजूद यह वाकया हुआ. फर्स्टपोस्ट के पत्रकार तारिक अनवर ने आरोप लगाया है कि वकीलों ने उन्हें भी मारा. अनवर का कहना है कि वे प्रमाण के तौर पर खुद खींची हुई तस्वीरें पेश कर सकते हैं और मारपीट करने वालों की शिनाख्त के लिए भी तैयार हैं. पर साथ ही उनका यह भी कहना है कि जिस समय अदालत के बाहर यह सब हुआ, पुलिस मूक दर्शक बनी रही.