जेयूडी और हक्कानी नेटवर्क पर प्रतिबंध
२२ जनवरी २०१५पाकिस्तान सरकार का फैसला ऐसे समय में आया है जब पेशावर में एक आर्मी स्कूल पर हुए तालिबानी हमले में 150 लोगों के मारे जाने के बाद, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे, उस पर अच्छे और बुरे चरमपंथियों में अंतर नहीं करने के लिए दबाव बढ़ गया था. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि जेयूडी और दूसरे कई गुटों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कई दिन पहले लिया गया और गृह मंत्रालय को इस पर अमल करने का तरीका तय करने की जिम्मेदारी दी गई. मंत्रालय ने सईद के नेतृत्व में चलने वाले दो संगठनों जेयूडी और फलाहे इंसानियत को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल करने का फैसला किया.
प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इन गुटों की संपत्ति फ्रीज कर दी जाएगी. संयुक्त राष्ट्र ने मुंबई हमलों के बाद जेयूडी को लश्करे तैयबा का मोर्चा संगठन बताया था. उसके बाद संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने जेयूडी के कई नेताओं के खिलाफ प्रतिबंध के कदम उठाए हैं. हक्कानी नेटवर्क पर 2008 में अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर हमला करने का आरोप है जिसमें 58 लोग मारे गए थे.
इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा है कि भारत तथा पाकिस्तान के बीच बातचीत की रुकी प्रक्रिया को शुरू करने का दायित्व भारत पर है क्योंकि उसी ने दोनों देशों की विदेश सचिव स्तर की वार्ता स्थगित की थी. उन्होंने जिन्ना संस्थान द्वारा आयोजित दो दिन की वैचारिक गोष्ठी के समापन समारोह में कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा तथा कामकाजी सीमा पर बिना उकसावे की गोलीबारी से कश्मीर की स्थिति को बदलना चाहता है लेकिन इससे स्थिति और जटिल हो जायेगी.
सरताज अजीज ने कहा कि इस स्थिति के बावजूद पाकिस्तान भारत से बिना शर्त फलदायक समझौता वार्ता शुरू करना चाहता है. उन्होंने कहा कि बातचीत भारत ने स्थगित की थी, इसलिये शुरूआत उसी को करनी चाहिये. अजीज ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में भारत का रुख परस्पर विरोधी है क्योंकि एक तरफ तो वह इस खतरे को खत्म करना चाहता है और दूसरी तरफ आतंकवादियों के विरुद्ध लगी पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई से उसका ध्यान हटाना चाहता है.
एमजे/आईबी (पीटीआई, वार्ता)