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जेल होगी तो बेल भी तो होगी

२३ सितम्बर २०१५

खुद से सवाल करना होगा कि कहीं भारत में अपराध इसीलिए तो नहीं बढ़ रहे कि लोगों का जमानत मिल जाने में विश्वास मजबूत है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सोमनाथ भारती और पुलिस की आंखमिचोली की खबरें सुनकर एक वकील दोस्त की सुनाई घटना याद आती है, जब उसके एक क्लाइंट ने बेखौफ लहजे में कहा था, "वकील साहब जेल होगी तो बेल भी तो होगी."

मजे की बात यह है कि जितना विश्वास भारत में लोगों को पुलिस और न्याय व्यवस्था में नहीं होगा उतना जमानत मिल जाने पर है. यानि अपराध करते वक्त जो खौफ होना चाहिए कहीं ना कहीं वह नाकाफी है. सोमनाथ भारती ने भी उम्मीद कहां हारी है, दिल्ली हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद वे गायब ही हो गए. उनके वकील का कहना है कि अब अपील सुप्रीम कोर्ट में की जाएगी.

Deutsche Welle Hindi Samrah Fatima
समरा फातिमातस्वीर: DW/P. Henriksen

सोमनाथ की पत्नी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया है. उनका कहना है कि सोमनाथ ने उन्हें अपने कुत्ते डॉन से भी कटवाया. बाकी आरोपों के बारे में भले सोमनाथ के पास फौरन पुलिस के सामने पेश करने के लिए कोई दलील ना हो, लेकिन कुत्ते पर जब बात आई तो उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ. ले आए उसे मीडिया के सामने और सोमनाथ के कहने पर भी वह नहीं लपका, उनका कहना है कि उनका कुत्ता काट ही नहीं सकता. उधर उनकी पत्नी की मानें तो कु्त्ता 12 साल का उम्रदराज लेब्रेडोर है, कब तक काटता फिरेगा.

इस बात का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि बिना अपराध साबित हुए सोमनाथ को अपराधी कहा जा रहा है, लेकिन कानून का साथ ना निभाना दिल के चोर को छुपने भी तो नहीं देता. शक पैदा कर ही देता है. सोने पे सुहागा यह कि सोमनाथ का कुत्ता डॉन काट सकता है या नहीं यह दिखाने वह मीडिया के सामने आ गए लेकिन वह अन्य तरीकों से पत्नी पर अत्याचार कर रहे हैं या नहीं इन सवालों के जवाब देने में सोमनाथ पुलिस का साथ नहीं निभाना चाहते. इस नाते भी नहीं कि वह ऐसी पार्टी से विधायक हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ होने का दंभ भरती है.

हाईकोर्ट द्वारा सोमनाथ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद पूर्व कानून मंत्री ने गायब हो जाना बेहतर समझा. बजाए इसके कि आंखों में थोड़ी सी इसी बात की लाज रखते कि वह कानून मंत्री रह चुके हैं और कानून और व्यवस्था का सहयोग करना उनकी ही नहीं हर नागरिक की जिम्मेदारी है. लेकिन इतिहास साक्षी है कि पुलिस को घुमाते रहना या फिर घूमने के लिए तैयार कर लेना भी मुश्किल काम नहीं है. अपराध करने वाले भी सोचते हैं कि जब तक बाकी है शाम साकी पिलाए जाओ, सवेरा अभी दूर है.

ब्लॉग: समरा फातिमा