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अपराध

जो काम ब्रिटिश सरकार न कर सकी, वो चर्च ने कर दिया

११ सितम्बर २०१९

1919 के जलियांवाला बाग जनसंहार के लिए ब्रिटेन ने भारत से आज तक माफी नहीं मांगी है. लेकिन इंग्लिश चर्च के प्रमुख ने अमृतसर में दंडवत होकर उस जनसंहार के लिए क्षमा मांगी.

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Indien: Justin Welby am Jallianwala Bagh Denkmal in Amritsar
तस्वीर: picture-alliance/AP/P. Gill

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में बड़ी संख्या भारतीय जनता जमा हुई थी. चारों तरफ से बंद मैदान में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी थे. लोग भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए जमा हुए थे. तभी ब्रिटिश कर्नल रेजिनाल्ड डायर के आदेश पर ब्रिटिश फौज ने लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तैयार किए गए रिकॉर्ड के मुताबिक 379 लोगों की मौत हुई. भारतीय अधिकारियों के मुताबिक मृतकों की संख्या करीब 1,000 थी.

जनसंहार के 100 साल बाद 10 सितंबर 2019 को इंग्लैंड के चर्च प्रमुख आर्चबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन वेल्बी अमृतसर पहुंचे. जलियांवाला बाग के सामने वह हाथ जोड़कर जमीन पर दंडवत हो गए. जस्टिन वेल्बी ने जनसंहार के लिए माफी मांगते हुए कहा, "मैं ब्रिटिश सरकार के लिए नहीं बोल सकता हूं क्योंकि मैं ब्रिटिश सरकार का अधिकारी नहीं हूं. लेकिन मैं ईसा मसीह के नाम पर बोल सकता हूं."

आर्चबिशप ऑफ कैंटरबरी ने इसके आगे कहा, "मैं बहुत शर्मिंदा हूं और किए गए अपराध के असर के लिए माफी मांगता हूं. मैं एक धार्मिक नेता हूं, एक राजनेता नहीं हूं. एक धार्मिक नेता होने के नाते मैं उस त्रासदी के लिए विलाप करता हूं जो हम यहां देख सकते हैं."

Erzbischof von Canterbury - Justin Welby
आर्चबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन वेल्बी तस्वीर: picture-alliance/K. O'Connor

इंग्लिश चर्च के प्रमुख ने बाद में फेसबुक पर इसका जिक्र किया. दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट पर उन्होंने लिखा, "इस जगह पर जो हुआ, उससे उनके भीतर एक अगाध शर्म" का भाव पैदा हो गया है. "यह दर्द और संताप कई पीढ़ियों से गुजर चुका है, इसे कभी खारिज या नाकारा नहीं जाना चाहिए."

ब्रिटेन ने आधिकारिक तौर पर आज तक इस जनसंहार के लिए कभी भारत से माफी नहीं मांगी है. हालांकि 1997 में अपनी भारत यात्रा पर ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय जलियांवाला बाग स्मारक पर गईं थीं. वहां फूलों से श्रद्धांजलि देकर  और मौन रख कर उन्होंने दर्शन तो किए लेकिन इसी यात्रा में उनके पति प्रिंस फिलिप ने जलियांवाला जनसंहार पर ऐसी टिप्पणी की थी कि विवाद छिड़ गया. फिलिप ने कह दिया कि भारत वहां हुई मौत के आंकड़ों को काफी बढ़ा चढ़ा कर पेश करता है.

फरवरी 2013 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन जब भारत आए तो उन्होंने स्वर्ण मंदिर का दौरा किया. उस दौरान कैमरन ने जलियांवाला जनसंहार को शर्मनाक बताया था. इस तरह घटना पर अफसोस जताने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री थे, लेकिन मांगी मांगने का साहस कैमरन भी नहीं जुटा सके.

कैमरन के बाद प्रधानमंत्री बनी टेरीजा मे ने भी ब्रिटिश संसद में जलियांवाला जनसंहार पर गहरा अफसोस जरूर जताया लेकिन मात्र पांच अक्षरों वाला सॉरी शब्द उनके मुंह से भी नहीं निकला.

ओएसजे/आरपी (एएफपी)

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(ब्रिटिश हुकूमत ने क्या दिया, क्या छीना)