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ज्यादा खाना नहीं ज्यादा बीमारी है तोंद

३० नवम्बर २०१२

मोटी तोंद सिर्फ ज्यादा खाने पीने की नहीं बल्कि ज्यादा बीमारी की निशानी है. रिसर्च में पता चला है कि दूसरे मोटे लोगों की तुलना में बड़ी तोंद वाले लोगों को ज्यादा बीमारियां होती हैं.

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तस्वीर: Fotolia/PeJo

मोटे लोगों की बीमारियों में एक नया नाम जुड़ गया है. मोटी तोंद वाले कमजोर दिल और मधुमेह का शिकार होने के साथ ही कमजोर हड्डी वाले भी हो सकते हैं. मोटे लोगों को तनाव, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, अस्थमा, सोते समय सांस की दिक्कत और जोड़ों के तकलीफ की शिकायत होती है लेकिन आमतौर पर लोग नहीं मानते कि उनकी हड्डियां कमजोर होती हैं. यह सच नहीं है.

अमेरिका में 20 साल की उम्र से ज्यादा के करीब 3.7 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं. मैसेचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रेडियोलॉजिस्ट डॉ मिरियम ब्रेडेला बताती हैं, "सब लोग मानते हैं कि ओस्टियोपोरोसिस(हड्डी की कमजोरी) महिलाओं की बीमारी है. सारे रिसर्च महिलाओं पर ही किए जाते रहे और माना जाता रहा कि पुरुष ठीक हैं. हम खासतौर से युवा पुरुषों पर ध्यान देना चाहते थे."

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तस्वीर: Fotolia/aboikis

ब्रेडेला और उनकी टीम ने 34 साल की औसत आयु और 36.5 बीएमआई वाले 35 मोटे लोगों पर रिसर्च किया. इन लोगों को वसा के फैलाव के आधार पर दो समूह में बांट दिया गया. पहले समूह में ऐसे लोग थे जिनकी बस त्वचा के नीचे अतिरिक्त वसा जमा था जबकि दूसरे समूह में ऐसे लोग थे जिनके पेट और आसपास के हिस्से में गहरे अंदर मांसपेशियों तक में अतिरिक्त वसा फैला हुई था. मोटापे के इन अलग अलग प्रकारो को सबक्यूटेनस फैट और विसरल फैट कहा जाता है.

तोंद की समस्या ज्यादा चिकनाई वाला खाना, अधिक बैठे रहने वाली जीवनशैली और जेनेटिक कारणों से होती है. जिन लोगों में विसरल फैट था यानी जिनकी तोंद निकली हुई थी उनके लिए मोटापे का संकट ज्यादा बड़ा निकला. इसमें वसा अंदरूनी अंगों में भरी होती है और जिसका गहरा संबंध दिल की बीमारियों से है. हालांकि ज्यादा हैरान करने वाली बात कुछ और निकली. डॉ ब्रेडेला बताती है, "सबसे ज्यादा हमें इस बात ने चौंकाया कि मोटी तोंदवालों की हड्डियां दूसरी तरह के मोटे लोगों के मुकाबले बहुत ज्यादा कमजोर थीं." रिसर्च के लिए डॉ ब्रेडेला ने लोगों का सिटी स्कैन किया और इस दौरान उनके पेट और जांघों में वसा और मांसपेशियों के वजन की माप भी की. इसके साथ ही हाथों का हाई रिजोल्यूशन सिटी स्कैन किया गया.

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तस्वीर: Fotolia/Pavel Losevsky

डॉ ब्रेडेला ने हड्डी टूटने के जोखिम का पता लगाने के लिए उनकी ताकत का अंदाजा लगाया. इसके लिए इनफेनाइट एलिमेंट एनालिसिस तकनीक का इस्तेमाल किया. इस तकनीक का इस्तेमाल इंजीनियर पुल और हवाई जहाज बनाने में किसी चीज की ताकत परखने के लिए करते हैं. डॉ ब्रेडेला ने देखा कि तोंद वाले लोगों की हड्डी दूसरी तरह के मोटापे वाले लोगों की तुलना में दोगुनी कमजोर थी. इस रिसर्च में यह भी बता चला कि मांसपेशियों का वजन हड्डियों की मजबूती के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ा होता है.

तोंद की वजह से ओस्टियोपोरोसिस होने की दो प्रमुख वजहें हैं. एक तो यह कि मोटी तोंदवाले लोगों में विकास हार्मोन कम बनता है जो हड्डियों को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाता है. दूसरी वजह यह है कि विसरल फैट से कुछ ऐसे कण निकलते हैं जिनके कारण हड्डियां कमजोर होती हैं. इन कणों और शरीर पर पड़ने वाला इनका प्रभाव अगले रिसर्च का विषय बना है.

एनआर/एएम(रॉयटर्स)

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