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ज्यादा मरीजों को मिलेगा 'कॉकटेल'

१९ जुलाई २०१३

संयुक्त राष्ट्र ने एचआईवी एड्स के इलाज के दिशा निर्देशों में बदलाव किया है. इससे दुनिया भर के करीब एक करोड़ और एड्स संक्रमित लोगों को दवाइयां मिल सकेगी लेकिन इसके लिए सालाना दो अरब डॉलर कहां से आएंगे?

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तस्वीर: CHRISTOPHE ARCHAMBAULT/AFP/Getty Images

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की कि वह प्रतिरोधक क्षमता पर दवाई के असर और इसके साइड इफेक्ट्स को देखते हुए वह सीडी4 बढ़ाने की सलाह देता है. यह मुख्य कोशिकाएं हैं जिन पर एचआईवी वायरस सबसे पहले हमला करता है. यूएन की सलाह है कि है दवाई तभी देनी शुरू कर दी जाए जब खून में सीडी 4 कोशिकाओं का घनत्व 500 कोशिकाएं प्रति मिलिग्राम हो. पहले यूएन ने इसकी सीमा 350 प्रति मिलीग्राम या उससे कम पर रखी थी.

यह सीमा बढ़ाने के कारण वह लोग भी इसमें शामिल हो गए हैं जो एड्स के संक्रमण के बावजूद एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी नहीं ले सकते थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लिखा है, "एचआईवी से संक्रमित लोगों का इलाज पहले शुरू करने से वह ज्यादा दिन स्वस्थ रह सकते हैं और इससे शरीर में वायरस की संख्या कम होती है. एड्स का संक्रमण दूसरे तक पहुंचने की आशंका भी कम हो जाती है."

2011 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या तीन करोड़ चालीस लाख है. इसमें से 70 फीसदी सब सहारा अफ्रीका में हैं. भारत में 2008 के आंकड़ों के मुताबिक 2.27 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में है.
संयुक्त राष्ट्र ने नए दिशा निर्देशों के जरिए एक करोड़ सड़सठ लाख और लोगों के लिए इलाज की संभावनाएं बढ़ा दी है. इन्हें दवाओं का कॉम्बिनेशन कॉकटेल दिया जा सकता है. जो संक्रमण कम करता है लेकिन खत्म नहीं करता.

23.01.2013 DW Fit und Gesund Aids,HIV
इलाज की स्थिति बेहतर

2012 में एंटी रिट्रोवायरल ट्रीटमेंट दस साल पहले की तुलना में 30 गुना ज्यादा लोगों तक पहुंचा. विश्व स्वास्थ्य संगठन में एचआईवी एड्स विभाग के गुंडो वाइलर के मुताबिक एक दशक पहले तक दुनिया भर के सिर्फ तीन लाख लोगों को यह दवा मिलती थी, वह भी मध्य आय वाले देशों में. वाइलर ने कहा, "पिछले दशक में निम्न और मध्य आय वाले देशों में एंटी रिट्रोवायरल ट्रीटमेंट बढाने से करीब 42 लाख लोगों को बचाया जा सका."

एक और सफलता

कई साल फंड इकट्ठा करने के बावजूद और गरीब देशों में मूलभूत संरचना बनाने की कोशिश के बीच एक करोड़ सड़सठ लाख लोगों में से सिर्फ 97 लाख का इलाज हो पा रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख मार्गरेट चैन कहती हैं, "ये दिशा निर्देश ज्यादा लोगों के इलाज की दिशा में बड़ी छलांग है. अब एक करोड़ लोगों को यह थेरेपी मिल रही है. आने वाले सालों में यह दायरा और बढ़ेगा. इससे एचआईवी महामारी का संकट कम करने में मदद मिलेगी."

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संक्रमण कम करना जरूरीतस्वीर: Fotolia/Africa Studio

नई गाइडलाइन से भले ही खर्चा बढ़े लेकिन इससे इलाज, बचाव और डायग्नोसिस बढ़ेगी. एचआईवी एड्स विभाग के प्रमुख गॉटफ्रीड हिर्नशाल कहते हैं, "यह मुफ्त का नहीं है लेकिन इसका असर काफी होगा. हम उम्मीद कर रहे हैं कि अभी से 2015 के बीच करीब 30 लाख संक्रमितों का जीवन हम बचा सकेंगे और 35 लाख नए संक्रमणों को होने से रोक पाएंगे."

लंबे दौर का निवेश

यूएन एड्स के प्रमुख मिषेल सिडिबे कहते हैं कि जैसे जैसे कीमत कम होगी लागत भी घटेगी. देश ज्यादा क्षमता के साथ कर पाएंगे. कम मौत और कम बीमारियां. सिडिबे ने कहा, "कई देश लोगों को इलाज करने में मुनाफा देख रहे हैं. अगर आप अभी कीमत नहीं चुकाएंगे तो बाद में वे फिर चुकाते ही रह जाएंगे."

32 साल में दुनिया में ढाई करोड़ लोग एचआईवी एड्स के कारण मारे गए हैं. यूएन एड्स संस्था ने 2011 में एड्स के कारण मारे गए लोगों की संख्या कम होने की रिपोर्ट की है. 2005 में इन मौतों की संख्या 23 लाख थी जबकि 2010 में 18 लाख दर्ज की गई.

इतना ही नहीं अधिकारी ज्यादा मरीजों तक इलाज पहुंचा पाए हैं. 2012 में 97 लाख लोगों को दवाइयां मिलीं जबकि दस साल पहले सिर्फ तीन लाख लोगों को ही मिली थी.

रिपोर्टः आभा मोंढे (एपी, एफपी)

संपादनः एन रंजन

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