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झाड़खंड के मुख्यमंत्री कोड़ा ने इस्तीफ़ा दिया

कुल्दीप कुमार/नई दिल्ली२४ अगस्त २००८

झाड़कंड के निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुलता दिख रहा है.

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कान्ग्रेस करती है शिबु सोरेन का समर्थनतस्वीर: AP

एक माह तक अपनी गद्दी बचाने की हर कोशिश करने के बाद थक-हार कर झारखण्ड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने शनिवार की शाम अपने पद से इस्तीफा दे ही दिया। पिछले रविवार को शिबू सोरेन के नेतृत्व वाले झारखंड मुक्ति मोर्चे के 17 विधायकों ने कोड़ा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार अल्पमत में आ गयी थी।

पहले मधु कोड़ा इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे और उनका कहना था कि अभी बहुत सी संभावनाएं बची हैं। लेकिन सभी संभावनाएं शुक्रवार की शाम तब ख़त्म हो गयीं जब यू पी ऐ अध्यक्ष सोनिया गाँधी से उनकी मुलाकात में यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें यू पी ऐ का समर्थन जारी नहीं रह सकेगा। इसलिए एक सप्ताह बाद उन्हें शनिवार की शाम यह अहसास हुआ कि उनके पास बहुमत नहीं है और लोकतंत्र की परम्परा तथा नैतिकता का निर्वाह करते हुए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। सो, उन्होंने राज्यपाल सिब्ते राजी से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।

25 अगस्त को विधानसभा के विशेष सत्र में मधु कोड़ा को अपनी सरकार का बहुमत सिद्ध करना था लेकिन अब इस्तीफा देने के बाद इसकी ज़रूरत नहीं रही। उनके इस्तीफे से शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता तो खुल गया है लेकिन बनना सुनिश्चित नहीं हुआ है। 22 जुलाई को लोकसभा में अपने पाँच सांसदों का वोट यू पी ऐ सरकार के पक्ष में डलवाने के बाद से ही शिबू सोरेन लगातार कहते आ रहे थे कि उन्हें वोट के बदले मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया है।

झारखण्ड विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नौं और सात विधायकों के अलावा नौं निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलना भी ज़रूरी है। इनमें से एक विधायक तो स्वयं मधु कोड़ा ही हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह सोरेन को समर्थन नहीं देंगे।

अभी तक सोरेन केवल तीन निर्दलीयों का समर्थन ही जुटा पाये हैं। सुना है कि बीजेपी के दो बागी विधायक भी उनके साथ हैं। ज़ाहिर है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त का बाज़ार गर्म रहेगा लेकिन यदि सोरेन अपने पक्ष में 42 विधायकों का समर्थन न जुटा पाये तो फिर झारखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगना तय है।

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