1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

टीम इंडिया 17 साल का सूखा खत्म करने उतरेगी

१६ जुलाई २०१०

श्रीलंकाई शेरों को उनकी मांद में घुस कर टेस्ट क्रिकेट में शिकस्त देने के लिए रविवार से भारतीय क्रिकेट टीम मैदान में उतर रही है. भारत को 17 साल से श्रीलंका की जमीन पर टेस्ट सीरीज़ में जीत का इंतजार है.

https://p.dw.com/p/OMyC
कप्तान को जीत की उम्मीदतस्वीर: UNI

आखिरी बार 1993 में भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका को उसकी ज़मीन पर टेस्ट क्रिकेट में हराया था. मोहम्मद अजहरुद्दीन की अगुवाई वाली टीम ने तब 1-0 से जीत हासिल की थी. दो सालों में ये दूसरा मौका है जब दो एशियाई दिग्गज टेस्ट क्रिकेट में एक दूसरे के सामने होंगे और वह भी श्रीलंका में. महेंद्र सिंह धोनी के सूरमा शायद अगस्त 2008 में 2-1 से मिली हार को भूले नहीं होंगे और उसका बदला जरूर चुकाने की कोशिश करेंगे. इसी हार के बाद धोनी की अगुवाई में टीम मुस्तैद हुई और भारत आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर पहुंच गया. वह अब भी नंबर वन टेस्ट टीम है.

श्रीलंका को अब इस साल अपने मैदान पर केवल एक टेस्ट सीरीज़ और खेलना है वो भी नवंबर में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ. ऐसे में उसके लिए एक अच्छा मौका है अपनी रैंकिंग में सुधार लाए. फिलहाल वह चौथे स्थान पर है. घरेलू मैदान पर खेले पिछले नौ टेस्ट सीरीज में श्रीलंका ने आठ में जीत हासिल की है. एकमात्र हार उसे 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ मिली जब मेहमान टीम दो मैचों की सीरीज़ 1-0 से अपनी झोली में डालकर ले गई.

Indischer Cricketspieler Sachin Tendulkar
सचिन लौटे टीम मेंतस्वीर: AP

भारत अपनी जमीन पर तो श्रीलंका से टेस्ट में नहीं हारा है लेकिन वो जानता है कि श्रीलंका के खिलाड़ी अपनी पिच पर हों तो किसी के वश में नहीं आते. धोनी ने ये कहकर अपनी टीम का मनोबल बढ़ाया, "हम जानते हैं कि अतीत बहुत अच्छा नहीं रहा है. लेकिन हम आने वाले कल को देखना चाहते हैं." अपनी शादी के बाद पहली बार मुकाबले में उतर रहे धोनी ने ये भी कहा, "पिछले कुछ महीनों में हमने श्रीलंका के साथ कई मैच खेले हैं और हम उनकी कमियां और उनकी ताकत जानते हैं. उम्मीद है कि हम इस अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे."

धोनी की टीम सचिन तेंदुलकर की वापसी से उत्साह में है. हालांकि एशिया कप के दौरान सचिन की गैरमौजूदगी में भी टीम इंडिया खिताब जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और युवराज सिंह जहां मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी को मजबूती देने के लिए तैयार हैं, वहीं वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की सलामी जोड़ी भी ताल ठोंकने के इंतजार में है. गॉल का मैदान सहवाग के लिए यादगार है. दो साल पहले यहीं पर उन्होंने 170 रनों की पारी खेली थी.

समस्या है तो बस गेंदबाज़ो की. ज़हीर और श्रीसंत के टीम में न होने से हमले का सारा दारोमदार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह के कंधों पर आ पड़ी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः ए जमाल