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टेक्सटाइल से बने घर

१६ जुलाई २०१०

जर्मनी के आखन में तकनीकी विश्वविद्यालय में हो रही है नई खोज. क्या इमारतें कॉन्क्रीट सीमेंट की जगह टेक्सटाइल यानी कांच, कार्बन पदार्थों के खास मिश्रण से बन सकती हैं..

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तस्वीर: RWTH Aachen

जर्मनी का शहर आखन. ये अपने तकनीकी विश्वविद्यालय के लिए मशहूर है. यहां के टेक्सटाइल टेकनीक इंस्टीट्यूट की जो नई इमारत है, इसमें एक खास बात है. जो शायद सामने से देखने पर जान नहीं पड़ती. लेकिन इस इमारत की जो डिजाइन है वो सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में क्रांति है. इसमें सीमेंट और कॉन्क्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है बल्कि इसे संस्थान में विकसित किए गए खास बिल्डिंग मटेरियल से बनाया गया है. ये दीवारें टेक्सटाइल से बनी हैं.

RWTH Aachen Universität Flash-Galerie
आखन की आरडबल्यूटीएच एलीट यूनिवर्सिटीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

कपड़े नहीं

टेक्सटाइल सुनते ही हमारे दिमाग में कपड़े, पुलोवर, चादरें, पैंट्स शर्ट्स आते हैं लेकिन टेक्सटाइल का मतलब है कार्बन, कार्बन फाइबर या फिर ग्लास यानी कांच से बनाया गया मिश्रण. सिविल इंजीनियर मीरा एकर्स बताती हैं, "इस टेक्सटाइल की संरचना भी अलग होती है. ग्लास का फाइबर अलग होता है उन्हें एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है इसके बाद इसे खास प्रक्रिया से मजबूत किया जाता है जोड़ा जाता है."

इस जाली पर फिर एक तरल मिश्रण डाला जाता है जिसे कड़ा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. इस कड़े टेक्सटाइल मिश्रण की क्षमता पारंपरिक सीमेंट कॉन्क्रीट जैसी ही हो सकती है.

उतना ही मजबूत

शुरुआत में कई देशों में पूरी इमारत इस नए मिश्रण से नहीं बनाई गई कुछ कुछ हिस्से ही इस टेक्सटाइल मिश्रण से बनाए गए. अमेरिका, इस्राएल, ग्रीस, जापान में इस नए तरीके से इमारतें बनाई जा रही हैं पर कुछ ही हिस्से. जर्मनी की कोशिश है कि पूरी इमारतें ही इस नई सामग्री से बने. यही प्रयोग आखन में किया गया. इंजीनियर स्टेफन यानेत्स्को ने बताया, "हमने इस नई इमारत की डिज़ाइन आर्किटेक्चर्स के साथ मिल कर बनाई थी. इसलिए हमने सोचा कि क्यों नहीं नए मिश्रण का इस्तेमाल कर ये इमारत बनाई जाए. इससे हम इस नए मिश्रण की क्षमता भी आसानी से दिखा सकते हैं. इस संस्थान इनोटेक्स की ये पहली इमारत है जिसकी हर दीवार टेक्सटाइल वाले मिश्रण से बनी है."

इसके बाद कई इमारतों में सफलतापूर्वक इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया. आखन में राइनलैंड वेस्टफेलिया के तकनीकी संस्थान आरडबल्यूटीएच के प्रोफेसर योसेफ हेगर ने जानकारी दी, "अब हमने 10 से 12 इमारतों में इस नए मिश्रण का उपयोग किया है. हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में नए प्रोजेक्ट हम बनाएंगे और व्यापक तौर पर टेक्सटाइल वाले सीमेंट का इस्तमाल होने लगेगा. ये पहले प्रोटोटाइप हैं. हालांकि ये तकनीक अभी सस्ती नहीं लेकिन आने वाले समय में हम और बड़े प्रोजेक्ट्स बनाएंगे तो अपने आप ये सस्ती होने लगेगी."

नो टेंशन

टेक्सटाइल से बनने वाले इस सीमेंट की कुछ खास बातें हैं. जैसे कि ये भारी नहीं होता. चूंकि इसमें पत्थर चूना लोहा इस्तेमाल नहीं होता इसलिए इससे बनी दीवारें मोटी भी नहीं होंगी. सामान्य सीमेंट की दीवारें जहां 10 सेंटीमीटर की होती हैं वहीं इस नए मिश्रण से बनी दीवार सिर्फ ढाई तीन सेंटीमीटर की होगी. लोहा जंग खा जाता है. इस मटेरियल में वो समस्या ही नहीं है "लोहे को जंग से बचाने के लिए सीमेंट की आठ दस सेंटीमीटर की परत उस पर चढ़ानी पड़ती है. लेकिन टेक्सटाइल वाले मिश्रण के इस्तमाल से दो ढाई सेंटीमीटर की ही दीवार बनेगी. इससे महीन कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है. ये मुख्य बात है."

बढ़ती जनसंख्या के साथ दुनिया भर में मकानों की संख्या भी बढ़ रही है. स्टील महंगा हो रहा है और सीमेंट भी. तो घर भी महंगे हो रहे हैं और घर बनाने का सपना भी. तो कीमत को कम करने के लिए ये नया सीमेंट या कहें टेक्सटाइल का मिश्रण बहुत स्तर पर कीमत घटाएगा पर मजबूती बनी रहेगी वैसी ही.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल