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ट्रंप के चेहरे से नकाब हटाना जरूरी

मिषाएल क्निगे८ दिसम्बर २०१५

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों को अमेरिका न घुसने देने की मांग की है. यह कोई अचानक मुंह से निकला शब्द नहीं है बल्कि एक रणनीति है. मिषाएल क्लिगे का कहना है कि उनका विरोध होना चाहिए.

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US-Kandidat Trump fordert Einreise-Stopp für alle Muslime
तस्वीर: picture-alliance/dpa

लोगों को भड़काने वाले शब्द के साथ सावधानी से पेश आना चाहिए, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के मामले में यह सही शब्द है. शब्दकोश में इस शब्द का अर्थ है वह व्यक्ति जो लोगों को किसी के खिलाफ उकसाए या भड़काए. और डोनाल्ड ट्रंप महीनों से यही काम कर रहे हैं. पहले उन्होंने अमेरिकी मतदाताओं को आप्रवासियों और खासकर मेक्सिको के आप्रवासियों के खिलाफ उकसाया. जब से इस्लामिक स्टेट का धर्म में लिपटा आतंकवाद सुर्खियों में आ रहा है ट्रंप ने अपना लक्ष्य बदल लिया है और अब वे लैटिन अमेरिका के आप्रवासियों के बदले मुसलमानों के खिलाफ आग उगल रहे हैं.

उनकी ताजा मांग कि मुसलमानों को अमेरिका में न घुसने दिया जाए, बकवास है. पर्यटकों, आप्रवासियों, यहां तक कि मुस्लिम आस्था के अमेरिकियों को भी रोकने की ट्रंप की योजना अमेरिकी संविधान और अंतरराष्ट्रीय कायदे कानून का हनन करती है. इसलिए उसे कानूनी आधार पर ही लागू नहीं किया जा सकता. अपनी मांग के साथ ट्रंप ने समाज को जो नुकसान पहुंचाया है, वह ज्यादा गंभीर है. अपनी मांग के साथ ट्रंप ने दुनिया के डेढ़ अरब मुसलमानों को संभावित आतंकवादी घोषित कर दिया है. यह नस्लवाद है और धार्मिक स्वतंत्रता के मूल्यों और अधिकारों को धता बताता है जिसका अमेरिका ऐतिहासिक रूप से समर्थन करता रहा है.

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मिषाएल क्निगे

खतरनाक

डोनाल्ड ट्रंप की मांग सिर्फ शर्मनाक ही नहीं खतरनाक भी है. अपने विचार के साथ वे समाज के एक हिस्से में व्याप्त विदेशी विरोध और इस्लाम विरोधी माहौल को हवा दे रहे हैं और इस तरह इस्लामी कट्टरपंथियों को मजबूत कर रहे हैं. यह सोचना मुश्किल नहीं कि निजी हाथों में हथियारों की तादाद को देखते हुए हिंसा कभी भी भड़क सकती है. क्योंकि ट्रंप की बातों का समर्थन हो रहा है और वे सारे विरोध के बावजूद अभी भी रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की रेस में सबसे आगे हैं. मीडिया, राजनीतिज्ञों और लोगों को यह सोचना छोड़ देना चाहिए कि ट्रंप अपने आप चुक जाएंगे.

डोनाल्ड ट्रंप कोई राजनीतिक बागी नहीं हैं, जो कभी कभी इधर उधर की बात करता हो, लेकिन आम तौर पर नुकसानदेह न हो. वे लोगों को भड़काने वाले नेता हैं, जिसके पास इसके लिए जरूरी धन और इस बीच चरमपंथी समर्थकों का दल भी है ताकि वे अमेरिका के लंबे चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभा सकें. समय आ गया है कि उन्हें गंभीरता से लिया जाए और उनके चेहरे पर चढ़ा नकाब उतार दिया जाए.

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