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ट्रंप, मुक्त व्यापार और जी20

८ जुलाई २०१७

क्या डॉनल्ड ट्रंप में सीखने की क्षमता है? जी20 सम्मेलन ने अचंभित करते हुए संरक्षणवाद पर एकजुट होने का संदेश दिया. लेकिन डीडब्ल्यू के आर्थिक संपादक हेनरिक बोएमे का कहना है कि मामला इतना सीधा भी नहीं है.

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G20 Gipfel in Hamburg | Trump & Merkel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler

करोड़ों के खर्च से हुए शिखर सम्मेलन को कामयाब कैसे बनाया जाता है? इसकी कला कोई अंगेला मैर्केल से सीखे. पहले आप उम्मीदें घटाते जाते हैं, फिर मेहमानों को हल्के से दबाव में डालते हैं, समझौते और रियायत की अपील करते हैं. पहले दिन बिना लागलपेट बताते हैं कि मुक्त व्यापार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर रुख एक दूसरे से बहुत अलग है. फिर सम्मेलन के अंतिम दिन सुबह यह सूचना बाहर जाने देते हैं कि व्यापार के मुद्दे पर सहमति हो गई. और सबसे आखिर में समापन दस्तावेज में संरक्षणवाद के खिलाफ स्पष्ट रुख का फैसला 19-1 से नहीं बल्कि 20-0 से मिलजुल कर. यानी अंत में सब भला.

जी नहीं!

जिस बात पर सालों से सहमति है उसे राष्ट्रपति ट्रंप के जमाने में सौदेबाजी की सफलता बताया जाता है, जिसके लिए वार्ताकारों को रात भर मेहनत करनी पड़ी है. राष्ट्र और सरकार प्रमुखों के स्तर पर जी20 का शिखर सम्मेलन 2008 से हो रहा है. मुक्त व्यापार की बात हमेशा से घोषणाओं का हिस्सा रही है. ये दस्तावेज एक ओर राजनेताओं के काम का रिजल्ट हैं तो दूसरी ओर आने वाले समय के लिए होमवर्क भी.

हालांकि ये होमवर्क भी वैसा ही है जैसा स्कूली बच्चों का होता है. हर कोई ये होमवर्क मन लगाकर करना नहीं चाहता. मुक्त व्यापार के मामले में इस बात को साफ तौर पर देखा जा सकता है. विश्व व्यापार संगठन व्यापार में बाधाओं पर आंकड़ा रखता है, जो कभी बनाये जाते हैं और कभी तोड़े जाते हैं. और मजेदार बात है कि जी20 देशों में महीने में औसत 17 व्यापारिक बाधायें लगायी जाती हैं. इसमें जी20 की घोषणाओं के वादों और हकीकत का अंतर दिखता है.

जो चाहा मिला

इसलिए अमेरिकियों के लिए उस लाइन को मानना मुश्किल नहीं रहा होगा. कम से कम अब उन्हें बुरा नहीं माना जायेगा और वे अपनी अमेरिका फर्स्ट की नीति भी चलाते रहेंगे. जब तक विश्व व्यापार संगठन बाधाओं की सिर्फ गिनती करेगा और उनके खिलाफ कुछ कर नहीं पायेगा तब तक ऐसा ही होगा. इसके अलावा समापन घोषणा में एक दूसरी लाइन भी है. वह वैध व्यापार सुरक्षा कदमों की अनुमति देता है, यानि दंडात्मक शुल्क लगाने की. और जैसे कि वाशिंगटन के मेहमान को खुश रखने के लिए ये रियायतें काफी नहीं हों, समापन घोषणा में व्यापार में निष्पक्ष शर्तों की भी बात कही गयी है. डॉनल्ड ट्रंप ने जरूर सोचा होगा, देखो ऐसे होता है, यही तो मैं हमेशा से कह रहा था, निष्पक्ष व्यापार. और अंत में स्टील के अत्यधिक उत्पादन का मुद्दा भी समापन घोषणा में शामिल है, जैसे कि यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या हो. जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं.

न्यायिक भूमंडलीकरण

कनाडा के प्रधानमंत्री और जी20 के संस्थापक पॉल मार्टिन ने दो दशक पहले कहा था भूमंडलीकरण का फायदा सबको मिलना चाहिए. अच्छी बात है लेकिन उसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. अब जब एक भूमंडलीकरण का आलोचक व्हाइट हाउस पहुंच गया है, और ब्रिटेन भूमंडलीकरण के डर से ईयू से बाहर निकल गया है, तो बहुत से नेता फिर इस वाक्य को याद कर रहे हैं. भूमंडलीकरण को न्यायोचित बनाना जी20 का मुख्य काम होना चाहिए. चांसलर अंगेला मैर्केल ने ये बात पहचान ली है और ये समापन दस्तावेज में शामिल भी है कि सभी को भूमंडलीकरण के मौकों में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.

ये बात जुमला बनकर नहीं रह जानी चाहिए. सामाजिक विषमता समाज को बांटती है. निराश, नुकसान झेलने वाले और असंतुष्ट लोग चरमपंथियों के लिए चारा हैं. एक अन्यायपूर्ण भूमंडलीकरण लोकतंत्र के लिए खतरा है.

हेनरिक बोएमे (आर्थिक संपादक, डीडब्ल्यू)