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ट्रंप हटे, पर यूरोप ईरानी डील पर कायम

९ मई २०१८

अमेरिकी राष्ट्रपति ने तो ईरानी परमाणु डील से हटने का फैसला कर लिया है, लेकिन जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने ईरान से अपील की है कि वह डील पर कायम रहे. मध्य पूर्व में ट्रंप के सहयोगियों ने उनके फैसले से खुश हैं.

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USA Trump verlässt den Raum ARCHIV (picture-alliance/ZUMAPRESS/C. May)
तस्वीर: Imago/Zumapress/C. May

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एलान किया है कि ईरानी परमाणु डील से अमेरिका हटने जा रहा है. उनके इस फैसले पर दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है. कुछ ने 'दोषपूर्ण' डील से हटने के ट्रंप के फैसले की तारीफ की है, वहीं अन्य नेताओं का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के चलते बरसों की वार्ताओं के बाद हुआ समझौता कमजोर हुआ है. 2015 में जॉइंट कॉम्प्रिहैंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) नाम का यह समझौता हुआ जिसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था. अब अमेरिकी फैसले के कारण न सिर्फ ईरान अमेरिकी संबंधों में अनिश्चितता पैदा हुई है बल्कि इससे अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद भी बढ़ सकते हैं.

जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा है कि ट्रंप के फैसले के बावजूद जर्मनी ईरानी डील से अलग नहीं होगा. उन्होंने जर्मनी के सरकारी टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में कहा कि जर्मन सरकार इस "अहम दस्तावेज" का समर्थन करती रहेगी, जिससे मध्य पूर्व और दुनिया में सुरक्षा बेहतर हुई है. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि अमेरिका इसकी जगह क्या लाना चाहता है." जर्मन उद्योगपतियों ने भी उन जर्मन कंपनियों पर संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई हैं जिनके ईरान से संबंध हैं.

ब्रिटेन और फ्रांस, दोनों ने ईरानी परमाणु डील पर हस्ताक्षर किए हैं. इन दोनों देशों ने भी डील पर बने रहने की बात कही है. जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की तरफ से जारी साझा बयान में अमेरिका से अपील की गई है कि वह उन देशों के लिए अड़चनें पैदा ना करें जो इस डील को लागू कर रहे हैं. उन्होंने ईरान से भी "संयम दिखाने" और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी करते रहने को कहा है.

फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माक्रों ने राष्ट्रपति ट्रंप को ईरानी डील पर बने रहने के लिए मनाने की कोशिश की थी. लेकिन अब वह उनके फैसले से निराश हैं. उन्होंने ट्वीट किया, "फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन को अमेरिका के जेसीपीओए समझौते से निकलने पर खेद है. परमाणु अप्रसार व्यवस्था दांव पर लगी है."

ईरानी डील में अहम योगदान देने वाले रूस ने भी ट्रंप के फैसले पर निराशा जाहिर की है. इस बीच ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा है कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय समझौते के प्रति वचनबद्ध बना रहेगा. साथ ही उन्होंने ट्रंप के फैसले की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि वह ट्रंप के फैसले के बाद उन पांच अन्य देशों से बात करना चाहेंगे जिन्होंने इस डील पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि "जब भी जरूरत पड़ी, ईरान पहले से ज्यादा यूरेनियम संवर्धन शुरू कर देगा."

वहीं इस्राएली के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने ट्रंप के फैसले की सराहना की है और इसे "ऐतिहासिक कदम" बताया है. वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुए समझौते को "विध्वंसक" मानते हैं. इस्राएल अमेरिका का अहम सहयोगी है और डील को खत्म करने के पक्ष में रहा है. अमेरिका के दो अन्य सहयोगी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी ट्रंप के फैसले से खुश हैं.

एके/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स)