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ट्राई 69 लाइसेंस रद्द करने की तैयारी में

१९ नवम्बर २०१०

2जी स्पैक्ट्रम लाइसेंस वितरण का मामला लगातार सरकार के लिए नई मुश्किलों का सबब बनता जा रहा है. टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण ट्राई ने सरकार से सिफारिश की है कि पांच कंपनियों को मिले 69 लाइसेंस रद्द कर दिए जाने चाहिए.

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तस्वीर: AP

ट्राई का कहना है कि ये कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक शर्तों को पूरा करने में विफल रही हैं और इनके कॉन्ट्रैक्ट रद्द किए जाने चाहिए. टेलीकॉम मंत्रालय ट्राई की इस सिफारिश को मानने के लिए बाध्य नहीं है लेकिन संसद में विपक्ष के विरोध का सामना कर रही सरकार के लिए यह मुश्किलें खड़ी कर सकता है. विपक्ष मांग कर रहा है कि टेलीकॉम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.

ट्राई की ओर से लाइसेंस रद्द किए जाने की सिफारिश होने के कुछ ही देर बाद टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने उच्च अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है. ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि टेलीकॉम मंत्रालय में फेरबदल भी किया जा सकता है और ए राजा के कार्यकाल के दौरान प्रभावी रहे कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक लाइसेंस वितरण में सरकार को करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जिसके बाद से ही विपक्ष ने सरकार और ए राजा पर इस्तीफे के लिए दबाव डाला

ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा है कि एटीसैल्ट कंपनी को 15 सर्किल में जारी हुए लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए. एटीसैल्ट को पहले स्वान कंपनी के नाम से जाना जाता था और कैग ने इसे अनिल अंबानी ग्रुप की फ्रंट कंपनी बताया है. इसके अलावा ट्राई की सिफारिश के मुताबिक यूनिटेक ग्रुप की यूनिनोर से 8, वीडियोकोन से 10 और लूप से 19 सर्किल के लाइसेंस वापस ले लिए जाने चाहिए. ट्राई का कहना है कि लाइसेंस वापस ले लिए जाने से बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम खाली हो जाएगा और यह उन कंपनियों को दिया जा सकेगा जो वाकई में गंभीर हैं.

ट्राई का कहना है कि जिन कंपनियों का लाइसेंस रद्द करने की वह सिफारिश कर रही है उन्होंने बुनियादी शर्त भी अब तक पूरी नहीं की है. यानी जिस समयसीमा के भीतर उन्हें फोन सेवाओं को शुरू करना था वह भी नहीं हो पाया है.

इस बीच सिस्टेमा श्याम और यूनिनोर ने कहा है कि वह अपनी कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरा कर रहे हैं और उन्हें सरकार की ओर से या ट्राई से कोई नोटिस नहीं मिला है. लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक लाइसेंस मिलने के एक साल के भीतर कंपनियों को मेट्रो शहरों में 90 फीसदी और अन्य इलाकों में 10 फीसदी सेवा शुरू करनी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा

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