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डांट मार से नहीं सुधरते बच्चे

६ मई २०१४

डांट मार के जरिए बच्चों को सुधारने का मुगालता रखने वाले सावधान हो जाएं. इससे बच्चे सुधरते नहीं बल्कि मार खाने के 10 मिनट के अंदर दोबारा शैतानी शुरु कर देते हैं और उनमें आक्रामकता भी बढ़ जाती है.

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तस्वीर: DW/B. Das

अमेरिका में हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि दुनिया का कोई भी ऐसा कोना नहीं है जहां माता पिता अपने बच्चे को मारते नहीं हैं. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अभिभावक जितना स्वीकार करते हैं, बच्चे को उससे कहीं अधिक मारते हैं. बच्चों की परवरिश में मारना पीटना सदियों से परवरिश का हिस्सा रहा है. माता पिता की खुद की बचपन में पिटाई हुई होती है और वे इसे अपने बच्चों को सुधारने का सही तरीका समझते हैं.

डलास के सर्दन मेथाडिस्ट यूनीवर्सिटी ने अब इस पर एक रिसर्च किया है. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 33 अलग अलग परिवारों में वॉइस रिकॉर्डर लगवाए. इन घरों की छह दिनों तक निगरानी करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग अलग समय पर एक बच्चे को 41 बार मारा गया. 75 प्रतिशत बच्चे मार खाने के 10 मिनट के अंदर ही फिर से बदमाशी करना शुरु कर देते हैं. साथ ही ऐसे बच्चे उग्र स्वभाव के हो जाते हैं.

शोध के नतीजों ने इन परिवारों को चौंका दिया क्योंकि माता पिता को पता ही नहीं था कि अनजाने में वे अपने बच्चे को कितनी बार मार रहे हैं. हालांकि मार पीट से बच्चे में सुधार की गुंजाइश ज्यादा नहीं होती. डलास के के डॉक्टर जॉर्ज होल्डेन कहते हैं कि ज्यादा मारने से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है. कुछ बच्चे ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं या कुछ बच्चे अवसाद ग्रस्त भी हो जाते हैं.

इस विषय पर पहले भी अध्ययन हुए हैं. पहले हुए अध्ययनों में भी यह नतीजा निकला है कि ज्यादा मार डांट खाने वाले बच्चों में आत्मविश्वास की कमी भी हो जाती है.

आईबी/एमजे (वार्ता)