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डिस्को लेकिन बिना शोर के

७ अक्टूबर २०१३

जब से लोग पार्टियों और डिस्को में शोर की शिकायत करने लगे हैं, जर्मनी में शांत पार्टियों का रिवाज बढ़ रहा है. इन पार्टियों में संगीत म्यूजिक बॉक्स से नहीं बल्कि वाईफाई के जरिए इयरफोन से आता है.

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तस्वीर: DW/J. Mahncke

इस घड़ी का इंतजार था. आधी रात के बाद डीजे 90 के दशक का एक म्यूजिक प्लेयर पर डालता है और बॉन के फैब्रिक 45 डिस्को में आए डेढ़ सौ के करीब मेहमान जोर जोर से साथ में गाने लगते हैं. उनमें या तो बहुत हिम्मत है या शरीर में काफी सारा अलकोहल, लेकिन उनमें से ज्यादातर को बॉयग्रुप का क्लासिक गाना याद है. चूंकि सब के सब संगीत इयरफोन से सुन रहे थे, कमरे में सिर्फ बातचीत करने की आवाज सुनाई दे रही थी और जमीन पर संगीत की लय के साथ चलते कदम.

दो डीजे दो चैनल पर संगीत बजा रहे हैं, जो वायरलेस के जरिए इयरफोन तक जा रहा है. बैकस्ट्रीट बॉयज का हिट संगीत चैनल एक पर चल रहा है, जिसे आज की शाम क्रिस्टॉफ डोमरोव यानि डीजे ड्रेलंड प्ले कर रहे हैं. वे चार्ट, मेनस्ट्रीम और पॉपम्यूजिक के लिए जिम्मेदार हैं. मंच पर उनके साथ डीजे डारिउस डेरेक ने अपना पैनल लगा रखा है.पोलैंड में जन्मे डारिउस अंतरराष्ट्रीय संगीत के विशेषज्ञ हैं. उनका संगीत चैनल दो पर चल रहा है.

Partyveranstaltung "SilentParty" in Bonn
आरियानेतस्वीर: DW/J. Mahncke

बटन से नियंत्रण

दरवाजे पर फिलिप गोंडेत्स्की भीतर आने वाले मेहमानों को इयरफोन बांट रहे हैं. साढ़े ग्यारह बजे धीरे धीरे लाइन बनने लगती है. 20 साल की आरियाने पहली बार साइलेंट पार्टी में आई है. वह छह यूरो का टिकट खरीदती है और सुनने की कोशिश करती है कि इयरफोन कैसे काम करता है.इयरफोन ऐसा है कि उससे दो चैनल सुने जा सकता हैं और मेहमान स्थानीय संगीत या अंतरराष्ट्रीय संगीत का चैनल चुन सकते हैं. गोंडेत्सकी इयरफोन पर लगे बटन को खिसकाकर बताते हैं कि चैनल कैसे चुना जा सकता है. थोड़ा खोजने पर आरियाने को रेगुलेटर मिल जाता है, सुनकर बताती हैं कि क्वालिटी अच्छी है.

इयरफोन 80 डीबी तक साउंड दे सकता है. इसकी सप्लाई करने वाली कंपनी भरोसा दिलाती है कि यह डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई अधिकतम सीमा है. जिसे यह साउंड ज्यादा लगती है, वह रेगुलेटर का इस्तेमाल कर उसे कम कर सकता है. 38 साल की हाला को इयरफोन पसंद है, लेकिन वह बताती हैं, "पेट में बास की गूंज की कमी खलती है. संगीत डिस्कोथेक जैसा महसूस नहीं होता." लेकिन वे फिर भी दूसरी बार पार्टी में आई हैं, "यह बहुत खास पार्टी है, बस मजेदार."

Partyveranstaltung "SilentParty" in Bonn
नवीदतस्वीर: DW/J. Mahncke

नवीद की भी यही राय है. "मजा आता है जब दो लोग अलग अलग म्यूजिक सुन रहे हों, और फिर एक तेज और एक धीमा गीत आए, लेकिन उसे बदलना न चाहे." वे बताते हैं कि चूंकि इयरफोन के गोले कान को पूरी तरह ढक लेते हैं, तो वॉल्यूम फुल होने पर भी सिर्फ अपना ही संगीत सुनाई देता है, जब तक कि लोग जोर जोर से गाने न लगें.

मेहमानों का अलग बर्ताव

28 साल की मारी को पेश किए जाने वाले म्यूजिक अलबमों का चुनाव पसंद है. "हमेशा ऐसा कुछ जरूर होता है, जो उस समय मुझे पसंद हो." अपने एमपी3 प्लेयर पर नेक्स्ट का बदन दबाकर पसंदीदा गाने तक पहुंचने की आदी पीढ़ी भी यहां साइलेंट पार्टी में सुकून पाती है. डीजे डारिउस इसका फायदा उठाकर दुनिया भर के गीतों से अपने मेहमानों का परिचय कराते हैं.वे बताते हैं कि ज्यादातर लोग हिट गाने सुनने आते हैं, लेकिन उनके लिए वैकल्पिक पेशकश महत्वपूर्ण है.

हालांकि अंतरराष्ट्रीय म्यूजिक चैनल को कम ही लोग सुनते हैं, फिर भी उन्हें अक्सर नाच रहे मेहमानों को अपने म्यूजिक की ओर आकर्षित करने में कामयाबी मिल ही जाती है. वह कहते हैं, "मैं अचानक सुनता हूं कि कैसे और ज्यादा मेहमान "आई लाइक टू मूव, मूव इट" गाने लगे हैं और रील 2 रीयल के हिट गाने को पहचान लिया है." डारिउस तेज पोल्का धुन के साथ क्लासिकल संगीत को मिला देते हैं. सारा कमरा नाच रहा होता है और उनकी आवाज गूंज उठती है, "चैनल बी पर स्वागत." और पूरा कमरा जोश से शोर करने लगता है.

Partyveranstaltung "SilentParty" in Bonn
बातचीत करने का मौकातस्वीर: DW/J. Mahncke

पार्टी की नई जगहें

इंगलैंड में 1990 के दशक में ही इयरफोन पार्टियों का प्रचलन शुरू हो गया था. पिछले सालों में यह दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है. जर्मनी और स्विट्जरलैंड में बहुत से लोग शांत डिस्को के हिमायती हैं. बाधा न हो तो वायरलेस म्यूजिक सौ मीटर तक सुनाई देता है. बॉन में पार्टी का लोकेशन एक आर्ट गैलरी है. पार्टी आयोजक नताशिया कूशी से अब तक किसी ने शांति भंग करने की शिकायत नहीं की है. साइलेंट पार्टी खुले में भी हो सकती है, यह तकनीक सिर्फ बरसात के लिए नहीं बनी है.

पांच बजे सुबह पार्टी खत्म हो जाती है. शाम के बाद से आए करीब 250 मेहमानों में से अब कुछेक ही बचे हैं. कान में घंटों तक इयरफोन लगाए रहने के बाद उन्होंने अब उसे उतार फेंका है. घर आने के बाद ही दिमाग को शांति मिलती है, लेकिन कान में फिर भी कुछ बजता रहता है. लेकिन यह अनुभव ऐसा नहीं कि अगली पार्टी में न जाया जाए. उसका प्रोग्राम भी तय है.

रिपोर्ट: यूलिया मांके/एमजे

संपादन: आभा मोंढे

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