डॉयचे वेले हिंदी और इंटरनेट
२७ मई २०१०आपको इंटरनेट पर सुनना एक अलग ही मजा दे रहा है. न कोई झंझट, न कोई असुविधा, जब जी चाहा सुन लिया और तभी के तभी आपको मेल करके अपनी राय से भी अवगत करा दिया. जहां आपके समाचार के प्रस्तुतिकरण का अंदाज मुझे शुरू से पसंद आता रहा है, वहीं अगले दिन की झलकी तो कमाल की रहती हैं. साप्ताहिक कार्यक्रमों में खोज विज्ञान समाचारों पर आधारित एक महत्वपूर्ण और बहुत ही उपयोगी कार्यक्रम बनता जा रहा है. इसके ताजा अंक में होमोसेपियंस के बारे में दी गई जानकारी अब तक आपके अलावा और कहीं भी देखी, सुनी या पढ़ी नहीं थी. दूसरा विषय भी दिलचस्प लगा. इसे बनाए रखें.
अजय कुमार झा, गीता कालोनी, दिल्ली
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डॉयचे वेले की हिंदी सेवा केवल एक रेडियो प्रसारण नहीं है, बल्कि भारत और जर्मनी के बीच दोस्ती की पहचान और सेतु भी है. मैंने जर्मनी के बारे में जो कुछ भी जाना है, वह केवल डॉयचे वेले के माध्यम से ही जाना. जर्मन लोग भारत के बारे में क्या सोच रहे हैं, जर्मन हम भारतीयों से कितना प्यार करते हैं, यह सब कुछ डॉयचे वेले हिंदी सेवा के कार्यक्रमों से जानने को मिला है. हम जर्मनी को अपना सब से निकटतम दोस्त और भाई समझते हैं.
समाचारों के बाद प्रस्तुत किए जाने वाले सभी कार्यक्रम अपने विषय और शैली के कारण बेहद लोकप्रिय और मनोरंजक सिद्ध हो रहे हैं. 11 मई को प्रस्तुत लाइफ़ लाइन के तहत दोनों ही विषय बहुत महत्वपूर्ण और सार्थक लगे, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति चिकित्सकों की उदासीनता वाला विषय. अभी कुछ समय पहले ही भारत सरकार ने एक कोशिश के तहत चिकित्सकों से कुछ समय तक अनिवार्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा देने को कहा था. आज के समय में नक्सलवाद देश की दूसरी सबसे बड़ी समस्या है. इसको एक प्रकार का आतंकवाद मान कर अर्धसैनिक बलों को ठीक उसी प्रकार से कार्यवाही करनी चाहिए जैसी सेना ने शुरुआती दौर में जम्मू कश्मीर में की. इनसे कुछ हद तक मानव अधिकारों का हनन होता है, लेकिन ये मानव अधिकार किसी भी देश की सुरक्षा से ऊपर नहीं हो सकते.
अगले 10 साल में 10 लाख बिजली चालित कारें सड़कों पर लाने की जर्मनी की महत्वाकांक्षी योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई. पेट्रोल की बरबादी को रोकने तथा प्रदूषण नियंत्रण के दृष्टिकोण से जर्मनी का यह कदम अत्यंत सराहनीय एवं स्वागत योग्य है. इस योजना से जर्मनी ही नहीं, समूचे विश्व के ऑटोमोबाइल उद्योग में एक नई क्रांति पैदा होगी. योजना के सफल होने पर पूरा विश्व जर्मनी का अनुसरण करेगा. वो दिन दूर नहीं जब सर्वोत्तम गाड़ियां बनाने वाले जर्मनी को सर्वोतम बिजली चालित गाड़ियों के निर्माण के लिए भी जाना जाएगा. इस योजना में ध्यान देने वाली सिर्फ एक बात है कि बिजली चालित कारों के निर्माण में मानव के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
एजुकेशनल वेबसाइट एलाइंस, जावेद अख्तर, मउनाथ भंजन, मऊ (उत्तर प्रदेश)
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मनमोहन सिंह व्यक्तिगत रूप से एक ठीक ठाक प्रधानमंत्री हैं, पर आम आदमी की जिंदगी में जब तक कोई क्रंतिकारी सकारात्मक बदलाव नही होगा वह सरकार की प्रशंसा कैसे करेगा. देश की विदेशो में कोई विशिष्ट छवि नही बन सकी. दुर्भाग्य से रॉकेट लांचिंग फेल रही, बिजली की समस्या हल नही हुई और मंहगाई भी बढ़ी. हां कुछ बड़े बड़े नीतिगत फैसले शिक्षा और महिला आरक्षण को लेकर जरूर किए गए ...चलती का नाम गाड़ी ...
प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव
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22 मई के हैलो जिन्दगी में फिल्म काईटस की चर्चा सुनी. दिशा उप्पल से युवाओं में योग के प्रति बढ़ते आकर्षण के बारे में जानकारी काफी दिलचस्प लगी. हैलो जिन्दगी युवाओ में एक तरह से जोश भर देता हैं. प्रिया जी ने इस कार्यक्रम को बड़ी मेहनत से संवारा है.
आजकल आपका प्रसारण 31 मीटर बैंड पर साफ सुनाई नहीं दे रहा है. आपके कार्यक्रमों में अंतरा और खोज को प्राथमिकता देता हूं. इन दोनों कार्यक्रमों की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी.
उमेश कुमार शर्मा, स्टार लिस्नर्स क्लब, नारनौल (हरियाणा)
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26 मई को शाम की सभा में कार्यक्रम वेस्ट वॉच सुना. कैथौलिक गिरजा घरों में पादरियों के ब्रह्मचर्य पालन के कानून पर प्रसारित चर्चा सुनने को मिली. इनसान के लिए ब्रह्मचर्य पालन इतनी आसान बात नहीं हैं, चाहे वे पादरी हो या धर्मगुरू. हाल ही में सुर्खियों में सामने आए बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले यही साबित करते हैं कि पादरियों के लिए ब्रह्मचर्य पालन कानून में कुछ बदलाव होना जरूरी हैं. कोई पूरी गारंटी नहीं दे सकता कि हर पादरी ब्रह्मचर्य का पालन जिंदगी भर करेगा क्योंकि स्त्री के बीच पुरुष आकर्षण नैसर्गिक नियम हैं.
संदीप जवाले, मार्कोनी डी एक्स क्लब, पारली वैजनाथ (महाराष्ट्र)
रिपोर्टः कवलजीत कौर
संपादनः ए कुमार