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ताकतवर नेताओं की पसंद रही हैं रेडियो तरंगें

ऋतिका राय४ अक्टूबर २०१४

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर देश के लोगों को संबोधित किया. इस मौके पर शहरों में भूले बिसरे से लगने लगे ऑल इंडिया रेडियो को लंबे समय के बाद लोगों ने फिर से ट्यून किया.

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तस्वीर: UNI

दशहरे के दिन किए अपने पहले रेडियो संबोधन ‘मन की बात' में मोदी ने वादा किया कि वह आगे भी इस तरह के संवाद को जारी रखेंगे. मोदी ने कहा कि देश की बेहतरी के लिए तमाम माध्यमों से जनता उन्हें जो सुझाव भेजती है, उनमें से कुछ चुनिंदा सुझावों का जिक्र वह अपने रेडियो संदेशों में भी किया करेंगे.

आज के संदेश में अपना नाम सुनकर मुंबई के एक इंजीनियर वेंकटिद्रि हैरान रह गए. वेंकटिद्रि ने प्रधानमंत्री मोदी को विकास के मुद्दे पर सुझाव भेजे थे.

इसके अलावा मोदी ने नागरिकों को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करने करने के लिए कुछ प्रेरणादायक कहानियां सुनाईं. उन्होंने कमजोर तबके के लोगों और खासकर बच्चों को बढ़ावा देने और खादी का इस्तेमाल करने का भी आह्वान किया. ट्विटर पर कुछ लोग इससे पड़े सीधे असर के बारे में प्रतिक्रिया देते दिखे.

दुनिया भर के कई प्रभावशाली नेता रेडियो की शक्ति को मानते और उसका इस्तेमाल करते आए हैं. इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति के हफ्तेवार रेडियो संबोधन की परंपरा है.

यूरोप की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था और जर्मन सरकार की मुखिया चांसलर अंगेला मैर्केल हर हफ्ते वीडियो के माध्यम से जनता से सीधी बात करती है. इसके अलावा वे पॉडकास्ट और ट्विटर पर भी संवाद जारी रखती हैं. नीचे दिए संदेश में जर्मन भाषा में मैर्केल ने यही लिखा है.

ओबामा हर शनिवार सुबह अमेरिकी जनता के लिए अपना वीडियो और ऑडियो संदेश जारी करते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह रविवार सुबह 11 बजे रेडियो पर सार्वजनिक संदेश देने की कोशिश किया करेंगे. इस पर भारत में कुछ लोगों ने 80 और 90 के दशक के टेलिविजन के दिनों को याद किया. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि टीवी पर रामायण और महाभारत दिखाए जाने बाद से अब फिर रविवार सुबह का समय उनके लिए खास बन जाएगा.