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तालिबान का नया मुखिया

७ नवम्बर २०१३

मलाला यूसुफजई पर हमले की साजिश रचने वाले मुल्ला फजलुल्लाह को तालिबान ने नया मुखिया चुन लिया, जिसके बाद पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन ने बातचीत की संभावना ठुकरा दी. पिछले हफ्ते ड्रोन हमले में तालिबान प्रमुख मारा गया है.

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तस्वीर: A. Majeed/AFP/Getty Images

कट्टरपंथी विचारों वाले फजलुल्लाह को चुने जाने के बाद पाकिस्तान तालिबान ने सरकार के साथ बातचीत से इनकार किया है. फजलुल्लाह को बेहद कट्टर विचारधारा के लिए जाना जाता है. तालिबान के शूरा ने उत्तरी वजीरिस्तान में किसी अनजान जगह पर उसे अपना नेता चुना. पिछले हफ्ते एक नवंबर को अमेरिकी ड्रोन हमले में पूर्व तालिबान प्रमुख हकीमुल्लाह महसूद मारा गया था.

समझा जाता है कि महसूद पाकिस्तान की नई सरकार के साथ बातचीत के पक्ष में था और उसके आस पास के लोग भी इससे सहमत थे, लेकिन फजलुल्लाह खुले तौर पर इसका विरोध करता है. तालिबान के एक प्रवक्ता शाहिदुल्लाह शाहिद ने फोन पर बताया, "किसी तरह की कोई बातचीत नहीं होगी क्योंकि मुल्ला फजलुल्लाह पाकिस्तान सरकार से ऐसी बातचीत के खिलाफ हैं." शाहिद का कहना है, "सभी सरकारें हमारे साथ शांति वार्ता के नाम पर दोहरा खेल खेलती हैं. वे हमें धोखा देती हैं और हमारे लोगों को मार डालती हैं. हमें इस बात पर 100 फीसदी यकीन है कि पाकिस्तान ड्रोन हमलों के लिए अमेरिका का साथ दे रहा है."

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शरीया की वकालत करता तालिबानतस्वीर: picture-alliance/dpa

शरीया चाहता है तालिबान

पाकिस्तान तालिबान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहती है और देश में शरीया कानून लागू करना चाहती है. शरीफ के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में हमले बढ़े हैं, जबकि शरीफ सरकार ने कई बार कहा है कि वह तालिबान से बातचीत करना चाहती है. अफगानिस्तान में इस साल के आखिर में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना हट रही है और उसके बाद इलाके में शांति को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं. शाहिद ने कहा कि नए अमीर ने अपना पद संभाल लिया है और उन्हें ही यह फैसला करना है कि क्या महसूद की हत्या का बदला लेने के लिए हमले बढ़ाए जाएंगे.

तालिबान के एक कमांडर हजरतुल्लाह तोराशिपा का कहना है कि फजलुल्लाह को चुने जाने के बाद लड़ाकों ने एके 47 राइफलों से गोलियां चलाईं और एंटी एयरक्राफ्ट बंदूकों से गोलियां दागीं. फजलुल्लाह के ठिकाने के बारे में किसी को पक्के तौर पर जानकारी नहीं है और समझा जाता है कि वह फिलहाल अफगानिस्तान की सीमा में है.

मुल्ला रेडियो

फजलुल्लाह को "मुल्ला रेडियो" के नाम से भी जाना जाता है. स्वात घाटी में उसके नाम से कई रेडियो प्रसारण हो चुके हैं. यहां तक कि तालिबान के अंदर भी उसे एक कट्टर चेहरे के रूप में देखा जाता है. 1976 में पैदा हुआ फजलुल्लाह 2004 में उस वक्त सुर्खियों में आया, जब उसने स्वात में अचानक एफएम रेडियो स्टेशन बिठा लिया. इस स्टेशन से पश्चिमी देशों के खिलाफ आग उगलने का काम किया जाने लगा. अपने लड़ाकों के साथ मिल कर उसने 2009 में स्वात घाटी पर कब्जा कर लिया और वहां शरीया कानून लगा दिया. फजलुल्लाह पोलियो टीकाकरण का भी विरोध करता है और इसे ईसाई और यहूदी साजिश बताता है. वह महिलाओं की शिक्षा का भी विरोधी है.

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ड्रोन हमले में हकीमुल्लाह महसूद मारा गयातस्वीर: picture-alliance/dpa

फजलुल्लाह के लोगों ने 2007 में स्वात घाटी में घूम घूम कर लोगों से शरीया का पालन करने और दाढ़ी रखने की बात कही. उन्होंने महिलाओं की पढ़ाई का विरोध किया. बाद में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में उन्हें 2009 में स्वात से बाहर खदेड़ दिया गया.

मलाला पर हमला

मलाला यूसुफजई भी स्वात की ही छात्रा है, जो महिलाओं के शिक्षा की वकालत करती है और जिस पर तालिबान ने फजलुल्लाह के इशारे पर 2012 पर जानलेवा हमला किया. हालांकि पाकिस्तानी सेना के डॉक्टरों और ब्रिटिश अस्पताल में इलाज की वजह से उसे बचा लिया गया. अब वह ब्रिटेन में रहती है और दुनिया भर में महिला शिक्षा की प्रतीक चिह्न बन गई है. तालिबान ने धमकी दी है कि अगर वह स्वात लौटती है, तो उसे मार दिया जाएगा.

फजलुल्लाह पाकिस्तान तालिबान का पहला प्रमुख कमांडर है, जो दक्षिणी वजीरिस्तान के महसूद कबीले का नहीं है. इस संगठन का पहला प्रमुख कमांडर बैतुल्लाह महसूद भी अमेरिकी ड्रोन हमले में 2009 में मारा गया था. समझा जाता है कि महसूद कबीले के कुछ लोग फजलुल्लाह के नाम से खुश नहीं हैं लेकिन वरिष्ठ सदस्यों के दबाव में वे मान गए.

एजेए/एनआर (एपी, रॉयटर्स)

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